लेखक-नीरज कुमार मिश्रा
फजल और यास्मीन की शादी को पूरे 2 महीने हो चुके थे, पर इन 2 महीनों में शायद ही कोई वह लमहा आया हो, जब फजल ने यास्मीन से प्यार से बात की हो या उस का हाथ थामा हो, वे तो बिस्तर पर भी दूरियां बनाए रखते. शाम ढले जब औफिस से घर लौटते, तो उन के चेहरे पर जमाने भर का गम और दुनियाभर की बेरुखी छाई होती, गोया पूरी कायनात की चिंता उन के ही सिरमाथे पर हो.
यास्मीन ने कई बार पूछने की कोशिश भी की कि क्या कोई परेशानी है, पर सब फजुल था. फजल तो बात ही नहीं करते थे. यास्मीन आज के जमाने की लड़की जरूर थी, पर जब निकाह हुआ था, तब से उस ने अपनेआप को ससुराल के रंग में ही रंग लिया था. जैसा उस के सासससुर, पति चाहते, वह वैसा ही काम करती थी. बाकी सब तो उस से सामान्य ही थे, पर उस के शौहर का मिजाज ही उस से नहीं मिलता था.
यह बात यास्मीन ने अपनी सब से करीबी सहेली हया से शेयर की तो हया ने कहा, ‘‘यास्मीन, अब तुम शादीशुदा हो कर भी मुझ से ऐसी बच्चों जैसी बातें मत करो…‘‘अरे भई… अगर तुम्हारे शौहर तुम से नाराज चल रहे हैं, तो तुम्हारे पास तो हजार अदाएं होनी चाहिए उन को रिझाने की… मसलन, उन की पसंद का इत्र लगा कर उन के करीब जा, औफिस में कई बार फोन कर… या अगर मुमकिन हो तो एकाध बार वीडियो काल भी कर सकती है, और रात को जब वे आएं तो एक मुसकराहट से उन को खुश किया कर. और हां… जब रात में वे बिस्तर पर आएं तो…’’
‘‘चल बेशर्म कहीं की… नाम क्या है तेरा… पर जरा भी हयाशर्म नहीं है तुम को…’’ शरमा उठी यास्मीन के गाल गुलाबी हो गए.‘‘ऐ मैडम, मैं कोई ऐसीवैसी बात नहीं बोलने जा रही हूं. मेरा मतलब तो सिर्फ इतना है कि जब वे रात को बिस्तर पर आएं तो उन्हें खूब रूमानी शायरी सुनाया कर, या फिर इश्कमुहब्बत वाले बढि़या अफसाने सुनाया कर, फिर देख तेरे वे तुझ पर कितना फिदा हो जाते हैं… यार, यही सब तरीके हैं… अब कोई ममोले मियां का सुरमा तो है नहीं मेरे पास, जो मैं तुम्हें दे दूं और तू उसे आंखों में भर कर उन को रिझा ले.’
पर ये सारे नुसखे वे थे, जो यास्मीन आज से पहले ही आजमा चुकी थी, पर फिर भी फजल के बरताव में कोई फर्क नहीं पड़ा था.उधर फजल भी अपनी शादी से बिलकुल खुश नहीं थे, इसलिए उन्होंने भी अपनी परेशानी अपने दोस्त शाहिद से बांटी, जो पेशे से वकील भी था.
फजल ने बताया, ‘‘यार भाई शाहिद, मैं अपनी शादी से बिलकुल भी खुश नहीं हूं और इसलिए मैं अपनी बीवी से अच्छा बरताव भी नहीं कर पाता हूं. मैं आगे नहीं जानता कि मेरे साथ क्या होगा?’’‘‘क्या मतलब… तेरी बीवी खूबसूरत नहीं है क्या?’’ शाहिद का वाजिब सा सवाल था.
