स्वार्थवश प्रेमा इतना नहीं सोच पाई कि वह राजेश के योग्य है भी या नहीं. वैसे, वह डाक्टर शर्मा के साथ एक लंबे अरसे से घूमतीफिरती रही है, लेकिन अभी तक उस ने आत्मिक झुकाव के अतिरिक्त उन से कोई संपर्क नहीं रखा था. डाक्टर शर्मा हमेशा एक दूरी सी बनाए रखते थे. हंसतेबोलते, समझाते थे, पर उस की पहल पर भी कभी उन्होंने उस के प्रति प्रेम का इजहार नहीं किया. वह एकदम रहस्यमयी व्यक्तित्व थे. वह पढ़ीलिखी थी, उस में सोचनेसमझने की शक्ति भी और सुंदर भी, लेकिन आज के युग में एक लड़की के लिए अच्छा पति प्राप्त करना ही तो काफी नहीं होता. मांबाप मजबूर हैं, और ऐसे वक्त डाक्टर शर्मा का स्थायी सहारा पाना, उस के लिए सौभाग्य के अतिरिक्त हो भी क्या सकता था?
बैरा आया, तो रज्जू ने ढेर सारी खाने की चीजों का और्डर दिया.
खानापीना चलता रहा और वहीं तय होता रहा भविष्य का कार्यक्रम.
डाक्टर शर्मा उद्विग्न में बैठे थे. रज्जू बैडरूम में था. उन की हालत इस वक्त बहुत दयनीय हो रही थी. प्रेमा के प्रति उन के मन में एक कमजोरी सी आ चुकी थी और इसीलिए उन्होंने कई बार उस से शादी करने की सोची भी, पर फिर सुषमा और सादिया यानी साधना का त्याग सामने आ गया. वैसे, प्रेमा से उन का भी आत्मिक झुकाव ही था, लेकिन अब वह उस को सहारा दे कर छोड़ना नहीं चाहते थे.
सहसा कमरे में प्रेमा ने प्रवेश किया. उस का चेहरा अन्य दिनों की अपेक्षा गंभीर था. डाक्टर शर्मा कुछ बोलते, इस के पूर्व ही वह बोली, ‘‘डाक्टर साहब, मैं आज के बाद आप से नहीं मिल सकूंगी.’’