करसन और कान्हा अगले ही दिन उस गांव पहुंच गए, जिस गांव में रामजी ने सविता को देखने की बात बताई थी. उस गांव में जा कर कान्हा और करसन ने सारी सच्चाई का पता लगा लिया. अर्जुन और सविता उस गांव में नाम बदल कर पतिपत्नी बन कर रह रहे थे.
अर्जुन ने पूरे गांव को बेवकूफ बना दिया था. सविता की हत्या का कौतुक रच कर दिनेश को तो फंसा ही दिया, साथ ही बड़ी होशियारी से पूरे गांव की सहानुभूति भी पा ली थी. बेटी समान पुत्रवधू से अवैध संबंध बना कर अधेड़ अर्जुन, सोच भी नहीं सकता था उस से भी अधिक होशियार निकला था.
करसन और कान्हा अगले दिन गांव लौट आए. गांव में किसी को कुछ बताए बगैर वे सीधे थाना भादरवा पहुंचे और नए आए थानाप्रभारी फौजदार सिंह से मिले. फौजदार सिंह ईमानदार और सख्त पुलिस अधिकारी थे. वह अपने कर्तव्य के प्रति काफी सजग माने जाते थे. शिकायतकर्ता की बात ध्यान से सुन कर अपराधी को कानून का भान कराना उन्हें अच्छी तरह आता था.
कान्हा और करसन ने जब सारी बात बता कर फौजदार सिंह को अर्जुन और सविता द्वारा किए गए कारनामे के बारे में बताया तो उन का कारनामा सुन कर फौजदार सिंह भी हैरान रह गए.
उन्होंने तुरंत दोनों से एक एप्लीकेशन ले कर अर्जुन और सविता के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. उस के बाद अपनी एक टीम बना कर कान्हा तथा करसन को साथ ले कर अर्जुन और सविता की गिरफ्तारी के लिए चल पड़े.
खंभाडि़या पुलिस की मदद से थानाप्रभारी फौजदार सिंह ने गांव में छिप कर रह रहे अर्जुन और सविता को गिरफ्तार कर लिया. दोनों को गिरफ्तार कर थाना भादरवा लाया गया. थाने ला कर दोनों से पूछताछ की गई तो बिना किसी हीलाहवाली के दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.