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मम्मी के बड़े भाई गणेश मामा के 2 जवान बेटे थे. उन में से बड़े बेटे शेखर की कम उम्र में ही शादी हो गई थी और वे एक कंपनी में नौकरी करते थे. जबकि छोटा बेटा अभी पढ़ाई कर रहा था. वह हिना के बड़े भाई रमेश का हमउम्र था. बचपन से  हिना उन के साथ घुलीमिली थी. अकसर वे उन के घर आतेजाते रहते. गणेश मामा कानपुर में ही रहते थे. मम्मी अपने भतीजों का बहुत ध्यान रखती.

एक बार शेखर की तबीयत खराब हो गई. उन के फेफड़ों में पानी भर गया था. मामा को शेखर की देखभाल करने में परेशानी हो रही थी. यह देख कर मम्मी ने उन्हें अपने घर पर बुला लिया, जिस से उन की ठीक से हिफाजत हो सके.

शेखर की उम्र तकरीबन 26 साल की थी और वे एक बच्चे के पिता भी बन चुके थे. उन की पत्नी रूपा मामी गांव में थी. मम्मी ने बड़े भइया का कमरा उन्हें दे दिया. वह दिनरात उन की खिदमत में लगी रहती, जिस से वे जल्दी ठीक हो कर नौकरी पर चले जाएं.

हिना और उस का छोटा भाई अरुण एक ही कमरे में अलग बिस्तर पर सोते. मम्मीपापा का अलग कमरा था. हिना के कमरे से लगा हुआ बड़े भइया का कमरा था. गरमियों में मच्छरों के आतंक से बचने के लिए सभी के बिस्तर पर मच्छरदानी लगी रहती.

एक दिन उस ने महसूस किया कि रात में कोई उस की मच्छरदानी खींच रहा है.  कुछ देर बाद एक हाथ मच्छरदानी के अंदर उस के पैरों तक पहुंच गया. हिना ने पूरा जोर लगा कर उसे झटक दिया. कुछ देर बाद उसे वही हाथ अपने शरीर पर रेंगता हुआ महसूस हुआ. उस ने उस पर दांत गड़ा दिए, तो हाथ तेजी से मच्छरदानी से बाहर निकल गया.

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