स्पौट फिक्सिंग में दोषी पाए जाने के बाद बीसीसीआई द्वारा आजीवन बैन झेल रहे तेज गेंदबाज एस श्रीसंत ने आजीवन बैन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि बैन खिलाड़ी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. श्रीसंत के याचिका दायर करने के बाद कोर्ट उनके मामले पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है.

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ के सामने इस मामले के आने के बाद उन्होंने इसे रोस्टर के अनुसार एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. इस पीठ ने कहा, ‘‘ इस मामले को पांच फरवरी को रोस्टर के मुताबिक उपयुक्त पीठ के समक्ष रखा जाए.’’

बता दें कि श्रीसंत ने केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें बीसीसीआई द्वारा 2013 में आईपीएल में स्पौट फिक्सिंग का दोषी पाए जाने के बाद उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था.

केरल हाईकोर्ट की सिंगल जज की पीठ ने 34 साल के तेज गेंदबाज को आजीवन बैन से राहत दी थी. लेकिन बीसीसीआई की अपील पर दो जजों की बेंच ने एकल पीठ के फैसले को पलटते हुए बैन को फिर से लगा दिया. अब इसी फैसले को श्रीसंत ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

क्या है मामला ?

2013 में आईपीएल के अंतिम चरण में स्पौट फिक्सिंग की खबरें सामने आ गईं. 16 मई 2013 को श्रीसंत और राजस्थान रौयल्स के उनके दो अन्य साथी खिलाड़ी अजित चंदीला और अंकित चव्हाण गिरफ्तार हुए थे. आईपीएल-6 में स्पौट फिक्सिंग के आरोप दिल्ली पुलिस ने इन तीनों को मुंबई में गिरफ्तार किया था. गौरतलब हो कि श्रीसंत के साथ अंकित चव्हाण और अजित चंदिला को स्पौट फिक्सिंग के मामले पटियाल हाउस कोर्ट ने सबूत के अभाव में बरी कर दिया था लेकिन बीसीसीआई ने बैन नहीं हटाया.

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