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लेखक-नीरज कुमार मिश्रा

यास्मीन को आज इस गुलाबजामुन की मिठास से भी ज्यादा मीठी तो फजल की बातें लग रही थीं, क्योंकि वे इतना प्यार जो जता रहे थे यास्मीन से. चलो देर आए दुरुस्त आए, यास्मीन मन ही मन फजल के बदले बरताव से बहुत खुश हो रही थी.

रात को जब सारा काम निबट गया और अम्मीअब्बू भी सोने चले गए, तो फजल खुद उठा और किचन में जा कर एक गिलास गरम दूध ले आया और यास्मीन को देते हुए बोला, ‘‘औफिस में साथ काम करने वाले कादिर भाई ने दुबई से खजूर ला कर दिए हैं और बोला है कि इन्हें रोज खाने से चेहरे पर नूर और बदन में ताकत बनी रहती है. तुम ने अपनी शक्ल नहीं देखी कि कैसी बदरंग हो गई हो. आज से रोज ये खजूर एक गिलास गरम दूध के साथ लेने हैं तुम्हें.  फिर देखो, कैसे खिल कर आएगा तुम्हारा रंग.’’

फजल अपने हाथों से यास्मीन को दूध पिलाने लगा. दूध पीतेपीते ही छलछला आई थीं यास्मीन की आंखें. वह सोच रही थी कि उस के शौहर उस का ध्यान नहीं रखते, पर वे तो बहुत प्यार करने वाले इनसान निकले. शायद वह ही गलत थी.

‘मैं ने सुना है कि जब मर्द लोग बाहर के काम में परेशान होते हैं तो उस का असर उन की निजी जिंदगी पर भी पड़ता है. हो सकता है कि फजल भी बाहर के काम से परेशान हों, तभी तो वे सही बरताव नहीं कर रहे थे,’ अभी यास्मीन यही सब सोच ही रही थी कि फजल ने उस के लबों को चूम लिया. यास्मीन शरमा गई और उस ने अपनी पलकें नीची कर लीं.

फजल ने भी अपनी बांहों का मजबूत घेरा यास्मीन के इर्दगिर्द डाल दिया और दोनों जवानी के दरिया में बह कर किनारे लगने की कोशिश करने लगे. उस दिन से 2 दिलों के साथ ही 2 जिस्मों की दूरियां भी कम होने लगीं, यास्मीन को अहसास होने लगा था कि अब फजल भी उसे प्यार करने लगे हैं.

अब तो आएदिन फजल कुछ न कुछ तोहफे देते, घुमाने भी ले जाते और जी भर कर प्यार करते. इन सब बातों के अलावा वे यास्मीन को अपने हाथों से गरम दूध और खजूर खिलाना नहीं भूलते थे.

‘‘पता है यास्मीन, अब मैं चाहता हूं कि जल्दी से तुम एक बच्ची को जन्म दो, जो एकदम तुम्हारे जैसी प्यारी हो, एकदम तुम्हारे जैसी गोरी… फूल सी नाजुक,’’ फजल आजकल अकसर बच्ची की फरमाइश करने लगे थे.

‘कितनी गलत थी मैं…’ यास्मीन बैठे हुए सोच रही थी और फिर उस ने अपनी खुशी बांटने के लिए अपनी सहेली हया को फोन लगाया. ‘कैसी हो यास्मीन, मैं कुछ दिनों से तुम्हें फोन नहीं कर पाई, क्योंकि थोड़ा बिजी थी. इस के लिए मैं माफी चाहती हूं,’ हया ने कहा.

‘‘ऐसी भी कोई बात नहीं है, जो तू इतना फील कर रही है, बस तुझ से यह बांटना चाहती हूं कि मेरी जिंदगी में अब सब ठीक हो गया है. सासससुर तो पहले से ही मुझे मानते थे और अब तो मेरे शौहर ने भी मेरा ध्यान रखना शुरू कर दिया है.

