कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

साड़ी तो तू सच में बड़ी सुंदर लाया है. लेकिन इसे भला पहनूंगी कहां, बता?’

‘हम दोनों इतवार को पिक्चर देखने चलेंगे, तब पहनना.’ वह शरमा गई थी.

दोनों के बीच पतिपत्नी का रिश्ता नहीं था, लेकिन दोनों साथसाथ एक ही घर में रहते थे.

वह कमरे में सोती तो महेंद्र बाहर बरामदे में. उस के अपने घर की खबर मिलते ही सूरज जाने कहां से प्रकट हो गया और पूरी कालोनी में महेंद्र की रखैल कह कर गालीगलौज करते हुए पति का हक जमाने लगा.

महेंद्र को बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ी थी. सोमा अकेले ही सूरज का सामना करने के लिए काफी थी. उस की गालियों के सामने उस की एक नहीं चली थी और हार कर वह लौट गया था.

कई बार रात के अंधेरे में वह करवटें बदलती रह जाती थी. समाज की ऊलजलूल बातें और लालची मर्दों की कामुक निगाहें, मानो वह कोई ऐसी मिठाई है, जिस का जो चाहे रसास्वादन कर सकता है.

महेंद्र के साथ रहने से वह अपने को सुरक्षित महसूस करती थी. बैंक में अकाउंट हो या कोई भी फौर्म, पति के नाम के कौलम को देखते ही उस के गले में कुछ अटकने लगता था.

वह महेंद्र की पहल का मन ही मन इंतजार करती रहती थी.

महेंद्र अपनी बात का पक्का निकला था, उस ने भी सोमा का मान रखा था.

दोनों साथ रहते, खाना खाते, घूमने जाते लेकिन आपस में एक दूरी बनी  हुई थी.

‘सोमा, कल काम की छुट्टी कर लेना.’

‘क्यों?’

‘कल आर्य कन्या स्कूल में आधार कार्ड के लिए फोटो खिंचवाने चलना है. फोटो खींची जाएगी, अच्छे से तैयार हो कर चलना.’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...