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एक बार तो दरवाजे पर ताला दिखाई दिया था तो दूसरी बार बहुत देर तक बेल बजाने के बाद भी फ्लैट का दरवाजा नहीं खुला तो रमाकांत हताश हो कर लौट आए थे. फोन पर जरूर सप्ताह में 1-2 बार अमित से रमाकांत की बात हो जाती थी. धीरेधीरे दोनों के बीच बातचीत भी कम हो गई। अब व्हाट्सऐप पर कभीकभार संदेशों का आदानप्रदान होने लगा. अमित कभी रमाकांत से मिलने के लिए उन के घर नहीं जाता था.

करीब 2 साल के बाद एक दिन अचानक अमित रमाकांत के घर पहुंचा, रमाकांत को बहुत ताज्जुब हुआ। “अंकल, यह लो मुंह मीठा करो…”

“किस खुशी में मिठाई खिला रहो हो अमित…” रमाकांत ने पूछा.
“अंकल, मैं शादी कर रहा हूं।”

“ वाह, बधाई हो। कहां की लड़की है? आलोक और मोहिनी ने पसंद की या तुम्हारी अपनी पसंद है?” रमाकांत ने जिज्ञासा व्यक्त करते हुए पूछा.

“अरे, अंकल इस की क्या जरूरत है… एक साईट पर उस को देखा था, फिर चैटिंग शुरू हो गई। उस ने अपना वीडियो भेजा और मैं ने अपना। बस, हम एकदूसरे को पसंद आ गए. हम दोनों के प्रोफाइल भी मैच हो गए, बस बात फाइनल हो गई.“

“वाह, यह तो बहुत अच्छी बात है, अमित। अब एक बार ‘अपनी पसंद’ के साथ गांव चले जाओ, ताकि आलोक और मोहिनी भी ‘तुम्हारी पसंद’ देख लें.”

“इस की क्या जरूरत है अंकल, मैं ने व्हाट्सऐप पर नेहा की तसवीर भेज दी है और मम्मीपापा को नेहा का प्रोफाइल भी ईमेल से भेज दिया है…”

“वह तो ठीक है, पर एक बार नेहा को ले कर गांव चले जाते तो आलोक और मोहिनी को अच्छा लगता और दोनों अपनी होने वाली बहू को देख लेते…”

अमित बीच में ही रमाकांत की बात काटते हुए मुसकरा कर बोला, “अंकल, अभी तक तो हम दोनों भी एकदूसरे से नहीं मिले हैं, बस वीडियो कौल करते रहते हैं. अभी हम दोनों इतने व्यस्त हैं कि हम गांव नहीं जा सकते हैं, फिर मम्मीपापा शादी में आएंगे तब नेहा को देख ही लेंगे न…”

रमाकांत आश्चर्यचकित हो कर अमित की बातें सुन रहे थे। थोड़े से विराम के बाद पूछा,”ठीक है, पर शादी के कार्ड वगैरह कौन छपवा रहा है? तुम और नेहा बहुत बिझी हो तो आलोक यह काम कर सकता है। मेरे बेटे की शादी का कार्ड आलोक ने ही पसंद किया था। आलोक द्वारा पसंद किया हुआ कार्ड सभी को बहुत अच्छा लगा था. आलोक की चौइस बहुत लाजवाब है अमित.”

“ओह, अंकल, आप किस जमाने में जी रहे हैं…आज इतना समय किस के पास है कि बाजार में जा कर 10 दुकानों पर शादी के कार्ड पसंद करते हुए दिनभर घूमते रहें। अंकल, व्हाट्सऐप पर सभी को इन्वीटेशन भेज दूंगा…”

“और शौपिंग? फिर नेहा के साथ सिनेमा, नाटक आदि देखना, चौपाटी पर घूमना… भेलपूरी खाना…” रमाकांत ने मजाकिया मूड में पूछा.

“अंकल, आप भी न… कैसे आउटडेटेड सवाल पूछ रहे हैं…आजकल शौपिंग के लिए कौन बाजार में थैले लटकाए घूमता है, हम तो औनलाइन शौपिंग करने वाले हैं. हम नई फिल्म रिलीज होते ही डाउनलोड कर लेते हैं फिर जब समय मिलता है तब आराम से देख लेते हैं. अंकल, आजकल नाटक, सिनेमा सबकुछ यूट्यूब पर मिल जाते हैं, बाहर जा कर देखने की क्या जरूरत है और चौपाटी पर घूमने के लिए वक्त किस के पास है।

“मैं ने बताया न कि हम दोनों के पास बिलकुल समय नहीं है, दोनों अपनीअपनी कंपनी के एक बहुत ही जरूरी प्रोजैक्ट में बिजी हैं.“

रमाकांत कुछ और पूछने के मूड में थे मगर तभी अमित घड़ी देखते हुए उछल पड़ा,”ओह, मेरी पोस्ट लंच वेब मिटिंग का टाइम हो गया है। नाऊ आई हेव टू फ्लाई अंकल.”

रमाकांत की समझ में कुछ आए, इस से पहले अमित धनुष से छूटे तीर की तरह घर से बाहर निकल गया. कुछ ही दिनों बाद रमाकांत को व्हाट्सऐप पर अमित की शादी का आमंत्रण मिला. रमाकांत और शिल्पी विवाह समारोह में पहुंचे तो उन्हें बहुत ताज्जुब हुआ। शादी में केवल 25-30 लोग ही उपस्थित थे. रमाकांत की नजरें आलोक और मोहिनी के ढूंढ़ रही थीं, दोनों एक कोने में रखे सोफे पर मेहमानों की तरह बैठे हुए थे। रमाकांत को देखते ही आलोक के शुष्क अधरों पर धीमी सी मुसकराहट ऐसे फैल गई मानो किसी ने उन्हें जबरदस्ती से मुसकराने के लिए कह दिया हो. इस समय रमाकांत ने आलोक से केवल औपचारिक बात करना उचित समझा.

रमाकांत और आलोक के बीच बात हो ही रही थी कि अमित आ गया.
अमित को देख कर रमाकांत ने कहा,”अमित, शादी में बस इतने ही लोग… इतने तो हमारे घर के ही हो जाते हैं. तुम्हें शायद याद होगा कि अतुल के विवाह में 1,100 लोग आए थे, हमारे कुछ रिश्तेदार और दोस्त किसी कारणवश आ नहीं सके थे वरना 100-200 लोग और बढ़ जाते.”

“अंकल, बहुत से रिश्तेदारों और दोस्तों ने मेरे व्हाट्सऐप निमंत्रण को देख कर शुभकामनाएं और बधाई संदेश व्हाट्सऐप से ही भेज दिए हैं। शायद उन्हें बुरा लगा होगा, पर क्या करें, आजकल समय किस के पास है. अंकल, इस हाइटेक युग में हरेक के घर जा कर निमंत्रण देना मुझे तो प्रैक्टिकल नहीं लगता है. मेरा यह मानना है कि शादी का मतलब किसी मेले का आयोजन करना तो नहीं है जहां केवल लोगों की भीड़ ही भीड़ नजर आएं।“

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