Real Vs Fake Eggs : लेखक - डॉ. आलोक खरे - भारत में अंडे के आहार को ले कर जब-तब बहस चलती रहती है. अंडा आखिर है क्या? खाने और न खाने वालों के अपने मत हैं. बावजूद इसके, अंडा आज भी अपनी जगह पर न सिर्फ कायम है बल्कि बड़ी मात्रा में खाया भी जाता है.
अंडा खाने वाले खाते ही हैं, चटकारे ले कर. अंडा करी हो, भुरजी हो, अंडा सलाद हो. सभी को स्वादिष्ठ लगता है. इसे अकेले ही उबाला, तला, भूना जा सकता है. यह किसी बड़े व्यंजन का हिस्सा हो सकता है- आमलेट, सलाद, बेकन, पनीर, हरी मिर्च, काली मिर्च और नमक के साथ. लेकिन कुछ लोग खाते-खाते भी इल्जाम लगाएंगे कि असली अंडा तो देसी मुर्गी का होता है. पोल्ट्री फार्म का अंडा तो नकली होता है. दवाएं, एंटीबौयोक, हार्मोंस वगैरह मुर्गियों को दे कर उत्पादन किया जाता है. गाड़ी ले कर शहर में देशी अंडा ढूंढ़ते रहेंगे लेकिन पड़ोस की दुकान में सस्ता अंडा मिल रहा है, उसे मशीन से निकाला हुआ समझ कर नहीं लेंगे. यह समझ-समझ का फर्क है. मुझे समझते हुए एक समय निकल गया कि दोनों में कोई फर्क नहीं होता. दोनों बराबर हैं. अंतर है तो सिर्फ उत्पादन क्षमता का. यह आनुवंशिकता का कमाल है जो वैज्ञानिकों ने मुर्गियों की उत्पादन क्षमता बढ़ाई है ताकि मुर्गी पालन करने वाले किसानों को आर्थिक लाभ मिल सके. इसलिए आप तो अंडे के व्यंजन खाते रहो. आप को बराबर मात्रा में पोषक तत्व मिलते रहेंगे.
इस से सस्ता प्रोटीन आहार कहां मिलेगा. 60 ग्राम के अंडे में 6 ग्राम प्रोटीन. इस प्रोटीन का जैव मूल्य लगभग 94 प्रतिशत है. इस से अधिक 100 प्रतिशत जैव मूल्य सिर्फ मां के दूध में ही होता है. प्रतिदिन आप के शरीर के प्रति किलोग्राम वजन के हिसाब से एक ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है और पोल्ट्री फार्म का अंडा लगभग एक रुपए प्रति एक ग्राम प्रोटीन के बराबर कीमत में बाजार में मिलता है. इतनी सरल गणित में आप अपने परिवार के सदस्यों को सस्ता प्रोटीन आहार दे सकते हैं. इस से महिलाओं और बच्चों में कुपोषण दूर हो सकता है. समाज में गलतफहमी की वजह से अंडा रंगभेद का भी शिकार होता है. पोल्ट्री फार्म का अंडा सफेद रंग का और देसी मुर्गी का अंडा भूरे रंग का होता है. लोग सिर्फ रंग के आधार पर अंडे में ताकतवर और नकली का निर्णय दे देते हैं. जबकि असलियत यह कि यह रंगभेद सिर्फ अंडे के छिलके का है. अंदर से दोनों में पाए जाने वाले तत्त्व तो बराबर होते हैं.
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