यह बताने के बाद निशा मेरे कंधे पर सिर रख कर जोरजोर से रोने लगी. मेरा हृदय उस के दुख से द्रवित हो रहा था. मैं ने उसे अपने आलिंगन में ले कर प्यार से उस का माथा चूम लिया.

‘‘मेरा धीरज अब मेरा साथ नहीं दे रहा है. मैं फोन पर राहुल द्वारा दी जाने वाली धमकियों से बहुत परेशान हो चुकी हूं. एक तरफ दफ्तर के काम का बोझ, दूसरी तरफ रिंकू के लालनपालन की जिम्मेदारी. कांतजी, मैं बुरी तरह से टूट रही हूं. इतनी अच्छी शैक्षिक योग्यता हासिल करने के बाद लगता है कि बहुत कम योग्यता वाले राहुल को अपनाकर मैं ने जिंदगी की बहुत बड़ी भूल की है, जिस की कीमत मुझे मानसिक यातना से चुकानी पड़ रही है.’’

निशा ने सिसकियों के बीच कहना जारी रखा, ‘‘मां के हठ के कारण राहुल घर बसाने का साहस नहीं बटोर पा रहा है. मुझे पता चला है कि अब उस ने शराब पीना भी शुरू कर दिया है. रिंकू का मोह तो उसे रत्ती भर भी नहीं है. प्यार पर हम दोनों का अहम भारी हो गया है.’’

मैं चुपचाप निशा की बातें सुन रहा था. प्यार से उस की पीठ थपथपाते हुए सांत्वना भरे स्वर में बोला, ‘‘निशू, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं, तुम्हें इस तरह मानसिक दबाव में टूटते हुए तो मैं बिलकुल नहीं देख सकता हूं. जमाने की मुझे कोई चिंता नहीं है. जब किसी को अपनाना होता है तो यह जरूरी होता है कि बगैर शर्त के उसे उस की जिम्मेदारियों के साथ अपना बना लिया जाए. रिंकू को मैं अपनी पुत्री की तरह पालने की जिम्मेदारी के एहसास के साथ अपनाऊंगा. आज से तुम्हारी चिंताएं मेरी हैं.’’

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