राजेश ने अपनी शादी के लिए प्रस्ताव रखा तो मनोहर लाल का परिवार यह सोच कर चिंतित था कि लोग क्या कहेंगे पर वृद्ध मां ने ऐसा क्या कहा कि सब का दिमाग घूम गया?
डिंगडोंग डिंगडोंग, दरवाजे की घंटी की आवाज सुनते ही सुलोचना हड़बड़ा कर खड़ी हो गई. ‘‘इतनी देर हो गई बातों में, समय का पता ही न चला. 6 बज गए और ये आ गए.’’ उन के साथ बैठी प्यारी ननद गीता ने आंखें नचा कर कहा, ‘‘तो क्या हो गया, 6 ही तो बजे हैं, आप सब तो 9 बजे खाना खाने वालों में से हो.’’
‘‘वह तो ठीक है लेकिन राजेश आज सीमा को ले कर आने वाला जो है. मैं ने तो अभी तक कोई तैयारी भी नहीं की है.’’
राजेश सुलोचना का इकलौता बेटा है जो 5 साल पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर नौकरी करने हैदराबाद चला गया था और 6 महीने पहले ही ट्रांसफर ले कर अपने शहर इंदौर वापस आया था. उस की उम्र 27 वर्ष की हो चुकी थी और न सिर्फ सुलोचना और उन के पति, बल्कि उन के सभी रिश्तेदार और पड़ोसी राजेश के लिए एक पत्नी की तलाश में लगे हुए थे.
आजकल के बच्चों के विचारों से वाकिफ सुलोचना और मनोहर लाल राजेश पर अपनी पसंद नहीं लादना चाहते थे और इस कारण जब राजेश ने उन के सु?ाए 10-12 प्रस्तावों को मना कर दिया तो उन्होंने उस से सीधी तरह उस की अपनी पसंद के बारे में पूछ लिया. राजेश ने बताया कि वह यहीं इंदौर में उस के औफिस में काम करने वाली अपनी जूनियर सीमा को पसंद करता है लेकिन अभी तक उस ने सीमा से इस बारे में कोई बात नहीं की है. सुलोचना ने राजेश से कहा कि वह सीमा को घर ले कर आए.
यह पिछले हफ्ते की ही बात थी और राजेश आज सीमा को ले कर घर आ रहा था. आज ही सवेरे सुलोचना की ननद गीता भी 3 महीने बाद भोपाल से आई थी और अपनी प्यारी भाभी के पिछले 3 महीनों का हिसाब विस्तारपूर्वक लेने में लगी हुई थी. गीता सुलोचनाजी के पति मनोहर लाल की लाड़ली 8 साल छोटी बहन थी. सुलोचना, मनोहर लाल और राजेश के अलावा घर में सुलोचना की सास मनोरमा भी रहती थीं. मनोरमा ने काफी तकलीफों का सामना करते हुए मनोहर लाल और गीता का पालनपोषण किया था. वे बेहद मेहनती और दिखावेबाजी से दूर रहने वाली महिला थीं.
घर के सभी सदस्य उन का बहुत सम्मान करते थे. सीमा के आने की बात सुनते ही गीता तुरंत नहाने और तैयार होने को चल पड़ी और सुलोचना ने किचन की राह संभाली. किचन में सारा काम बिखरा पड़ा था. औफिस से घर आए पति को चाय बना कर देना भी आवश्यक था और यह सब करतेकरते घड़ी में 6:30 बज गए. सुलोचना फिर से बाहर ड्राइंगरूम में आई और सामान थोड़ा सजाया. फिर किचन की तरफ बढ़ी ही थी कि दरवाजे की घंटी फिर से बज गई.
दरवाजे पर राजेश एक शालीन, संकोची दिखने वाली लड़की के साथ खड़ा था. ‘‘नमस्ते आंटी,’’ लड़की ने मीठी आवाज में सुलोचना का अभिनंदन किया. ‘‘नमस्ते बेटी. अंदर आओ, अंदर आओ,’’ कहते हुए सुलोचना ने सीमा को बैठने का इशारा किया और राजेश से बोली, ‘‘अरे बेटा, रोज तो 7:15-7:30 बजे तक घर आते हो, आज 6:45 बजे ही पहुंच गए. क्या सीमा को घर लाने की इतनी जल्दी थी?’’
‘‘नहीं, यह बात नहीं. रोज तो मैं शेयर टैक्सी से आता हूं पर आज सीमा के साथ इस की स्कूटी पर निकल पड़ा, इसलिए जल्दी पहुंच गया.’’ सीमा को देख कर सुलोचना को राजेश की पसंद पर गर्व हो आया. सीमा दिखने में तो आकर्षक थी ही, उस की बातचीत और कपड़े पहनने के लहजे से शालीनता स्पष्ट नजर आ रही थी. सुलोचना सीमा से उस की पढाई, शौक और घरपरिवार के बारे में बात करने लगी. हालांकि सीमा काफी खुशमिजाजी से ही बात कर रही थी फिर भी सुलोचना को पता नहीं क्यों उस के चेहरे पर कई बार गंभीरता के लक्षण आतेजाते नजर आए, खासकर जब वह सीमा के परिवार के बारे में पूछ रही थी.
