‘‘मैं चाहता हूं कि आज ये मामला इधर या उधर हो जाए. उस ने घर लौटने को ‘हां’ नहीं कहा, तो फिर हमारा तलाक ही होगा. राकेश का लहजा बेहद कठोर हो गया.
‘‘ठीक है. हम सीमा से मिलने चलते हैं,’’ बुआ ने निर्णय लिया.
घंटे भर बाद सीमा के मायके में ये दोनों ड्राइंगरूम में बैठे हुए थे. वहां सीमा, उस के पिता राजेंद्रजी, मां गायत्री, भाई संजीव और भाभी कविता भी उपस्थित थे.
कमरे का माहौल तनाव, गुस्से, शिकायतों व नाराजगी की तरंगों से प्रभावित था. जबरदस्त टकराव और झगड़े का जन्म लेना वहां निश्चित था.
‘‘पतिपत्नी दोनों का आपसी मनमुटाव सुलझा कर खुशी से साथ रहने का प्रयास दिल से करना होता है. अपनी घरगृहस्थी की सुरक्षा और मजबूती को बनाए रखना आसान नहीं होता, पर समझदारी से किसी भी समस्या को सुलझाया जा सकता है,’’ बुआ की इस सीधी सीख से वार्तालाप आरंभ हुआ और फिर माहौल पलपल ज्यादा गर्माने लगा.
एक से ज्यादा लोग साथसाथ उत्तेजित हो कर बोलने लगे. दूसरे की सुनने में कम और अपनी कहने में सब की दिलचस्पी थी.
सिर्फ सीमा खामोश बैठी थी. राकेश उस के खिलाफ बहुत कुछ बोल रहा था, पर वो माथे में बल डाले सब चुपचाप सुनती रही.
सीमा के मातापिता और भैयाभाभी मिलकर भी राकेश को दबा नहीं पा रहे थे. अनिता बुआ की शांति से बातें करने की फरियाद पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था.
सीमा की खामोशी से चिड़ कर अचानक राकेश ने ऊंची आवाज में धमकी दे डाली, ‘‘मेरी सहनशक्ति जवाब दे चुकी है. आप सब मेरी चेतावनी ध्यान से सुन लो. अगर सीमा फौरन घर नहीं लौटी, तो इस का नतीजा बुरा होगा.’’
सबको खामोश करने के लिए सीमा ने अचानक हाथ हवा में उठाया और गंभीर स्वर में बोली, ‘‘इन के सब आरोपों और धमकी का जवाब मैं देने जा रही हूं और अब सब लोग सिर्फ मेरी सुनेंगे. कोई बीच में न बोले, प्लीज.’’
सीमा का अवाज में कुछ ऐसी ताकत थी, कुछ ऐसा रौब था कि सब फौरन खामोश हो उस की बात सुनने को तत्पर हो गए.
राकेश के चेहरे पर नजरें जमा कर सीमा ने तीखे लहजे में बोलना शुरू किया, ‘‘आप मेरे चरित्र पर पिछले 2 महीने से लगातार उंगली उठाते रहे हैं, पर मैं आप के जैसी नहीं हूं. वैसे भी इंसान को अपने गिरैबान में झांकने के बाद ही किसी को कुछ कहना चाहिए.’’
‘‘मैं बस ये स्वीकार करती हूं कि अजय मेरा सहयोगी ही नहीं, बल्कि शुभचिंतक मित्र भी है. वो मेरे साथ फ्लर्ट जरूर करता है, लेकिन मर्यादा की सीमा न कभी उस ने तोड़ी है, न मैं ने.
‘‘आप से ज्यादा इस बात कौन समझेगा कि सहयोगी पुरुष कामकाजी महिलाओं और युवतियों के साथ हंसीमजाक में ‘फ्लर्ट’ कर लेते हैं. आप तो 2 कदम आगे बढ़ कर स्त्रियों से अवैध प्रेम संबंध कायम करने से भी कभी नहीं चूके हैं.’’
राकेश ने फौरन चिड़ कर जवाब दिया, ‘‘तुम्हारे शक्की दिमाग ने कई वहम पैदा किए हुए हैं तुम्हारे अंदर, सीमा इस कारण तुम्हें नाजायज संबंध बनाने की सुविधा मिल गई, ऐसा सोचना तुम्हारी भारी भूल थी. मेरी ये भी मांग है कि तुम पुराना स्कूल छोड़ोगी.’’
‘‘तुम्हारी ये मांग मेरे लिए कोई अहमियत नहीं रखती क्योंकि मेरा मन साफ है जब कोई गलती नहीं की है मैं ने, तो कैसी भी सजा क्यों स्वीकार करूं?’’
‘‘अगर इसी तरह अकड़ी रहोगी, तो पछताओगी.’’
‘‘पछता तो मैं इसलिए रही हूं कि मैं ने अभी तक तुम्हारी चरित्रहीनता का क्यों जीजान से विरोध नहीं किया. रीता, अंजलि, मीनू, सुषमा और न जाने कितनी औरतों से तुमने इश्क लड़ाया और मैं हल्का सा विरोध कर के अपनी बेइज्जती बर्दाश्त करती रही.
‘‘अजय के साथ जबरदस्ती मेरा नाम जोड़ कर तुम ने मुझे भद्दीभद्दी गालियां दी…एक रात शराब पीकर इतनी मारपिटाई की कि पड़ोसियों को मुझे छुड़ाने आना पड़ा.
