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पूरा वातावरण  किसी छोटे से गांव की भांति सुंदर लग रहा था. चोखी ढाणी में थोड़ीथोड़ी दूर पर बने कौटेज के बाहर लालटेन जल रही थी. वहीं बाहर खाट भी पड़ी थीं. आप खाट पर बैठ कर भी पूरी चोखी ढाणी की सुंदरता को निहार सकते हो.

आसमान में तारों की झिलमिल के बीच चांदतारों की शरारतों को देखदेख कर खुश हो रहा थातभी सागर ने नैना का हाथ अपने हाथ में ले लिया. नैना के शरीर में एक सुकून व शांति की किरण दौड़ने लगी. नैना को एक सुरक्षा का एहसास होने लगा.

दोनों धीमेधीमे कदमों से चोखी ढाणी में टहलने लगे. टहलतेटहलते दूर एकांत में सीमेंट सी बनी बैंच पर सागर बैठ गया और बोला, “नैनायहां से देखो चोखी ढाणी कितनी खूबसूरत लगती है.”  नैना ने बैंच पर बैठ कर सागर के विशाल कंधों पर अपना सिर टिका लिया. हलके से अपना चेहरा सागर के कंधे में छिपा लिया. फिर हलके से बोली, “सागरतुम ने इग्नोर करने वाली बात पूछी थी न?” नैना बोली.

हां नैनातुम ने उस बात का तो जवाब ही नहीं दिया थाबोलो तो?”

नहीं सागरतुम को तो मैं सपने में भी इग्नोर नहीं कर सकती. तुम जानते हो न शेक्सपियर की वह बात कि रोने के लिए या तो कमरा हो या फिर किसी का कंधा  जहां कभी रो कर हम अपने दुख को हलका कर सकेंजिस से सुकून मिल सके.

नैना,” सागर ने कहा, “क्या हुआ था उस दिनबोलो?”

उस दिन मम्मी और पापा की बहुत याद आ रही थीइसलिए मूड खराब था. मम्मीपापा का दर्दनाक हादसा नहीं भूल पाती.

नैना की बात सुन कर सागर की आंखें भी भर गई थीं.

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