कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

सुनोकल तुम ने मुझे इग्नोर किया था या तुम जल्दी में थीं?”

सागर की गहरी आवाज सुनते ही नैना के कदम रुक गए. उस ने उदास नजरों से सागर की तरफ देखालेकिन कोई जवाब नहीं दिया.

मुझे लगता है कि तुम ने मेरा प्रश्न ठीक से सुना नहीं हैमैं ने तुम से कुछ पूछा है नैनाजवाब क्यों नहीं देतीं?

सागर के चेहरे पर हलकी सी झुंझलाहट के भाव देख रही थी नैनालेकिन बोली फिर भी नहीं.

क्या बात है नैनातुम बोलतीं क्यों नहीं?” सागर  की आवाज इस बार तेज और गुस्सेभरी थी. नैना ने फिर भी कोई जवाब नहीं दिया और तेज तेज कदमों से क्लासरूम की तरफ जाने लगी. नैनाजवाब दो,” सागर ने फिर कहा.

नैना की तरफ से कोई जवाब नहीं मिलता देख सागर ने कहा, “ठीक हैतुम अभी जवाब नहीं देना चाहतीं तो मत दो. परसों संडे हैशाम 5  बजे मैं ट्रेजर आइलैंड के बाहर तुम्हारा इंतजार करूंगाबाय नैना.

सागर ने अब नैना के जवाब का इंतजार करना भी जरूरी नहीं समझातेजी से कदम बढ़ाता वह अपनी क्लास में चला गया.

नैना और सागर दोनों ही गुजराती कालेज के स्टूडैंट थे. दोनों की मित्रता पूरे कालेज में प्रसिद्ध थी. एकाध विषय को छोड़ कर दोनों के सभी विषय समान थे.

नैना पढ़ाई के साथ ही महादेवी वर्मा काव्य संसार पर शोध कर रही थी. नैना को साहित्य में यों भी बहुतकुछ अच्छा लगता था. कुछ साहित्यकार उस के विशेष प्रिय थे. उन में महादेवी वर्मा टौप पर थीं. डाक्टर धर्मवीर भारती की गुनाहों के देवता’ उस की प्रिय किताब थी. बचपन से न जाने कितनी बार वह इस किताब को पढ़ चुकी थी. लेकिन मन इस किताब से भरता नहीं था. चंदन और विनती उस के प्रिय पात्र थे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...