‘‘तुम मुझे चरित्रहीन कहते हो, पर तुम हो गंदी नाली के कीड़े. मैं 2 महीने से यहां हूं और कम से कम 3 बार तुम उस कुलटा सुषमा को मेरे घर में रंगरलियां मनाने के लिए लाए हो.’’
‘‘तुम्हारा नहीं, बल्कि मेरे सब्र का घड़ा भर चुका है, मिस्टर राकेश मुझे धमकी देने की जरूरत नहीं है तुम्हें क्योंकि मैं ने खुद ही तुम्हारे साथ न रहने का फैसला कर लिया है.
‘‘तुम पर से मेरा विश्वास पूरी तरह से उठ गया है. अपमान और जिल्लत भरी जिंदगी के साथ अब मैं तुम्हारे साथ आगे नहीं जीना चाहती हूं. मुझे तुम से तलाक चाहिए.’’ आंखों से आंसू बहाती व गुस्से से थरथर कांपती सीमा इतनी जोर से आखिरी वाक्य बोलते हुए चिल्लाई कि कमरे की दीवारें कांप उठी.
राकेश ने इस पल सीमा की आंखों में अपने प्रति नफरत और गुस्से के साथसाथ मजबूत निश्चय के भाव पढ़े, तो उस के पूरे बदन में भयमिश्रित झनझनाहट की लहर सी दौड़ गई.
उस ने देखा कि उस के सासससुर भी अचानक गुस्सा व शिकायतें भूल कर बेहद चिंतिति नजर आ रहे थे. सीमा का भाई माथे में परेशानी के बल डाल कर अपनी बहन को घूर रहा था. उस की भाभी का मुंह मारे हैरानी के खुला रह गया. अनिता बुआ जरूर अपनी भतीजी से नाराज नजर आ रही थी.
‘तलाक’ शब्द बारबार राकेश के जेहन में गूंजने लगा. मन में क्रोध और उत्तेजना का स्थान अजीब से डर व घबराहट ने ले लिया. जितनी उस ने खुद को संभालने की कोशिश करी, उतनी उस के मन की बेचैनी बढ़ती गई.
‘सीमा मेरे पास नहीं लौटी, तो मेरी घरगृहस्थी उजड़ जाएगी.’ ये विचार अचानक उस के मन में कौंधा और इस के प्रभाव में उस का शरीर तुरंत ठंडे पसीने से नश गया.
फिर टांगों में अजीब सा कंपन शुरू हुआ. घबराहट व दिल डूबने का एहसास गहराया. अचानक छत घूम गई और आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा.
सब के देखते ही देखते राकेश अपनी चेतना खो सोफे पर लुढक गया. उस का पीला पड़ा चेहरा इस बात का सुबूत था कि वो कोई नाटक नहीं कर रहा था.
ड्राइंगरूम में भगदड़ मच गई. बुआ ने राकेश का सिर अपनी गेाद में रखा. गायत्री और राजेंद्रजी उस के शरीर को अखबार से हवा करने लगे. कविता रसोई से पानी का गिलास लाने भागी. संजीव उस का गाल थपथपा कर उसे होश में लाने की कोशिश कर रहा था.
सिर्फ सीमा अपनी जगह से नहीं हिली. राकेश की यूं अचानक बिगड़ी तबियत ने उस की सोचनेसमझने की शक्ति हर कर उसे भावशून्य कर दिया था.
राकेश की हालत में हल्का सुधार चंद मिनटों में ही हो गया. उस ने बैठने की कोशिश की, पर असफल रहा. सब के आग्रह पर वो आंखें मूंद कर लेटा रहा.
सीमा एक झटके में अपने घरवालों की नजरों में खलनायिका बन गई. सब के सब उसे नाराजगी से घूरते हुए दबी जुबान में समझाने लगे. तलाक लेने की बात उठा कर उस ने सबको तेज झटका दिया था और सब की नाराजगी मोल ले ली थी.
सीमा ने कुछ मिनट सब की बातें खामोश रह कर सुनी. किसी को उस ने कैसा भी जवाब नहीं दिया. जब उस से उन के लैक्चर और सहन नहीं हुए तो वो ड्राइंगरूम से निकलकर अपने कमरे में चली गई.
राकेश की तबीयत कुछ और संभली, तो संजीव उसे सहारा दे कर अंदर वाले एक कमरे में ले आया. पलंग पर लेटने के कुछ देर बाद बेहद कमजोरी महसूस कर रहे राकेश को नींद आ गई.
उस की नींद करीब घंटे भर बाद एक झटके से खुली. वो एक खराब सपना देते हुए जागा था. सपने में सीमा और मोहित नदी में डूब रहे थे. राकेश उन्हें पुकारता भाग रहा था और वो पलपल दूर होते जा रहे थे.
सीमा चिल्ला रही थी वो उस के पास नहीं रह सकती और राकेश उस से माफी मांग कर किनारे आने को गिड़गिड़ा रहा था. वो मोहित को भी बारबार पुकारता, पर उस का बेटा डूबने से बचने को हाथपैर मारने में खोया हुआ था.
आंखें खोलने पर उस ने देखा कि अनिता बुआ उस का माथा सहला रही थी. उस के पैरों की तरफ पलंग पर बैठी सीमा चिंतित नजरों से उस की तरफ देख रही थी.
सीमा से उस की नजरें मिली राकेश को अपनी पत्नी की आंखों में परेशानी के साथसाथ नाराजगी, बेबसी, गुस्से व चिड़ के भाव भी नजर आए. उस के दिलोदिमाग में अजीब सा भारीपन और उदासी का एहसास फिर से बढ़ने लगा.