मनोहर लाल और गीता ने ड्राइंगरूम में प्रवेश किया और राजेश ने सीमा से उन का परिचय कराना आरंभ किया. सुलोचना ?ाटपट किचन में जा कर नाश्ते की तैयारी में लग गई. कड़ाही में समोसे डालने के बाद सुलोचना ने मिक्सी में चटनी पीसना शुरू किया ही था कि ‘चींचीं’ की आवाज के साथ मिक्सी बंद हो गई. सुलोचना ने ?ाल्लाते हुए मनोहर लाल को आवाज लगाई, ‘‘अजी, जरा बिल्ंिडग के इलैक्ट्रिशियन को तो बुलाओ, यह मिक्सी फिर से खराब हो गई.’’
‘‘अभी पिछले हफ्ते ही तो ठीक करवाई थी,’’ मनोहर लाल बोले, ‘‘अब शाम को 7 बजे इलैक्ट्रिशियन कहां मिलेगा. अब तो मिक्सी कल ही ठीक होगी.’’
‘‘पर बिना चटनी के तो समोसे का कोई मजा ही नहीं आएगा,’’ सुलोचना का मुंह लटक गया, ‘‘बेटा राजेश, तू एक बार देखेगा क्या?’’
‘‘मम्मी, आप को तो पता ही है कि ये सब काम मु?ा से नहीं होते. आप चिंता न करो, आप के हाथ के समोसे तो इतने बढि़या होते हैं कि हम बिना चटनी के तो क्या, बिना तले ही खा लेंगे.’’
सुलोचना ने सीमा की ओर देखा और कहा, ‘‘इन दोनों बापबेटों से घर का कोई काम कहो तो इन का जवाब ऐसा ही होता है. हमारी बिल्ंिडग का इलैक्ट्रिशियन भी बहुत ढीला काम करता है. चलो, अब टोमैटो सौस के साथ ही समोसे खा लेंगे.’’
यह सुन कर सीमा उठ खड़ी हुई और बोली, ‘‘आंटी, मैं एक बार देखूं?’’
‘‘अरे नहीं बेटी, यह तो बिजली मिस्त्री का काम है. मिक्सी भी कितनी पुरानी है, कब से बदलने की सोच रही हूं.’’
‘‘कोई बात नहीं आंटी, एक बार मु?ो देखने तो दीजिए,’’ सीमा ने किचन में पड़ा चाकू उठाया और तार के जले हुए हिस्से को साफ करने में जुट गई. उसे यह करता देख राजेश ने कहा, ‘‘बहुत बढि़या, तुम्हें यह काम भी आता है, यह तो मु?ो पता ही न था. हमारी आयरन पर भी जरा एक नजर डाल लो.’’
सीमा ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘जरूर, मैं वह भी कर दूंगी पर फिलहाल आप मु?ो एक स्क्रूड्राइवर और थोड़ा टेप खोज कर दीजिए.’’ जब तक राजेश स्क्रूड्राइवर खोज कर लाता, सीमा ने मिक्सी को उठा कर देखा और कहा, ‘‘आंटी, तार जलने में न तो मिक्सी का दोष है और न ही इलैक्ट्रिशियन का. इस के हवा के सारे छेद बंद हो गए हैं और इस वजह से मिक्सी गरम हो कर खराब हो जा रही है. कोई पुराना टूथब्रश मिलेगा क्या?’’
5 मिनट के अंदर सीमा ने तार का जला हुआ हिस्सा वापस जोड़ दिया और मिक्सी की पूरी सफाई कर डाली. ‘‘लीजिए आंटी, आप की मिक्सी फिर से सेवा में हाजिर है.’’ सुलोचना ने जैसे ही मिक्सी का बटन दबाया, मिक्सी चल पड़ी. ‘‘अरे मिक्सी की आवाज भी बहुत कम हो गई, बहुत अच्छे.’’
‘‘और क्या आंटी, आज के जमाने में इतनी बढि़या मिक्सी नहीं मिलती. आप इस का वजन तो देखो, असली तांबे के तारों से इस की मोटर बनी है.’’ अपनी प्यारी मिक्सी की तारीफ सुन कर सुलोचना प्रसन्न हो गई और बोली, ‘‘चलो बेटी, तुम बाहर सब के साथ बैठो, यहां गरमी में परेशान न हो, मैं अभी आती हूं.’’
‘‘नहीं आंटी, मैं भी आप का साथ देती हूं. मु?ो भी समोसे बनाना आ जाएगा.’’ सीमा के हाथों में गजब की फुरती थी और सुलोचना के बताए तरीके से उस ने फटाफट समोसे बना डाले. दोनों नाश्ते की प्लेटें ले कर बाहर आईं. राजेश जा कर मनोरमा को बुला लाया और सभी ने अच्छे से नाश्ता किया. मनोरमा ने सीमा से बातें तो थोड़ी ही कीं लेकिन उसे लगातार देखती जरूर रहीं.
‘‘अच्छा आंटी, 8 बज गए हैं, मैं चलती हूं. आप सभी के साथ बातों में सवा घंटा कैसे निकल गया, पता ही न चला.’’
‘‘क्या खाना नहीं खाओगी, सीमा?’’
‘‘नहीं आंटी, खाना तो मेरा घर पर तैयार पड़ा होगा. फिर कभी प्रोग्राम बनाती हूं.’’ और सब को नमस्कार कर सीमा निकल पड़ी.