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राजेश और गीता कुछ बोलने लगे, इतने में मनोरमा के कमरे का दरवाजा खुला. सभी लोग बोलतेबोलते चुप हो गए. ‘‘राजेश, इधर मेरे कमरे में आओ. तुम सब यहीं बैठो और हमारा इंतजार करो,’’ मनोरमा ने बहुत पहले की कड़क आवाज में जब यह कहा तो किसी के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला.

करीब 15 मिनट बाद मनोरमा राजेश के साथ बाहर निकलीं और आ कर सब के साथ सोफे पर बैठ गईं. राजेश के चेहरे पर कोई भाव नहीं था. गीता, सुलोचना और मनोहर लाल एकटक मनोरमा की ओर देख रहे थे.

मनोरमा ने कहा, ‘‘राजेश की शादी सीमा के साथ ही होगी. मु?ो यह जान कर बहुत खुशी है कि राजेश ने अपने लिए बिलकुल उपयुक्त पत्नी खोज ली है जो हम सब मिल कर भी कभी न कर पाते.’’

‘‘मां, आप क्या कह रही हो,’’ मनोहर लाल बोले, ‘‘आप को पता है, सीमा एक विधवा है? हम एक विधवा को बहू बना कर लाएं, यह कैसे हो सकता है? लोग क्या कहेंगे? आप दुनिया की बातें, शगुनअपशगुन, रीतिरिवाज का कुछ तो खयाल करो.’’

मांबेटे के विरोधी विचार देख सुलोचना और गीता को चुप रहने में ही भलाई लगी. मनोहर लाल की बात सुन कर मनोरमा 2 मिनट बिलकुल शांत रहीं. इस के बाद उन्होंने जो कहा, वह घर के सभी सदस्यों के लिए राजेश की बातों से भी ज्यादा चौंकाने वाला था. ‘‘बेटा मनोहर, तू भी एक विधवा मां की संतान है.’’ मां की बात सुन कर मनोहर लाल को लगा कि मनोरमा अपने खुद के बारे में बोल रही हैं. ‘‘मां, पिताजी का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया तो वह बिलकुल अलग बात है.’’

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