2018 में तुर्की में आयोजित ‘इंटरनैशनल स्कीइंग कंपीटिशन’ में कांस्य पदक जीतने वाली आंचल ठाकुर हिमाचल प्रदेश के मनाली शहर की रहने वाली हैं. 21 वर्षीय आंचल यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय हैं. उन्होंने अल्पाइन एज्दर 3200 कप में इस पदक को जीत कर इतिहास रचा है. भारत में विंटर खेल को अधिक महत्त्व नहीं दिया गया. ऐसे में आंचल ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर अपना मुकाम हासिल किया है.

आंचल ने यह मैडल स्लालम अर्थात सांप के आकार के रास्ते पर ‘स्की’ करते हुए जीता. इस खेल  का आयोजन फैडरेशन इंटरनैशनल स्की रेस (एफआईएस) करता है. इस पदक के अलावा आंचल को 2017 के नैशनल गेम्स में 2 मैडल, कई सम्मान व प्रशस्ति पत्र भी मिल चुके हैं.

ऐसे हुई शुरुआत

इस खेल की प्रेरणा कहां से मिली? पूछे जाने पर वे बताती हैं, ‘‘मेरे पिता रोशन ठाकुर अपने समय में नैशनल चैंपियन थे और मेरा बड़ा भाई हिमांशु ठाकुर भी चैंपियन है. ऐसे में मैं ने बचपन से इस खेल को नजदीक से देखा है. मैं ने 5 साल की उम्र से इस खेल को सीखना शुरू कर किया था. मैं उत्साहित हो जाती थी और थोड़ाथोड़ा करती थी. असल ट्रेनिंग 11 साल की उम्र से शुरू  की. ‘‘इस की ट्रेनिंग विंटर में ही होती है, तब तापमान-30 डिग्री होता है. ऐसे में अंदर से स्ट्रैंथ की आवश्यकता होती है. गरमियों में शारीरिक ट्रेनिंग होती है, जबकि ठंड में तकनीकी अभ्यास किया जाता है, क्योंकि इस में सही संतुलन के साथसाथ थाई मसल्स भी स्ट्रौंग होनी आवश्यक है. यह एक एडवैंचर खेल है, जिस में खूब मजा आता है.’’ शुरू में आंचल को ऊपर से नीचे उतरने में डर लगता था, पर अब नहीं. उन के हिसाब से शुरूशुरू में वे 2 हजार मीटर की हाइट के नीचे उतरती थीं. उस के बाद 4 हजार मीटर की बर्फीली पहाड़ियों से उतरने लगीं.

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