काफी देर तक वह बातें करती रही. अनन्या ईशा के पास आ गई और बोली, “कैसे हैं हमारे जीजू?” “तुम खुद ही देख लेना.” “वह तो मैं देख लूंगी. तुम भी तो कुछ बताओ.” “मुझे तो वे बहुत अच्छे लगे. वे बहुत सुलझे हुए हैं. वे किसी से ज्यादा बात नहीं करते.”
“अभी बात करने में डरते होंगे. धीरेधीरे तुम से और हम से भी उन की खूब बातें होने लगेंगी. और कौनकौन आ रहा है?” अनन्या ईशा को चिढ़ाते हुए बोली.
“सब आ रहे हैं. मामा के दोनों बेटे और बुआ की दोनों लड़कियां कल तक पहुंच जाएंगे. तुम्हारे आने से घर में शादी के माहौल की शुरुआत हो गई है.”
बातें करते हुए रात हो गई थी. हिना ने कहा, “दी, मेरे लिए अलग कमरे की व्यवस्था कर देना.” “तुझे कहने की जरूरत नहीं है. मैं जानती हूं कि तू क्या चाहती है? मैं ने तेरे लिए पहले से ही व्यवस्था कर दी है. तुम और अनन्या ऊपर के कमरे में आराम से रहना.”
“थैंक्यू दी,” कह कर हिना अनन्या के साथ वहां आ गई. उन्होंने अच्छे से अपना सामान व्यवस्थित कर लिया. हिना ने हमेशा की तरह यहां आ कर अनन्या को ढ़ेर सारी नसीहतें दे डालीं.
“मम्मी प्लीज, मैं कोई बच्ची नहीं हूं. 16 साल की हो गई हूं. मुझे भी अपने भलेबुरे की पहचान है.” “जानती हूं, फिर भी मैं कुछ मामलों में बिलकुल रिस्क नहीं उठा सकती.” “इस में रिस्क की क्या बात है? हम सब आपस में रिश्तेदार हैं.”
“तुम नहीं समझती अनन्या. बस मेरी बात मान लो. मैं जानती हूं कि तुम्हें यह सब देखसुन कर बुरा लगता है, फिर भी इस से आगे कुछ मत कहो और इस टौपिक को यहीं खत्म कर दो.”
अपना सामान व्यवस्थित कर के वह राशि दी के पास चली गई. राशि दी एकएक कर के उसे शादी का सामान दिखा रही थीं और अनन्या उस पर अपनी टिप्पणियां दे रही थी. उस के बाद वह ईशा के साथ आ गई.
खाना खाने के बहुत देर बाद अनन्या मम्मी के पास आई. हिना उस समय राशि के साथ बातें कर रही थी. बातें तो एक बहाना था. दरअसल, वह उसी के आने का इंतजार कर रही थी. दोनों कमरे में आ कर कुछ देर बातें करते रहे और फिर आराम से सो गए.
अगले दिन सुबह से ही मेहमानों का आनाजाना शुरू हो गया था. राशि दी के परिवार में यह पहली शादी थी. सारे रिश्तेदार शादी में शामिल होने सपरिवार आए थे. बुआ, मौसी, चाचा, ताऊ और छोटे दादाजी सब अपने परिवार के साथ पहुंच गए थे. घर पर रिश्तेदारों का मेला लग गया था. सभी के बच्चे जवान थे. कुछ की शादी हो चुकी थी और उन के साथ छोटे बच्चे भी आए हुए थे. यह सब देख कर राशि दी बहुत खुश थीं. वह खुद भी बहुत व्यवहारकुशल थी. हरेक के सुखदुख में शामिल होने वह सब से पहले पहुंच जाती. इसी वजह से सभी लोग ईशा की शादी में एक दिन पहले ही पहुंच गए थे.
सुबह से ही घर में शादी की रस्में चल रही थीं. हिना राशि दी के साथ हर काम में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही थी. अनन्या कजिन के साथ बातों में व्यस्त थी. सब अपने कामों में लगे थे. जवान लड़कियों को सजनेसंवरने और शाम को होने वाले महिला संगीत में विशेष रुचि थी. उन्होंने पहले से ही प्रोग्राम बना लिया था कि सुंदरकांड और कीर्तन खत्म होने के बाद सब मिल कर खूब धमाल मचाएंगे. इस के लिए वे दिनभर से तैयारी कर रहे थे.
