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सीमा के जाने के बाद सुलोचना और गीता ने एकसाथ उस की बड़ाई करनी शुरू कर दी. वास्तव में दोनों ने अपनी आंखों से सीमा की कुशलता और सुंदरता को देख लिया था और अभी तक उन्होंने राजेश के लिए जितने भी रिश्ते देखे थे, उन की तुलना में सीमा उन्हें बहुत ही बेहतर लगी.

गीता ने कहा, ‘‘दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी बन पड़ेगी, मनोहर भैया. अब तो चट मंगनी पट ब्याह कर डालो.’’

उन की बातें सुन कर राजेश ने कहा, ‘‘बूआजी, मैं आप को सीमा के बारे में कुछ और भी बताना चाहता हूं. ऐसा करें, हम डिनर के बाद बात करते हैं वरना दादी को सोने में देर हो जाएगी.’’ राजेश की बात सुन कर सुलोचना और गीता चकरा गए, फिर भी उन्होंने कहा, ‘‘ठीक है, तुम लोग चेंज कर के आओ. 9 बजे खाना टेबल पर तैयार रहेगा.’’

खाना बनातेबनाते सुलोचना और गीता के दिमाग में प्रश्न ही प्रश्न चक्कर लगा रहे थे. एक बात तो स्पष्ट थी कि बात गंभीर ही है और राजेश दादी के सामने इस विषय पर चर्चा नहीं करना चाहता है. खाने का काम 9:30 बजे पूरा हुआ और मनोरमा अपने कमरे में चली गई.

‘‘हां बेटा राजेश, बोलो, क्या सरप्राइज दे रहे हो?’’ मनोहर लाल ने जबरन अपने चेहरे पर मुसकान लाते हुए वातावरण को हलका करने की चेष्टा की हालांकि उन का मन भी अंदर से धकधक कर रहा था कि राजेश पता नहीं क्या बात बताने वाला है. वास्तव में राजेश ने जो कहा वह सुन कर सब का दिमाग घूम गया. राजेश ने कहा, ‘‘मां, सीमा एक विधवा है. आज से 2 साल पहले इस का विवाह यहीं इंदौर में धूमधाम से एक व्यवसायी परिवार में हुआ था. देररात तक विवाह की रस्में पूरी करने के बाद बरात सवेरे ग्वालियर पहुंची. बहू का गृहप्रवेश करवाया गया. बराती अपनेअपने सामान को सजाने में जुट गए और लड़कियां सीमा से बातें करने में.

‘‘सीमा का पति भी वहीं बारबार आजा रहा था और लड़कियां उस का मजाक उड़ा रही थीं, ‘अरे भैया, कुछ देर हम भी तो बातें कर लें, आप के पास तो यह हमेशा रहने वाली है, आप को इतनी क्या जल्दी है?’

‘‘इतने में सीमा की सास ने सीमा के पति को आवाज दी, ‘अरे बेटा, शादी की मिठाई ले कर ज्ञानदेव बाबा के आश्रम चला जा.’

‘‘उस परिवार में ज्ञानदेव बाबा को महान पुरुष माना जाता था और घर का हर काम उन के आदेशों पर ही होता था. ‘मां, मैं तो बहुत थका हुआ हूं. क्या अभी जाना जरूरी है? शाम को तो सीमा को ले कर वहां बाबा का आशीर्वाद लेने जाना ही है.’

‘‘सीमा की सास ने गरम होते हुए कहा, ‘और अगर ज्ञानदेव बाबा को पता चल गया कि बरात सवेरे आई लेकिन मिठाई उन के यहां शाम को पहुंची है तो क्या वे बासी मिठाई पर नजर भी डालेंगे? बैठ जा मुन्नू के पीछे मोटरसाइकिल पर और मिठाई पहुंचा कर आजा.’

‘‘पीछे से लड़कियों ने आवाज लगाई, ‘हां ताई, भैया को भाभी से बातें करनी हैं, इसलिए इन्हें वहां जाने में आलस आ रहा है.’ ‘‘सीमा का पति ?ोंपते हुए मिठाई के थैले ले कर अपने चचेरे भाई के पीछे मोटरसाइकिल पर बैठ गया.

‘‘घंटेभर बाद दरवाजे पर काफी आवाज हुई. जब लोगों ने दरवाजे पर पुलिस को खड़ा देखा तो सब के होश गुम हो गए.

‘‘पता चला कि आधी नींद में मोटरसाइकिल चलाता हुआ मुन्नू ज्ञानदेव बाबा के आश्रम के बाहर एक ट्रक से टकरा गया था. मुन्नू बुरी तरह घायल हो गया था और सीमा का पति, जिस ने अपनी नवविवाहिता पत्नी की शक्ल तक ठीक से नहीं देखी थी, आश्रम के दरवाजे के सामने निर्जीव पड़ा था. घर में हाहाकार मच गया. चारों ओर रोनेधोने की आवाज गूंजने लगी.

‘‘सीमा तो यह खबर सुनते ही बेहोश हो गई. जब उसे होश आया तो उस के आसपास कोई न था. किसी ने यह देखने की जरूरत न सम?ा कि सीमा पर क्या गुजर रही होगी.

