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लेकिन हां, उस की शकुन तो थी. वह उसे बताएगा कि उस के जैसी रोटी वह भी बना सकता है.  सुंदर शकुन का इंतजार इतनी बेताबी से करने लगा, जितनी शायद किसी बच्चे को अपना अच्छे वाला रिपोर्टकार्ड मां को दिखाने में भी न होती होगी.

एक शकुन ही थी, जिसे सुंदर इंप्रैस करने में लगा रहता. पर शकुन आसानी से इंप्रैस होने वालों में से न थी. चाहे वह 5-6 साल पहले मदर स्कूल की प्राइमरी सैक्शन की इंचार्ज के पद से रिटायर हो चुकी थी, लेकिन अभी भी उसे हर चीज बिलकुल सही चाहिए थी. आटा हो तो एमपी सेहोर के शरबती गेहूं का, और वो भी उस की आंखों के सामने पिसा हुआ. उन के यहां देशी घी केवल गाय के दूध से बना मदर डेयरी ब्रांड का लाया जाएगा, कोई दूसरी ब्रांड का नहीं. रात को सागसब्जी के साथ 2-2 रोटी खानी हैं, बस.

“इन्हीं सही आदतों के रहते हम दोनों अभी तक अपने पैरों पर खड़े हैं, नहीं तो कब के बिस्तर पर पड़े होते,” शकुन मौकेबेमौके सुंदर को याद दिलाती रहती.
सुंदर शकुन की समझदारी का कायल था. बस उस की यही समस्या थी कि शकुन उसे भी हर वक्त, हर काम में सही देखना चाहती थी. वह उस के एक ही शब्द “सुनो,” से घबरा जाता, जैसे उसे उस की बीवी ने नहीं, किसी थानेदार ने थाने में बुलाया हो. कहीं न कहीं जरूर उस से कोई भूल हुई है, तभी तो पेशी का समन आया है.
आज प्रातः भी ऐसा ही कुछ हुआ था.

“सुनो,” शकुन की आवाज बाथरूम से आई. वह तब नहाधो कर आरामकुरसी पर बैठा ‘आजतक’ के चैनल पर इजराइल और हमास के युद्ध की ताजा खबरें देख रहा था. उसे शकुन का सामना करने में कुछ पल लग गए. अपने कूल्हों पर हाथ टिकाए वह वाशबेसिन के नल के सामने सख्त अंदाज में खड़ी थी. नल से पानी की पतली सी धारा बह रही थी. शकुन उसे घूर रही थी और सुंदर अपराधी सा बना बहते पानी को देख रहा था. दोनों में से किसी ने भी नल को बंद करने का यत्न नहीं किया था.
“मैं तुम्हें सैकड़ों बार कह चुकी हूं...” शकुन के तीखे स्वरों की ऊर्जा से सुंदर हरकत में आया. उस ने नल बंद किया और फिर अपने कमरे की ओर जाने लगा. टीवी से उस के चहेते रिपोर्टर गौरव सावंत की आवाज आ रही थी.

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