कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
0:00
12:24

सीमा को मायके गए2 महीने बीत चुके थे. अकेलेपन की बेचैनी और परेशानी महसूस करने के साथसाथ राकेश को अपने 5साल केबेटे मोहित की याद भी बहुत सता रही थी.

कुछ रिश्तेदारों ने सीमा को वापिस बुलाया भी, पर वो लौटने को तैयार नहीं थी. राकेश और सीमा की कोविड के दिनों में कई बार जमकर झड़प हुई थी और जैसे ही छूट मिली सीमा मायके जा बैठी.

राकेश ने अब तक सीमा से सीधे बात नहीं की थी. दबाव बनाने के लिए अब उस ने टकराव का रास्ता अपनाने का फैसला कर लिया.

एक रविवार की सुबहसुबह वो सीमा की अनिता बुआ से मिल उन के घर पहुंच गया. राकेश बुआ की बुद्धिमता का कायल था. वो राकेश को काफी पसंद करती थी. सब से महत्वपूर्ण बात ये थी कि उन की अपने भाई के घर में खूब चलती थी. वह विधवा थी शायद इसलिए लोग लिहाज करते थे. उन की बात को नकारने का साहस किसी में न था.

राकेश ने सीमा से झगड़े का जो ब्यौरा दिया, उसे अनिता बुआ ने बड़े ध्यान से खामोश रह कर सुना. हुआ यह था कि एक रविवार की सुबह राकेश मां के घुटनों के दर्द का इलाज कराने उन्हें डाक्टर को दिखाने ले गया था.

रिपोर्ट और एक्सरे घर में छूट जाने के कारण उसे घंटे भर बाद ही अकेले घर लौटना पड़ा.

ड्राइंग रूम की खिड़की खुली हुई थी. इस के पास खड़े हो कर राकेश ने वो बातें सुन ली जिन्हें सीमा ने उस से छिपा रखा था.

ड्राइंगरूम में सीमा के साथ उस का सहयोगी अध्यापक अजय मौजूद था. अजय पहले भी उन के घर कई बार आया था, पर हमेशा राकेश की मौजूदगी में. उस की पत्नी का करीब 4 साल पूर्व अपने पहले बच्चे को जन्म देते हुए देहांत हो गया था. बाद में वो शिशु भी बचाया नहीं जा सका.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...