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Family Story in Hindi – दस्तक
नेहा कुछ नहीं बोली, आंखों में उतर आए आंसुओं को बरबस रोकते हुए, उस के साथ औफिस की ओर चल दी.सगाई का दिन निर्धारित हो गया.
भाग - 1
कान खोल कर सुन देवू, जिस समाज की तुम दुहाई दे रहे हो, वह विपत्ति आने पर कभी तुम्हारे काम नहीं आएगा. काम आएगा तो तेरा अपना खून, जिस की खुशियों को तू रौंद रहा है. क्या कमी है उस में? और लोग तो तब बोलेंगे न, जब हम उन्हें बोलने का अवसर देंगे.
भाग - 2
अब तो नेहा भी आवेश में आ गई, गुस्से से पैर पटकती हुई अपने कमरे में चली गई. चुपचाप बिस्तर पर जा कर लेट गई.
भाग - 3
एक प्रश्वाचक दृष्टि रमा ने नेहा पर डाली. ‘मम्मी, मैं एक लड़के को पसंद करती हूं,’ नेहा के मुंह से निकल गया. ‘कौन?’ ‘शिवम.’
भाग - 4
रमा ने घबराते हुए पति से पूछा.‘इस लड़की ने हमें कहीं मुंह दिखाने लायक न छोड़ा. अंशुमन के पापा ने रिश्ता तोड़ दिया.’‘क्या...’ रमा धप्प से सोफे पर गिर पड़ी. कानों पर विश्वास न हुआ.
भाग - 5
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