बहुत भागादौड़ी के बाद नकुल को एक नामी फूड स्टोर में डिलीवरी बौय की नौकरी मिल गई. जिस दिन नकुल अपनी पहली कमाई ले कर मामा के घर में बेइंतिहा खुशी से उमगते हुए घुसा, मामी ने उन्हें फरमान सुना दिया कि अब वे अपने रहने का कहीं और इंतजाम कर लें. दोनों पर जैसे गाज गिरी. उस की छोटी सी कमाई में अपनी अलग गृहस्थी बसाना आसान न था.
बड़ी मुश्किल से शहर की कच्ची बस्ती में एक छोटी सी 10 बाई 12 फुट की खोली का बंदोबस्त हुआ और दोनों पतिपत्नी उस में शिफ्ट हो गए. मकान का इंतजाम हो गया था, अब रोटी जुटाने की जद्दोजेहद बाकी थी.
दोनों को ही रत्तीभर भी गुमान न था कि महज एक जने की कमाई से दालरोटी जुटाना उन के लिए टेढ़ी खीर होगा. सो, मन्नो ने भी नौकरी के लिए हाथपांव मारने शुरू कर दिए. बहुत भागादौड़ी के बाद मन्नो को एक डिपार्टमैंटल स्टोर में सेल्सगर्ल की नौकरी मिल गई.
उस की नौकरी के बाद दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हुआ. लेकिन जिंदगी की इस संघर्षभरी आपाधापी में उन की जिंदगी से मुहब्बत की चिडि़या फुर्र हो चुकी थी.
दोनों ही तड़के काम पर निकल जाते और देररात घर में कदम रखते. उन की जिंदगी से प्याररोमांस हवा हो चुके थे.
तभी दूर कहीं रेलगाड़ी की सीटी से उस का ध्यान टूटा और वह वर्तमान में लौटी.
मन का गुस्सा आंसुओं के साथ बह चुका था और इसी के साथ उसे वास्तविकता का एहसास हुआ. वह सोच रही थी, ‘नाहक ही नकुल पर गुस्सा हुई.’