होली के मौके पर आपके लिए लेकर आये है सरिता की Top 10 Holi Special Story हिंदी में. इस खास मौके पर पढ़िए सरिता की दिलचस्प कहानियां. जिसे पढ़कर आपको नयी सीख मिलेगी. तो अगर आप भी अपनी होली को शानदार बनाना चाहते हैं तो पढ़िए सरिता की Top 10 Holi Special Story.
- जीजाजी का पत्र
घर में सालों बाद सफेदी होने जा रही थी. मां और भाभी की मदद के लिए मैं ने 2 दिन के लिए कालेज से छुट्टी कर ली. दीदी के जाने के बाद उन का कमरा मैं ने हथिया लिया था. किताबों की अलमारी के ऊपरी हिस्से में दीदी की किताबें थीं. मैं कुरसी पर चढ़ कर किताबें उतार रही थी कि अचानक हाथ से 3-4 किताबें गिर पड़ीं.
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2. जाएं तो जाएं कहां
हमारे एक बुजुर्ग थे. वे अकसर हमें समझाया करते थे कि जीवन में किसी न किसी नियम का पालन इंसान को अवश्य करना चाहिए. कोई भी नियम, कोई भी उसूल, जैसे कि मैं झूठ नहीं बोलता, मैं हर किसी से हिलमिल नहीं सकता या मैं हर किसी से हिलमिल जाता हूं, हर चीज का हिसाबकिताब रखना चाहिए या हर चीज का हिसाबकिताब नहीं रखना चाहिए.
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3. Holi Special: बुरा तो मानो होली है
फगुआ में देशज बबुआ सब्सिडी की गलीसड़ी भंग के अधकचरे नशे में इधर से उधर, उधर से इधर बिन पेंदे के नेता सा चुनावी दिनों के धक्के खा रहा था. टिकट न मिलने पर कभी इस दल को तो कभी उस दल को कोसे जा रहा था. पता ही न चल रहा था कि यह नशा भंग का है या कमबख्त वसंत का.
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4. कबाड़ क्या यादों को कभी भुलाया जा सकता है?
‘‘सुनिए, पुताई वाले को कब बुला रहे हो? जल्दी कर लो, वरना सारे काम एकसाथ सिर पर आ जाएंगे.’’
‘‘करता हूं. आज निमंत्रणपत्र छपने के लिए दे कर आया हूं, रंग वाले के पास जाना नहीं हो पाया.’’
‘‘देखिए, शादी के लिए सिर्फ 1 महीना बचा है. एक बार घर की पुताई हो जाए और घर के सामान सही जगह व्यवस्थित हो जाए तो बहुत सहूलियत होगी.’’
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5. सर्वस्व- क्या मां के जीवन में खुशियां ला पाई शिखा ?
बैठक में बैठी शिखा राहुल के खयालों में खोई थी. वह नहा कर तैयार हो कर सीधे यहीं आ कर बैठ गई थी. उस का रूप उगते सूर्य की तरह था. सुनहरे गोटे की किनारी वाली लाल साड़ी, हाथों में ढेर सारी लाल चूडि़यां, माथे पर बड़ी बिंदी, मांग में चमकता सिंदूर मानो सीधेसीधे सूर्य की लाली को चुनौती दे रहे थे. घर के सब लोग सो रहे थे, मगर शिखा को रात भर नींद नहीं आई. शादी के बाद वह पहली बार मायके आई थी पैर फेरने और आज राहुल यानी उस का पति उसे वापस ले जाने आने वाला था. वह बहुत खुश थी.
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6. अब वैसी होली कहां
दरवाजे पर पहुंचते ही मैं ने जोर से आवाज लगाई, ‘‘फूफाजी?’’
बाहर दरवाजे पर खड़ी बूआजी ने माथे पर बल डाल कर कहा, ‘‘अंदर आंगन में बैठे हैं. जाओ, जा कर आरती उतार लो.’’
फूफाजी ने सुबह से ही टेलीफोन पर ‘जल्दी पहुंचो’, ‘फौरन पहुंचो’ की रट लगा रखी थी. जाने क्या आफत आन पड़ी है, यही सोच कर मैं आटो पकड़ उन के घर पहुंचा था.
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7. पुरानी महबूबा शन्नो के साथ राधेश्याम जी की होली
इस बार राधेश्यामजी होली में खुद को रोक न पाए. भई महबूबा संग बाथटब में होली मनाने का मौका कोई छोड़ता है भला. उन के दबे अरमान फिर से जाग उठे और फिर निकल पड़े वे सफेद कुरतापाजामा पहने… इधर राधेश्यामजी ने कई सालों से होली नहीं खेली थी. होली पर वे हमेशा घर में ही कैद हो कर रहते थे. एक दिन रविवार को सुबहसुबह राधेश्यामजी का मोबाइल बजा, तो उन्होंने तुरंत हरा बटन दबा कर फोन को कान पर लगाया. उधर से आवाज आई, ‘‘धौलीपुरा वाले राधू बोल रहे हो?’’ राधेश्यामजी ने कहा, ‘‘हां भई हां, बोल रहा हूं. मगर अब मैं धौलीपुरा महल्ले को छोड़ कर ‘रामभरोसे लाल’ सोसाइटी में रह रहा हूं. गंदी नाली और गलीकूचे वाला महल्ला छोड़ गगन चूमते अपार्टमैंट में रहने का मजा ही अलग है और यहां मु झे अब कोई राधू नहीं कहता.
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8. जीजाजी से होली: कैसी खेली सोनू-मोनू ने होली?
होली पर सोनू व मोनू के जीजाजी पहली बार अपनी ससुराल आ रहे थे. सोनूमोनू थे तो करीब 13 और 14 साल के ही, पर शैतानियों में बड़ेबड़ोें के कान काटते थे. दोनों ने निश्चय किया कि जीजाजी से ऐसी होली खेलनी है कि वे इसे जिंदगी भर न भूल पाएं. इस बारे में दोनों भाई रोज तरहतरह की योजनाएं बनाते रहते.
आखिर होली के 4 दिन पहले ही जीजाजी आ गए. जीजाजी ने आते ही सब को बता दिया कि उन्हें रंगों से सख्त नफरत है. वे केवल धुलेंडी के दिन ही होली खेलेंगे और वह भी केवल सूखे रंगों से.
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9. Holi Special: हक ही नहीं कुछ फर्ज भी
बेटा बेटी को बराबर मानने वाले सुकांत और निधि दंपती ने अपने तीनों बच्चों उन्नति, काव्या और सुरम्य में कभी कोई फर्क नहीं रखा. एकसमान परवरिश की. यही कारण था जब बड़ी बेटी उन्नति ने डैंटल कालेज में प्रवेश लेने की इच्छा जाहिर की तो…
‘‘पापा ऐश्वर्या डैंटल कोर्स करने के लिए चीन जा रही है. मैं भी जाना चाहती हूं. मुझे भी डैंटिस्ट ही बनना है.’’
‘‘तो बाहर जाने की क्या जरूरत है? डैंटल कोर्स भारत में भी तो होते हैं.’’
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10. खुशी के आंसू
आनंद आजकल छाया के बदले ब्यवहार से बहुत परेशान था. छाया आजकल उस से दूरी बना रही थी, जो आनंद के लिए असह्य हो रहा था. दोनों की प्रगाढ़ता के बारे में स्कूल के सभी लोगों को भी मालूम था. वे दोनों 5 वर्षों से साथ थे. छाया और आनंद एक ही स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. वहीं जानपहचान हुई और दोनों ने एकदूसरे को अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया था.
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