महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट के सफलतम कप्तानों में से एक हैं. दबाब में या हारे हुए मैचों को कैसे जीता जाए और संकटमोचन बनकर कप्तानी की भूमिका कैसे निभाई जाए, यह तो धोनी से ही सीखा जा सकता है. उन्होंने अपनी कप्तानी में ऐसे कारनामे किए हैं, जोकि अब तक कोई भी भारतीय कप्तान नहीं कर सका है.

धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने न सिर्फ वनडे और टी-20 वर्ल्ड कप जीता बल्कि चैंपियंस ट्राफी भी अपने नाम किया. इतना ही नहीं, धोनी टीम इंडिया को टेस्ट में नंबर वन भी बना चुके हैं.

इस साल की शुरुआत में धोनी ने जब वनडे और टी-20 की कप्तानी छोड़ी तो हर कोई हैरान था. इतने साल कप्तानी करने बाद अब धोनी ने अपना एक अहम राज खोला है कि आखिर 2007 में कैसे उन्हें कप्तान बनाया गया.

2007 में जब वह 26 साल के थे तब उन्हें नए फार्मेट टी-20 का कप्तान कैसे चुना गया, इसका खुलासा धोनी ने एक वेब पोर्टल को दिए इंटरव्यू में किया. इंटरव्यू में धोनी ने बताया, “मैं उस वार्तालाप या बैठक में नहीं था जब मुझे भारतीय टीम के कप्तान के रूप में चुना गया था. यह सबकुछ मेरे योग्यता और गेम को परखने की निर्भरता पर मिली.”

उन्होंने आगे बताया कि अपने खेल को पढ़ना एक महत्वपूर्ण बात है. उस वक्त मैं सबसे युवा खिलाड़ियों में से एक था. जब भी सीनियर खिलाड़ियों द्वारा मेरा दृष्टिकोण जानने की कोशिश की जाती थी तो मैं कभी भी अपनी बात रखने में हिचक नहीं करता था.

उन्होंने आगे बताया कि उस वक्त की टीम सदस्यों के साथ मेरा व्यवहार सभी खिलाड़ियों के प्रति बेहद अच्छा रहा, शायद इन्हीं वजहों से मुझे नए फार्मेट का कप्तान बनाया.

धोनी ने कुल 199 वनडे मैचों कप्तानी की, जिसमें टीम इंडिया ने 110 मैच जीते. धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने घरेलू वनडे मैचों में कुल 73 में से 43 मैचों जीत हासिल की. वनडे में बैटिंग स्ट्राइक रेट व औसत की बात की जाए तो एबी डिविलियर्स के बाद धोनी दुनिया के दूसरे सफलतम कप्तान हैं. 199 मैचों की कप्तानी करते हुए धोनी ने कुल 6633 रन, जबकि डिविलियर्स ने 87 मैचों की कप्तानी में 4217 रन बनाए.

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