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‘‘अच्छे दिनों का तो पता नहीं, लेकिन मैं इतना जरूर जान गया हूं कि इस लाइन में कोई सुरक्षित भविष्य नहीं है. आज पता है, क्या हुआ?’’

‘‘क्या हुआ नकुल?’’ मन्नो ने जिज्ञासावश पूछा.

‘‘आज मेरे काम का टार्गेट पूरा होने ही वाला था कि तभी अचानक से कंप्यूटर ने दिखाया कि मैं अभी टार्गेट पूरा करने से दूर हूं. एक पुराने सहकर्मी ने मु?ो बताया कि इन लोगों के पास एक ऐसा सौफ्टवेयर है जो पूरे होते टार्गेट को अधूरे में बदल देता है. ऐसे में तो इन लोगों के लिए काम करना बिलकुल बेकार है. यहां अपनी दिनरात की हाड़तोड़ मेहनत की कोई वैल्यू

ही नहीं. यह तो कोरी गुलामी से

कम नहीं.’’

‘‘चलोचलो, नकुल, बहुत रात हो गई है. अब सो जाओ. इस बात पर कल सोचेंगे,’’ मन्नो ने नकुल को अपने पास खींचते हुए कहा.

अगले दिन सुबह से मौसम खराब था. रहरह कर बारिश हो रही थी. शाम से जो मूसलाधार बारिश हुई, देररात तक चालू रही. रात को एक बजने को आया था. नकुल का कहीं अतापता नहीं था. उस का मोबाइल भी बंद आ रहा था. मन्नो हैरानपरेशान बिस्तर पर करवटें बदल रही थी कि तभी बरसात में बुरी तरह से भीगा हुआ नकुल घर में घुसा. उस ने हाथ में पकड़ा एक पैकेट उस की ओर बढ़ाया और मुदित तनिक हंसते हुए उस से कहा, ‘‘देख, इस में क्या है?’’

‘‘ओह नकुल, जल्दी से कपड़े बदलो, नहीं तो बीमार पड़ जाओगे,’’ बोलते हुए जो मन्नो ने पैकेट खोला, वह उत्तेजित हो खुशी से चिल्ला उठी, ‘‘अरे वाह, मेरी पसंद के नर्गिसी कोफ्ते और दाल मखनी लाए हो. आज कौन सी लौटरी लग गई तुम्हारी कि इन सब का जुगाड़ कर लिया?’’

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