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लेखिका- डा. के. रानी

शाम का समय था. राशि दी का फोन आ रहा था. यह देख कर हिना की खुशी का ठिकाना न रहा. वह समझ गई कि जरूर कोई खास बात होगी, जिस की वजह से उन्होंने इस समय फोन किया वरना वह रोज रात 10 बजे फोन करती.

"हैलो दी कैसी हो? आज आप ने इस वक्त फोन कर दिया." " क्या बताऊं, मुझ से सब्र नहीं हो रहा था." "ऐसी क्या बात हो गई?"

"ईशा का रिश्ता पक्का हो गया है. बस चट मंगनी पट ब्याह होना है. आज से ठीक 10 दिन बाद सगाई है और उस के अगले दिन ही शादी है. तुम सब को आना है."

"यह भी कोई कहने की बात है दी. मैं जरूर आऊंगी." "मैं तेरी ही बात नहीं कर रही हूं, बल्कि राजीव, अनन्या और विनय को भी आना है." "राजीव की मैं कह नहीं सकती. विनय के अगले महीने इम्तिहान हैं. एक को  उस के साथ घर पर रहना होगा. मैं और अनन्या जरूर आएंगे. यह तो पक्का है. कुछ दामाद के बारे में भी बताओ," हिना ने कहा, तो राशि दी फोन पर उसे सारी बातें विस्तार से बताने लगीं.

बातें करते हुए दोनों को एक घंटा हो गया था, तभी अनन्या ने आवाज लगाई, "मम्मी, बाहर कोई आया है आप से मिलने." "अच्छा दी, बाद में बात करती हूं," कह कर उस ने फोन रख दिया. खुशी के मारे उस के पैर धरती पर नहीं पड़ रहे थे.

राशि दी ईशा के रिश्ते को ले कर कब से परेशान थीं. इतना पढ़लिखने के बाद भी उस के लिए कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल रहा था. अब ऊपर वाले ने उन की सुन ली थी और  झट से उस का रिश्ता तय हो गया था. लड़का मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर था. अच्छाखासा परिवार था. वहां कोई कमी नहीं थी.

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