‘‘दोपहर तक सीमा कमरे में एक जिंदा लाश की तरह पड़ी रही. करीब 3 बजे उस के भाई ने कमरे में कदम रखा. भाई को देखते ही सीमा चीख कर भाई से लिपट गई और फूटफूट कर रोने लगी. ‘‘पता चला कि सीमा के पति की मृत्यु की खबर मिलते ही सीमा के ससुर ने उन के घर फोन किया और कहा कि वे आ कर सीमा को ले जाएं.

‘‘रोतीबिलखती सीमा जब घर से निकल रही थी तब घर का कोई सदस्य न तो उसे संभालने आया, न किसी के मुंह से उस के लिए सहानुभूति के दो शब्द निकले. गनीमत यही थी कि किसी ने उसे कोसा नहीं, कम से कम उस के सामने तो नहीं. ‘‘अगले दिन सीमा की ससुराल वालों ने उस का सारा सामान वापस भेज दिया और हमेशा के लिए रिश्ता खत्म कर लिया.

‘‘सुनने में आया कि ज्ञानदेव बाबा ने इस हादसे की जिम्मेदारी सीमा के सिर पर थोपी थी न कि सीमा की सास की बेवकूफी पर जिस ने बच्चों को जिद कर कर बाबा को मिठाई पहुंचाने भेजा था जबकि वह पूरी रात सोए न थे और थके हुए थे.

‘‘धीरेधीरे सीमा ने खुद को संभाला. किसी तरह उसे अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई जिस से उस का समय गुजरने लगा और बीती बातों को भूलने में मदद मिली. अक्लमंद और मेहनती तो वह थी ही, जल्दी ही कंपनी में उस का कन्फर्मेशन भी हो गया. कहते हैं न, समय सब घावों को भर देता है.

‘‘मैं जब हैदराबाद से इंदौर वापस आया तो संयोगवश मेरी पोस्ंिटग उसी डिपार्टमैंट में हुई जहां सीमा काम करती थी. मैं सीमा की मेहनत से बहुत प्रभावित हुआ क्योंकि सीमा अकेले ही उस के 2 मातहतों के जितना काम कर लेती थी और मु?ो कभी सीमा के काम में गलतियां नहीं मिलीं.

‘‘काम के मामले में सीमा से मेरी रोज ही बात हो जाती थी. धीरेधीरे मु?ो सीमा अच्छी लगने लगी और मैं उसे भावी जीवनसंगिनी के रूप में देखने लगा. तब तक मु?ो भी सीमा के जीवन का यह अध्याय पता नहीं था. जब मैं ने सीमा के प्रमोशन की सिफारिश एचआर डिपार्टमैंट से की तब मु?ो सीमा के जीवन में घटी इस दुर्घटना का पता चला.’’

यह सब बता कर राजेश ने कहा, ‘‘पापा, मम्मी, बूआजी, अब निर्णय आप लोगों के हाथों में है. मु?ो जो कुछ पता था, वह मैं ने आप को साफसाफ बता दिया है. बाकी आप किसी भी तौर पर देखें तो सीमा मेहनती है, गुणवती है और मु?ो बहुत पसंद भी है. उस का छोटा सा परिवार उस से बहुत स्नेह करता है और उस के भाईभाभी उसे बहुत अच्छी तरह रखते हैं. उस पर दूसरी शादी करने का परिवार वालों की तरफ से कोई दबाव नहीं है और आर्थिक रूप से भी वह स्वतंत्र है.’’

‘‘नहीं बेटा, यह तू क्या कह रहा है. यह कैसे हो सकता है?’’ सुलोचना और गीता दोनों के मुंह से यही शब्द साथसाथ निकले. गीता ने कहा, ‘‘हमारा इकलौता बेटा एक विधवा से शादी करेगा, अरे बेटा, दुनिया में लड़कियों की क्या कमी है? मैं एक से एक रिश्ते तेरे लिए खोज कर लाऊंगी. मानती हूं कि सीमा बहुत सुंदर भी है और गुणवती भी, लेकिन दुनिया में और भी ऐसी लड़कियां मिलेंगी और वे भी कुंआरी.’’

सभी ने मनोहर लाल की तरफ देखा तो उन का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था. उन्होंने लगभग गुर्राते हुए कहा, ‘‘हरगिज नहीं, यह कभी नहीं होगा. तु?ो कुछ हो गया तो?’’ मनोहर लाल का रुख गीता और सुलोचना से भी ज्यादा कड़ा था.

‘‘पर पापा,’’ राजेश कुछ कहना चाहता था पर उस की बात काटते हुए मनोहर लाल बोले, ‘‘और तू ने यह सोचा है नालायक कि मां क्या कहेगी? मां की उम्र का पता है तु?ो? अगर यह बात उन्होंने सुन भी ली तो उन की तबीयत बिगड़ सकती है. अगर उन्हें कुछ हो गया तो मैं अपने हाथों से तेरा गला दबा दूंगा.’’ ‘‘अरे, आप धीरे तो बोलिए. आप की आवाज से ही मांजी की नींद खुल जाएगी,’’ सुलोचना ने कहा.

 

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