Best Hindi Story : बड़े जतन से आलोक और वाणी ने बेटे शिखर को पाया था. धीरेधीरे वाणी महसूस करने लगी थी कि पति आलोक धृतराष्ट्र की तरह पुत्रमोह में बंधे जा रहे हैं लेकिन वाणी ने गांधारी की तरह आंखों पर पट्टी नहीं बांधी थी. ‘‘मु बारक हो, बेटा हुआ है.’’ नर्स ने आलोक की गोद में बच्चे को देते हुए कहा. आलोक ने अपने नवजात बेटे को गोद में लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाए तो आंखों से आंसू बह निकले. पिता बनने की खुशी हर आदमी के लिए खास होती है लेकिन आलोक के लिए ‘बहुत खास’ थी. गोद में ले बेटे को एकटक देखता रहा. चेहरे पर संतुष्टिभरी मुसकराहट खिल गई और उस ने बेटे को सीने से लगा लिया. मन ही मन खुद से वादा किया कि मैं सारी दुनिया की खुशी अपने बच्चे को दूंगा, वह भी बिना मांगे.आलोक और वाणी की शादी को 8 साल बीत चुके थे लेकिन वे संतान सुख से वंचित थे. इन 8 सालों में उन दोनों ने न जाने कितने डाक्टर बदले और कितने ही मंदिरों की चौखटों पर माथे रगडे़, अनगिनत मन्नतें, हवनयज्ञ, जिस ने जो उपाय बता दिया, वह किया. जब इंसान चारों तरफ से निराश होने लगता है तो इन सब अंधविश्वासों के घेरे में आ जाता है. लेकिन इन सब से कोई फायदा नहीं होता. इसलिए इन दंपती, यानी आलोक और वाणी का भी कोई फायदा न हुआ. रिश्तेदार तरहतरह के उपायउपचार बताने के साथ ही कभी सामने तो कभी पीछे ताने मारने से भी नहीं चूकते थे. कोई सहानुभूति के नाम पर हेय दृष्टि से देखता तो कोई अपने बच्चों को वाणी से दूर रखने की कोशिश करता.

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