इवाना द्वारा पिता का पूरा नाम लिए जाने पर शैलजा को सांप सूंघ गया. सब के बीच चल रही बातचीत उस के कानों से टकरा कर लौट रही थी. मन में तूफान उठ रहा था, 'सरनेम तो यही बता रहा है कि इवाना के पिता एक दलित हैं. मां विदेशी हैं, लेकिन पिता तो भारतीय हैं और यदि वे नीची जाति के हैं, तो इवाना भी...'
शैलजा के हृदय में अकस्मात भूकंप आ गया. कुछ देर पहले बनी सपनों की इमारतें पलभर में ढह गईं. बोलीं, ‘विशाल ने यह क्या किया? जिस का डर था वही हो गया.’
वीडियो काल समाप्त होने के बाद इस विषय में वह कुछ कहती, इस से पहले ही दिनेश बोल उठा, "एक ही बेटा है हमारा, वह भी नाम डुबोएगा खानदान का. विदेश जा कर सब भुला दिया. क्या इसलिए ही बाहर भेजा था कि इतने उच्च कुल का हो कर नीचे लोगों से रिश्ता जोड़े?"
"वही तो... गोरी ढूंढ़ी भी, लेकिन किएकराए पर पानी फेर दिया. जल्द ही कुछ करना पड़ेगा. याद है, लखनऊ वाली दीदी ने जो लड़की बताई थी, उस के कामकाजी न होने और केवल बीए पास होने के कारण हम चुप थे. सोच रहे थे कि विशाल न जाने ऐसी पत्नी चाहेगा या नहीं? दीदी कई बार पूछ चुकी हैं. गोरीचिट्टी, सुंदर नैननक्श वाली है वह लड़की. दीदी को फोन कर आज ही बात करती हूं. विशाल को रात में फोन कर के कह देंगे कि इवाना बहू नहीं बन सकती हमारी. कुछ दिन नानुकुर करने के बाद मान ही जाएगा वह. अभी कुछ नहीं किया तो खूब जगहंसाई होगी हमारी."