राहुल द्रविड़ के बाद अगर टेस्ट क्रिकेट में किसी और बल्लेबाज को 'द वाल' के नाम से याद किया जाएगा तो वह हैं चेतेश्वर पुजारा. 25 जनवरी, 1988 को गुजरात के राजकोट में जन्मे पुजारा आज अपना 30वां जन्मदिन मना रहे हैं. द्रविड़ के संन्यास के बाद पुजारा ने अपनी बेहतरीन तकनीक और संयम भरी बैटिंग से टीम इंडिया के मध्यक्रम को जबर्दस्त मजबूती दी है. उन्होंने सौराष्ट्र के लिए रणजी ट्रौफी खेली और 2010 में औस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया के लिए अपना टेस्ट डेब्यू किया.

चेतेश्वर की प्रतिभा पहचानते हुए पिता अरविंद और मां रीमा ने उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया. क्रिकेट के शुरुआती गुण चेतेश्वर को पिता से ही सीखने को मिले. दरअसल उनके पिता अरविंद पुजारा सौराष्ट्र के लिए रणजी ट्रौफी खेल चुके हैं. चेतेश्वर के चाचा बिपिन पुजारा भी सौराष्ट्र के लिए रणजी खेल चुके हैं. अब आपको बताते हैं चेतेश्वर पुजारा के जीवन से जुड़ी कुछ और बातें.

चेतेश्वर की कामयाबी में मां का अहम योगदान है लेकिन उनकी मां पुजारा की कामयाबी नहीं देख पाईं. पुजारा जब 17 साल के थे तभी उनकी मां की निधन हो गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुजारा जब क्रिकेट मैच खेलने के लिए स्टेडियम पहुंचे तो उन्हें मां की मौत की खबर मिली. कैंसर की वजह से उनकी मां की मौत हुई थी.

मां की मौत के बाद चेतेश्वर गहरे सदमे में थे. किसी तरह सदमे से उबरने के बाद उन्होंने क्रिकेट को मां के सपने के तौर पर जिया. चेतेश्वर को उनकी कड़ी मेहनत का फल भी मिला. कुछ साल बाद उन्होंने अपने परफौर्मेंस के दम पर टीम इंडिया में जगह बनाई और टेस्ट क्रिकेट में अपना डेब्यू किया.चेतेश्वर की कामयाबी में उनकी मां रीमा पुजारा का अहम योगदान है. वह कभी अपनी दिवंगत मां को अपनी सफलता का श्रेय देना नहीं भूलते.

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