प्रणब चंद्र बोस कोलकता में एक कैमिकल कंपनी के सीईओ थे. उन की उम्र तकरीबन 48 साल रही होगी. प्रणब के मातापिता एक मध्यम वर्ग के लोग थे और राजगीर नगर महल्ले में रहते थे. पिताजी, जिन्हें वह “बाबूजी” कह कर पुकारता था, एक सरकारी दफ्तर में काम करते थे और मां घर के पास के एक प्राइमेरी स्कूल में दूसरी जमात के बच्चों को पढ़ाती थीं.

प्रणब उन की अकेली संतान थी और अपने मातापिता के साथ और पड़ोसियों व दोस्तों के बीच एक संस्कारी और शांतिभरे माहौल में फलफूल कर बड़ा हुआ था.

प्रणब बचपन से ही मेधावी था. उस ने 12वीं जमात की परीक्षा बड़े ही अच्छे अंकों से पास की और प्रदेश में उस का तीसरा रैंक था, इसलिए कोलकाता यूनिवर्सिटी में दाखिले में कोई दिक्कत न हुई. उसे स्कौलरशिप के साथ एडिमशन मिल गया. वहां से कैमिस्ट्री के विषय में स्नातक बना.

प्रणब और उस के मातापिता की बड़ी इच्छा थी कि वह आगे की पढ़ाई विदेश में जा कर करे और बड़ा नाम कमाए. चाहे उस को बड़ी उम्र में, अपने एकलौते बेटे से दूर रह कर अकेले ही क्यों न रहना पड़े. उस के एक चहेते प्रोफैसर डाक्टर घोष, जो खुद भी विदेश से लौट कर आए थे, ने बाबूजी से यह आग्रह किया कि वे उसे आगे की पढ़ाई अमेरिका में करवाएं, जिस से उस की प्रतिभा और कड़ी मेहनत और कुछ कर पाने की इच्छा विकसित हो सके.

प्रणब के मातापिता और प्रोफैसर को पूरा विश्वास था कि प्रणब अपनी पढ़ाई कर के भारत लौटेगा, जैसे कि प्रोफैसर ने खुद ही किया था.

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