शाम हुई. सुंदरकांड के पाठ, कीर्तन और अच्छेखासे जलपान के बाद अधिकांश अपने घर चले गए. अब युवाओं की महफिल सजने लगी थी. डैक पर नए गाने बज रहे थे और उस की धुन पर सभी युवा थिरक रहे थे. उस में पासपड़ोस के युवा भी शामिल थे.
आए हुए युवा मेहमानों के कुछ दोस्त भी शादी में शिरकत कर रहे थे. अनन्या गुलाबी लहंगे में बहुत खूबसूरत लग रही थी. उस की दीपक मामा के बेटे सिद्धार्थ से बहुत अच्छी पटती थी. वे दोनों साथ मिल कर दिनभर से प्रैक्टिस कर रहे थे. शाम को उन का प्रदर्शन सब से अच्छा था. सब उन्हें बधाई दे रहे थे.
हिना को यह कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा. रात को खाना खाने के बाद उन्होंने और भी प्रोग्राम बना लिए थे.रात के 12 बज चुके थे. सब लोग सोने की तैयारी करने लगे. कल के जश्न के लिए सभी को रात देर तक उठे रहना था. हिना अभी तक युवाओं के साथ बैठी हुई थी. सिद्धार्थ बोला, “बुआ तुम भी सो जाओ. थोड़ी देर और मस्ती कर के हम सब भी सोने चले जाएंगे.”
“मुझे नींद नहीं आ रही है. तुम लोगों के कार्यक्रम बहुत अच्छे लग रहे हैं. ऐसा मौका बारबार कहां मिलता है?””जैसी आप की इच्छा. मुझे लगा शायद आप जबरदस्ती यहां बैठी हैं.” उस की बात सुन कर अनन्या ने एक नजर मम्मी पर डाली, लेकिन बोली कुछ नहीं. वह अच्छे से जानती थी कि मम्मी उसी की वजह से इतनी रात तक जागी हुई हैं, अन्यथा वे रोज 10 बजे ही सोने चली जाती हैं. हिना के साथ के सभी लोग सोने जा चुके थे. एकमात्र वही थी, जो उन युवाओं के बीच बैठ कर उन के कार्यक्रमों का मजा ले रही थीं.
रात के एक बजे कार्यक्रम खत्म हुए और सब अपनेअपने कमरों में सोने चले गए. अनन्या भी मम्मी के साथ कमरे में आ गई. हिना को लग रहा था, आज उस के कारण शायद वह आहत हुई है. हिना बोली, “सो जा बेटा. कल भी तुम्हें सारी रात जागना है.”
“नींद की जरूरत मुझ से ज्यादा आप को है मम्मी. आप की नींद पूरी न हो तो आप सुबह बड़ी चिड़चिड़ी सी हो जाती हैं. क्या जरूरत थी इतनी देर तक वहां बैठे रहने की?”
“मुझे तुम्हारा डांस बहुत अच्छा लग रहा था.” “ज्यादा बहाने बनाने की जरूरत नहीं है मम्मी. मुझे सब पता है कि आप मेरी चौकीदारी के लिए वहां बैठी थीं ना.” “ऐसा क्यों सोचती है तू?मुझे तेरी चिंता रहती है बस.” “ऐसी चिंता किस काम की, जिस पर मम्मीपापा चौकीदार नजर आने लगे.”
अनन्या की बात पर हिना कुछ नहीं बोली और चुपचाप बिस्तर पर लेट गई. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वे अनन्या को किस तरह समझाएं. आज के जमाने में युवा लड़कियों को जितना खतरा बाहर से है, उस से अधिक खतरा अपने लोगों से है. बाहर वालों के खिलाफ तो खुल कर आवाज उठाई जा सकती है, लेकिन घर वालों के खिलाफ मुंह खोलने के लिए बहुत अधिक साहस चाहिए.
यह सोच कर वह अतीत में गोते लगाने लगी. वह बचपन से मम्मीपापा के साथ कानपुर में रहती थी. शहर के नजदीक होने की वजह से उन के घर मेहमानों का आनाजाना लगा रहता. ताऊजी, चाचाजी, बुआजी, मामाजी व अन्य दूर के सभी रिश्तेदार अकसर मम्मीपापा से मिलने आ जाते. कभी कोई बीमार पड़ता है, तो वह उन्हीं के घर पर महीनों तक डेरा डाल लेता.