‘‘जब भी वे आते हैं मेरे लिए कुछ न कुछ ले कर आते हैं और अब तो प्यार भरी बातें भी करने लगे हैं,’’ चहक रही थी यास्मीन. ‘यानी, अब तुम जल्दी ही अम्मी बनने की खुशखबरी देने वाली हो,’ हया ने चुटकी ली.

‘‘वह भी बन जाऊंगी और जब बनूंगी तो सब से पहले तुझे ही बताऊंगी. अब तो मेरी अम्मी सास भी मुझ से बातोंबातों में एक औलाद की फरमाइश करने लगी हैं,’’ यास्मीन ने कहा.

‘तब फिर देर किस बात की है, फौरन ही खुशखबरी सुना डाल हम सब को. मुझे भी इंतजार रहेगा,’ हया ने कहा. पर जिस खुशी का सब को इंतजार था, वह खुशी नहीं मिल पा रही थी यानी दोनों के बीच एक बच्चा नहीं आ पा रहा था.

इन खुशियों के बीच शादी को एक साल गुजर गया था और खुशी तो उस दिन और भी बढ़ गई जब एक दिन अचानक फजल औफिस से दोपहर में ही घर आ गया. उस के हाथ में यास्मीन के लिए जूस था. अपने हाथों से जूस पिलाया था फजल ने और वह भी जबरदस्ती कर के. सच कहा जाए तो अपनी किस्मत पर फूली नहीं समा रही थी यास्मीन.

पर यास्मीन की खुशी ज्यादा समय तक नहीं रह पाई थी, क्योंकि जूस पीने के कुछ देर बाद ही यास्मीन को उलटियां शुरू हो गईं, घर में अम्मीअब्बू तो उलटियों से कुछ और अंदाजा लगाने लगे और खुशियां मनाने में जुट गए, पर यास्मीन की उलटियां रुक नहीं रही थीं.

फजल और अब्बूअम्मी तुरंत ही यास्मीन को अस्पताल ले कर भागे. डाक्टर भी फजल का दोस्त ही था, उस ने कुछ खून की जांचें करवाईं और कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है, बस जरा सी कमजोरी है. उस ने फजल से कहा कि इन की कुछ जांचों की रिपोर्ट शाम तक आ जाएगी, तभी मैं आगे के इलाज के बारे में कुछ बता पाऊंगा.

फजल यास्मीन को ले कर घर चले आए और यास्मीन को आराम करने को कहा और खुद भी शाम होने का इंतजार करने लगे. शाम को जब फजल रिपोर्ट ले कर वापस आए, तो उन के चेहरे पर बारह बज रहे थे.

‘‘आप रिपोर्ट ले आए… क्या है इस रिपोर्ट में?’’ यास्मीन ने उत्सुकता से पूछा. पर फिर भी फजल मुंह लटकाए बैठे रहे. यास्मीन का तो जैसे कलेजा ही मुंह को आ रहा था कि न जाने ऐसी क्या बात है, जो फजल का मुंह इतना लटका हुआ है.

काफी पूछने के बाद ही फजल ने कुछ बोला, ‘‘दरअसल, जब तुम अस्पताल में थीं, तभी अम्मी ने डाक्टर से कहा कि वे जल्दी से दादी बनने की खबर सुनना चाह रही हैं… तो डाक्टर ने कहा कि यह केस वैसा नहीं है, जैसा आप समझ रही हैं, बल्कि यह केस तो बदहजमी और अपच का है, लेकिन फिर भी अम्मी के बारबार कहने पर डाक्टर ने तुम्हारे शरीर की दूसरी जांचें भी कीं, जिन की रिपोर्ट मैं ले कर आया हूं. इस में यह लिखा है कि तुम कभी मां नहीं बन सकतीं…’’ फूटफूट कर रोने लगे थे फजल.

 

 

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