कई बार निशा मुझ से कह चुकी है, ‘‘कांतजी, न जाने कुदरत ने आप को किस मिट्टी से बनाया है. आप हर शख्स के साथ मोहब्बत और करुणा से पेश आते हैं.’’
आखिर वह दिन आ ही गया जब राहुल और निशा दोनों ने कोर्ट में तलाक के कागज पर हस्ताक्षर कर दिए. जिस दिन जज ने फैसले पर अपनी मुहर लगा दी और केस का निबटारा हो गया उसी दिन शाम के समय निशा मेरे घर आई.
वह दिन हमारी जिंदगी का बेहद अनमोल दिन था. खबर मिलने के बाद मैं रिंकू के लिए ढेरों उपहार और खिलौने बाजार से ले आया था. मैं ने इस अवसर को किसी खास तरीके से मनाने की बात को महत्त्व नहीं दिया. मैं अकेले ही निशा के साथ समय बिताना चाहता था.
घंटी बजने पर मैं ने दरवाजा खोला तो मैं आश्चर्यचकित रह गया. निशा लाल जोड़े में बेहद खूबसूरत शृंगार से सजीधजी सामने खड़ी थी. आंखों में नए जीवन की उम्मीद की चमक, होंठों पर न भुलाई जाने वाली मुसकान. स्वागत करते हुए मैं निशा के साथ ड्राइंगरूम में आ कर उस के समीप बैठ गया.
‘‘निशा, बड़े धैर्य के साथ मेरी बात सुनना,’’ मैं ने बड़े प्यार भरे शब्दों में उस से कहा, ‘‘बुरा मत मानना, बहुत विचार और चिंतन के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि मुझे तुम से विवाह करने के फैसले को बदलना होगा. दुनिया को यही लगे कि तुम मेरी पत्नी हो. अत: रिंकू के साथ मेरे घर आ जाओ. हम दोनों मिल कर रिंकू का लालनपालन करेंगे. यह एक प्रकार की लिव इन रिलेशनशिप ही होगी.
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