‘‘नहीं यार, वह तो खैर बहुत खूबसूरत है और घर का काम भी बखूबी जानती है, पर मैं उसे देखते ही चिढ़ जाता हूं और नौर्मल नहीं हो पाता,’’ फजल ने अपनी परेशानी बताई.‘‘बड़ी अजीब बात है, जब तेरी बीवी सब काम जानती है, खूबसूरत भी है, फिर तेरी परेशानी है कहां पर?’’
‘‘यार शाहिद, अब तुम से क्या छुपाना, मैं किसी दूसरी लड़की से प्यार करता हूं.’’अब चौंकने की बारी शाहिद की थी.‘‘मतलब… इश्क किसी और से फरमा रहे हो… तो फिर शादी किसी और से क्यों की?’’ शाहिद ने पूछा.‘‘अरे यार… बस यों समझ लो कि घर वालों की वजह से मुझे करनी पड़ी… पर अब बताओ कि आगे क्या करूं मैं? और एक बात तो पक्की है कि मैं यास्मीन के साथ तो निबाह नहीं कर पाऊंगा,’’ फजल ने मेज को अपनी मुट्ठी से दबाते हुए कहा.
‘‘एक बार फिर से सोच ले… कहीं तुझे पछताना न पड़े,’’ शाहिद ने फजल को राय देते हुए कहा.‘‘नहीं यार, मैं कई बार सोच चुका हूं, पर मुझे लगता है कि मैं यास्मीन के साथ तो नहीं रह पाऊंगा,’’ फजल ने कहा.‘‘तो फिर एक ही रास्ता है तेरे पास… तू यास्मीन को तलाक दे दे और अपनी महबूबा से शादी कर ले और फिर आराम की जिंदगी जी,’’ शाहिद ने कहा.
‘‘हां, पर तलाक की कोई ठोस वजह भी तो होनी चाहिए. और फिर हमारी शादी को हुए अभी बहुत कम समय ही हुआ है तो इतनी जल्दी तलाक… कैसे हो पाएगा ये सब?’’ कहते हुए फजल परेशान हो उठा.‘‘अरे, जब तू ने मुझे दोस्त माना है तो वह सब मुझ पर छोड़ दे और जैसे मैं कहता हूं वैसा करता जा… फिर देख सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी,’’ शाहिद ने कहा और फिर एक प्लान फजल को बताया, जिसे सुन कर फजल की आंखों में नई रोशनी सी जागने लगी.
शाम को जब फजल घर लौटा, तो उस के चेहरे पर मुसकराहट थी और वह आतेआते सीधा अपने कमरे में पहुंच गया, जहां यास्मीन गुमसुम सी बैठी हुई थी.‘‘क्या बात है… हमारी बेगम की तबीयत कुछ नासाज चल रही है क्या?’’ बड़ी ही नरम आवाज में फजल ने यास्मीन से पूछा.‘‘न, नहीं तो… तबीयत तो एकदम ठीक है… वो बस यों ही… बैठ गई थी,’’ यास्मीन चौंक गई थी.
‘‘अच्छा ये लो… गुलाबजामुन खाओ,’’ फजल ने गुलाबजामुन की थैली यास्मीन की तरफ बढ़ाते हुए कहा.‘‘गुलाबजामुन…?’’‘‘हां… मुझे याद है कि तुम्हें गुलाबजामुन बहुत पसंद हैं… मैं आते वक्त रास्ते में दुकान पर रुका और पैक करवा लिए तुम्हारे लिए,’’ फजल ने प्यार दिखाया.
‘‘हां तो अम्मी और अब्बू को भी दे कर आती हूं,’’ यास्मीन बाहर की ओर जाने लगी, तो फजल ने उस की कमर में हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया और उस की जुल्फों की महक लेते हुए बोला, ‘‘अम्मीअब्बू के लिए मैं कुछ और लाया था. वह मैं उन्हें दे आया हूं. ये तो खास तुम्हारे लिए हैं मेरी जान,’’ फजल ने रूमानी अंदाज में कहा.