आलसी तो वह हद दर्जे का था. पानमसाला हर समय उस के मुंह में भरा ही रहता.
जुआ खेलना, शराब पीना उस के शौक थे. यहांवहां हाथ मार कर चोरी करता और जुआ खेलता.
उस का भाई भी रात में दारू पी कर आता और गालीगलौज करता.
कुछ पैसे अम्मा ने दिए थे. कुछ उस के अपने थे. वह अपने बक्से में रखे हुए थी. सूरज उन पैसों को चुरा कर ले गया था. एक दिन उस ने अपनी पायल उतार कर साफ करने के लिए रखी थी. वह उस को यहांवहां घंटों ढूंढ़ती रही थी. लेकिन जब पायल हो, तब तो मिले. वह तो उस के जुए की भेंट चढ़ गई थी. यहां तक कि वह उस की शादी की सलमासितारे जड़ी हुई साड़ी ले गया और जुए में हार गया.
अस्तव्यस्त बक्से की हालत देख वह साड़ी के गायब होने के बारे में जान चुकी थी. वह खूब रोई. जा कर अम्माजी से कहा, तो वे बोली थीं, ‘साड़ी ही तो ले गया, तु?ो तो नहीं ले गया. मैं उसे डांट लगाऊंगी.’
उस की शादी को अभी साल भी नहीं पूरा हुआ था, लेकिन उस ने मन ही मन सूरज को छोड़ कर जाने का निश्चय कर लिया था. वह नशे में कई बार उस की पिटाई भी कर के उस के अहं को भी चोट पहुंचा चुका था.
वह बहुत दुखी थी, साथ ही, क्रोधित भी थी. सूरज नशा कर के देररात आया. आज कुछ ज्यादा ही नशे में था. बदबू के भभके से उस का जी मिचला उठा था. फिर उस के शरीर को अपनी संपत्ति सम?ाते हुए अपने पास उसे खींचने लगा. पहले तो उस ने धीरेधीरे मना किया, पर वह जब नहीं माना, तो उस ने उसे जोर से धक्का दे दिया. वह संभल नहीं पाया और जमीन पर गिर गया. कोने में रखे संदूक का कोना उस के माथे पर चुभ गया और खून का फौआरा निकल पड़ा.