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रमाकांत और शिल्पा ने भोजन किया और एक लिफाफा ले कर अमित के पास गए. अमित ने लिफाफा देखते हुए कहा,"अंकल, यह क्या? इस की क्या जरूरत है. आप ने शायद व्हाट्सऐप पर निमंत्रण पत्रिका के नीचे लिखी हुई टिप्स ठीक से नहीं पढ़ी हैं, जिस में लिखा था कि कोई उपहार न लाएं. अगर कोई कुछ देना ही चाहें तो उस के लिए मैं ने अपने ‘गुगल पे अकाउंट’ की डिटैल्स लिखी है. अंकल, प्लीज यह लिफाफा आप रख लीजिए. मैं अब यह कैश कहां सभालूंगा। कल सुबह 4 बजे की फ्लाइट से मुझे दिल्ली जाना है. कंपनी के एक नए प्रोजैक्ट के लिए यूएस से आने वाले डैलिगेशन के साथ हमारी मिटिंग है.“

रमाकांत ने लिफाफा जेब के हवाले करते हुए कहा,"कोई बात नहीं, मैं लिफाफे की रकम ‘गुगल पे’ से तुम्हारे अकाऊंट में जमा करवा दूंगा.”

रमाकांत और शिल्पा ने भोजन किया फिर आलोक से मिल कर उसे दूसरे दिन अपने घर आने का निमंत्रण दिया और अमित से विदा लेने के लिए स्टेज पर चले गए. अमित अपने करीबी दोस्तों से घिरा हुआ था. रमाकांत को देखते ही अमित ने अपने दोस्तों को दूर होने का इशारा किया.

“अमित, हम अब निकलते हैं। विवाह की शुभकामनाएं और सुनो, हनीमून से लौटने के बाद अगर समय मिले तो दोनों एक दिन हमारे घर पर आना, हमें अच्छा लगेगा।"

“थैंक यू अंकल, फिलहाल तो हम दोनों बहुत बिझी हैं, हनीमून की भी अभी कोई प्लानिंग नहीं है. मैं कल दिल्ली जा रहा हूं और नेहा को कल ही कंपनी में प्रोजैक्ट का प्रेजैंटेशन देना है. जब समय मिलेगा तब हम आप के घर जरूर आएंगे," कहता हुआ अमित फिर से दोस्तों की भीड़ में शरीक हो गया.

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