रात 9 बजे पुलिस दिनेश के घर पहुंची. पुलिस जीप के रुकते ही आसपास के लोग उत्सुकता से देखने लगे. एक पुलिस वाले ने जीप से उतर कर दिनेश को दरवाजे के बाहर से आवाज लगाई, ‘‘दिनेश… ओ दिनेश.’’
पुलिस वाले की आवाज सुन कर दिनेश बाहर आया. पुलिस वाले को देख कर बोला, ‘‘क्या बात है साहब?’’
‘‘चलो, जीप में बैठो.’’ पुलिस वाले ने रौब से कहा.
डरासहमा दिनेश चुपचाप जीप में बैठ गया. जीप वापस थाने के लिए चल पड़ी. थोड़ी ही देर में यह खबर पूरे गांव में फैल गई कि दिनेश को पुलिस थाने ले गई है.
मोहन और दिनेश पक्के दोस्त थे. एकदूसरे के बिना घड़ी भर नहीं रह सकते थे. मोहन की शादी को साल भर ही हुआ था कि एक दिन वह खेत में घास काट रहा था, तभी उसे जहरीले सांप ने काट लिया. तमाम कोशिशों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका.
एक अच्छा दोस्त होने की वजह से मोहन के मरने के बाद दिनेश उस की पत्नी सविता की घर या खेतों के काम में मदद करने लगा.
दिनेश अकेला ही था. उस की पत्नी किसी बात से नाराज हो कर उसे पहले ही छोड़ कर मायके चली गई थी. सविता और दिनेश की निकटता देख कर गांव वाले तरहतरह की बातें करते थे.
सविता के ससुर अर्जुन को दिनेश का सविता के पास आनाजाना जरा भी पसंद नहीं था. इसलिए गांव वालों को यह मानने में जरा भी देर नहीं लगी थी कि सविता की हत्या के पीछे दिनेश का हाथ हो सकता है. इसलिए अर्जुन ने दिनेश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा कर उसे गिरफ्तार करा दिया था.
थाने ला कर दिनेश से पूछताछ शुरू हुई. थानाप्रभारी भोपाल सिंह ने उसे अपने पैरों के पास बैठा कर हाथ में बेंत ले कर पूछा, ‘‘तू ने उस औरत की हत्या क्यों की, उस की लाश कहां छिपाई?’’
ये भी पढ़ें- दंश: सोना भाभी को कौन-सी बीमारी थी?
‘‘साहब, आप चाहे जिस की कसम खिला लीजिए, मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता.’’
‘‘तू इस तरह नहीं मानेगा. अभी चार डंडे पिछवाड़े पर पड़ेंगे तो सब कुछ बक देगा.’’ थानाप्रभारी ने हाथ में लिया डंडा उस की आंखों के सामने घुमाते हुए कहा.
‘‘तेरे कहने का मतलब यह है कि तू ने सविता की लाश देखी नहीं है?’’
‘‘साहब, ऐसा मैं ने कब कहा है. पर रात को मैं ने जो लाश देखी थी, वह किस की थी, मुझे पता नहीं. मैं निर्दोष हूं साहब,’’ रुआंसे हो कर दिनेश ने दोनों हाथ जोड़ कर कहा.
अगले दिन थाना भादरवा पुलिस ने दिनेश को अदालत में पेश कर के पूछताछ के लिए 8 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. दिनेश ने जहां लाश देखी थी, पुलिस दिनेश को ले जा कर लगातार 3 दिनों तक लाश ढूंढती रही. पुलिस ने आसपास का एकएक कोना छान मारा, पर लाश का कुछ पता नहीं चला.
चौथे दिन बगल के गांव मालपुर के प्रधान ने थाना भादरवा पुलिस को फोन कर के सूचना दी कि गांव के बाहर स्थित एक कुएं में किसी औरत की लाश पड़ी है. पुलिस तुरंत उस कुएं पर पहुंची और गांव वालों की मदद से लाश बाहर निकलवाई. लाश अब तक काफी हद तक सड़ चुकी थी. उस से बहुत तेज दुर्गंध आ रही थी.
लाश का सिर इस तरह कुचल दिया गया था कि उस की शिनाख्त नहीं की जा सकती थी. चूंकि 4 दिन पहले ही सविता के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी, इसलिए पुलिस को पूरा विश्वास था कि यह लाश उसी की होगी. इसलिए पुलिस ने लाश की शिनाख्त के लिए अर्जुन को बुलवा लिया.
लाश देखते ही अर्जुन सिसकसिसक कर रोने लगा. रोते हुए वह कह रहा था, ‘‘बहू, तुम ने भी मोहन की राह पकड़ ली. मुझे अकेला छोड़ कर चली गई. अब इस दुनिया में मेरा कोई नहीं रहा.’’
थानाप्रभारी ने जोर से रो रहे अर्जुन को सांत्वना दी, ‘‘काका धीरज रखो, अपराधी हमारे कब्जे में है. हम आप को न्याय दिला कर रहेंगे.’’
‘‘साहब, उस राक्षस को छोड़ना मत. उस ने मेरे बुढ़ापे का सहारा छीन लिया.’’ रोते हुए अर्जुन ने कहा.
गांव वाले अर्जुन को संभाल कर वापस ले आए. 8 दिनों का रिमांड समाप्त होने पर पुलिस ने दिनेश को दोबारा कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. दिनेश ने सविता के साथ दुष्कर्म करने और उस की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया था.
उस के दोस्तों ने उस की जमानत के लिए काफी प्रयास किया, पर उस पर दुष्कर्म के साथसाथ हत्या का भी आरोप था, इसलिए निचली अदालत से उस की जमानत नहीं हो सकी.
यह मामला काफी उछला था, इसलिए सरकार ने इस मामले की सुनवाई लगातार करने के आदेश दे दिए थे. लगातार सुनवाई होने की वजह से 3 महीने में ही दिनेश को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई थी.
दिनेश के अपराध स्वीकार करने के बाद उस की गांव में थूथू हो रही थी. लोगों का कहना था कि देखने में वह कितना भोला और भला आदमी लगता था. पर निकला कितना नालायक.
भाई जैसे दोस्त की पत्नी की इज्जत लूट कर उसे मौत के घाट उतार दिया. उस की पत्नी को लगता है पहले ही पता चल गया था कि यह आदमी ठीक नहीं है, इसीलिए वह छोड़ कर चली गई.
गांव में लगभग रोज ही इस बात की चर्चा होती थी. पर कान्हा, करसन और उस के अन्य दोस्तों के गले यह बात नहीं उतर रही थी. पर दिनेश ने थाने में ही नहीं, अदालत में भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया था, इसलिए कान्हा के मन में थोड़ा शक जरूर हो रहा था.