कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

नहीं दादू, झूठी है यह लड़की। मैं सही कह रहा हूं. यह लड़की मुझे कब से ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रही है. और आप को नहीं पता यह लड़की मुसलिम है,” अपनेआप को बचाने के लिए आदर्श कुछ भी बोले जा रहा था.

“अच्छा, लेकिन यह बात उस के साथ संबंध बनाते समय, उस के साथ चुपके से सगाई करते समय तुम ने क्यों नहीं सोचा कि वह लड़की मुसलिम है और तुम हिंदू? सिर्फ उस के शरीर के साथ खेलने के लिए तुम ने शादी की झूठी कहानी गढ़ी और उसे ब्लफ में रखा ताकि वह तुम पर विश्वास करती रहे और तुम उस का फायदा उठाते रहो? छी... कैसे किया तुम ने ऐसा और क्या यही संस्कार दिए थे हम ने तुम्हें?”

अपने लाडले आदर्श पर इलजाम लगते देख शशि ने अपने तेवर दिखाते हुए कहा,“देखिए, यहां कोई मजाक नहीं चल रहा है. यह मेरे पोते की जिंदगी का सवाल है इसलिए आप चुप ही रहिए और आप ने सोच कैसे लिया कि एक मुसलिम लड़की से हम अपने पोते का ब्याह करेंगे?”शशि की बात पर आदर्श के मम्मीपापा, यानी मेरे बेटेबहू भी कहने लगे कि वह लड़की झूठी और फरेबी है. किसी और का पाप उस के बेटे पर मढ़ना चाहती है. लेकिन वह कभी ऐसा होने नहीं देंगे. शायद, मैं भी ऐसा ही सोचता अगर अपनी कानों से दोनों की बात न सुनी होती तो.

अभी तक तो मैं ठंडे दिमाग से बात कर रहा था पर अब मेरा भी पारा गरम होने लगा इन की अनर्गल बातें सुन कर. धीरे से ही लेकिन कड़े शब्दों में मैं बोला,“मैं भी तो वही कह रहा हूं शशि...यह किसी की जिंदगी का सवाल है कोई मजाक नहीं. और जब आप का पोता उस लड़की को चीट कर रहा था, उस के शरीर के साथ खिलवाड़ कर रहा था, तब नहीं लगा उसे कि वह लड़की मुसलिम है? अब जब शादी पर बात आई, तो वह गैर जात की लड़की हो गई?”

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...