उत्तर प्रदेश के बहराइच और लखीमपुर में भेड़ियों का आतंक इस कदर है कि अब सरकार उन को गोली मारने के आदेश दे चुकी है. कभी इंसान और भेड़िया एकदूसरे के दुश्मन नहीं होते थे. इस की एक कहानी सभी ने सुनी होगी जिस को ‘मोगली’ के नाम से जाना जाता है. पहले मोगली की कहानी को समझते हैं. ‘जंगल बुक’ का मोगली भारत के दीना सनीचर से प्रेरित था. इस का एक गीत ‘जंगलजंगल बात चली है पता चला है, चड्ढी पहन के फूल खिला है...’ बेहद लोकप्रिय था. मोगली की कहानी और कार्टून के बाद फिल्म भी बनी थी.
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यह कहानी इंसान के बच्चे की थी. कैसे जंगल के खूंखार जानवरों के बीच रहता है. यह कहानी सीधे तौर पर भारत से जुड़ी थी. असली मोगली यानी दीना सनीचर भारत में रहता था. वह एक ऐसा बच्चा था, जो अपने मातापिता से बिछड़ने के बाद भेड़िये के बच्चों के बीच बड़ा होता है. उस की आदतें भी जानवरों की तरह हो गई थीं. यह कार्टून रुडयार्ड किपलिंग की किताब ‘द जंगल बुक’ पर आधारित है.
भेड़ियों के बीच रहा यह बच्चा उत्तर प्रदेश के ही बुलंदशहर के जंगलों में 1889 में मिला था. वह 6 साल का था, नाम रखा गया दीना सनीचर. शिकारियों के समूह को वह एक गुफा में मिला था. सनीचर भेड़ियों के बीच बड़ा हुआ था. वह भेड़िए की तरह बैठता और बर्ताव भी जानवरों की तरह करता था. वह इंसानों के जैसा व्यवहार नहीं करता था.
उस ने बचपन में जंगली जानवरों जैसे देखा था, वैसा ही करने लगा. उस की शारीरिक और मानसिक क्षमता भी जानवरों की तरह थी. उस से ही कार्टूनिस्ट रुडयार्ड किपलिंग को मोगली का कैरेक्टर बनाने में मदद मिली थी. इस के बाद डिज्नी ने किताब को कार्टून फिल्म में तब्दील किया, जिसे पूरी दुनिया में पसंद किया गया. सनीचर को आगरा के अनाथालय में भेजा गया था लेकिन वह जीवनभर शारीरिक रूप से मजबूत नहीं हो पाया. वह कभी बोल नहीं पाया.