सलीम जावेद की जोड़ी बाले जावेद अख्तर का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं जिन्होंने बालीबड की कई कामयाब फिल्मों की कहानिया लिखीं हैं. बहुमुखी प्रतिभा के धनी जावेद अपनी 71 साल की जिंदगी में जिन चीजों के लिए पछताते हैं शराब की लत उन में से एक है. हालांकि 1991 के बाद उन्होंने शराब से तौबा कर ली थी लेकिन आज भी एक कसक उन के मन में है कि अगर जवानी में शराब की लत न लगी होती तो जिंदगी में कुछ और भी सीख सकता था. एक ताजे इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने स्वीकारा है कि शराब के नशे में वे शैतान बन जाते थे. बकौल जावेद जिंदगी में जो कुछ अच्छी चीजें उन्होंने की हैं शराब को छोड़ देना उन में से एक है. यानी दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो शराब की लत से छुटकारा पाया भी जा सकता है.
अव्वल तो शराब पीना ही दुनिया की सब से खराब लतों में से एक है लेकिन जब इस का नशा हद से गुजर जाता है तो आदमी वाकई आदमी नहीं रह जाता वह कैसे हैवान बन जाता है इस का एक अप्रिय ताजा उदाहरण हस्तिनापुर के एक गांव से सामने आया है. जहां शराब के नशे में चूर एक सौतेले पिता ने अपनी नाबालिग बेटी से रात भर बलात्कार किया. वह मासूम पापा पापा चिल्लाती रही लेकिन वहशी बन चुके बाप पर इस का कोई असर नहीं हुआ. 27 सितम्बर को आरोपी की पत्नी अपने मायके जानसठ गई थी. रात कोई 12 बजे यह दुष्कर्मी बेटी के कमरे में घुसा और बेटी की इज्जत के साथ साथ बाप बेटी का रिश्ता भी तार तार कर डाला. बेटी की मां ने घर लौट कर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है लेकिन पीड़ित मासूम जिंदगी भर इस हादसे को भूल पाएगी ऐसा लगता नहीं.
तो शराब का नशा आदमी से कुछ भी करवा सकता है जिस में अच्छा कुछ होने का तो सवाल ही नहीं उठता लेकिन बुराइयों की गिनती करना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है लेकिन शराब के ज्यादा नशे जिसे हेंग ओवर भी कहा जाता है में पिद्दी से पिद्दी आदमी भी पहलवानों जैसी दमखम दिखाने लगता है और कई मर्तबा हट्टा कटता आदमी भी नाली में लुढ़का दिखाई देता है. शराब के नशे की यह खूबी ही है कि इसे पीने वाला दुनिया तो दुनिया खुद को भी भूल जाता है. कोई शराब क्यों पीता है इस की कोई वजह नहीं होती सिवाय इस के कि पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए रहता है.
अलबत्ता ऐसा कहने बालों की भी कमी नहीं कि शराब का नशा कुछ देर के लिए ही सही सारे दुख और गम भुला देता है जबकि हकीकत में ऐसा होता नहीं है. दुख और गम तो ज्यों के त्यों रहते हैं बस कुछ देर के लिए दब जाते हैं. जाहिर इस और ऐसी दलीलों में कोई दम नहीं होता लेकिन इन आंकड़ों में जरुर दम है कि देश की राज्य सरकारों की आमदनी का सब से बड़ा हिस्सा शराब पर लगे टैक्स से आता है. अलगअलग राज्यों में आबकारी दरें अलगअलग हैं जो कि उन के कुल राजस्व का 15 से 30 फीसदी होता है. यानी शराबखोरी को न केवल सरकारी प्रोत्साहन मिला हुआ है बल्कि संरक्षण भी प्राप्त है.
एक एजेंसी के मुताबिक देश भर में कोई 30 करोड़ लोग शराब पीते हैं. आबादी के लिहाज से सबसे ज्यादा शराब आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ में पी जाती है जहां 35.6 फीसदी लोग शराब पीते हैं. देश के टौप 10 राज्यों में शराबियों की तादाद कुछ इस तरह है –
– त्रिपुरा – 34.7
– आंध्रप्रदेश – 34.5
– पंजाब – 28.5
– गोवा – 26.4
– केरल – 19.9
– पश्चिम बंगाल – 14
– तमिलनाडु – 15 फीसदी
– कर्नाटक में 11 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
लेकिन शराब से होने वाली आमदनी में उत्तर प्रदेश का नाम सब से ऊपर है. यहां शराब से मिलने वाला राजस्व एक लाख 75 हजार करोड़ रुपए है जो राज्य के कुल राजस्व का 21.8 फीसदी है. दूसरे नंबर पर कर्नाटक है जहां 20,950 करोड़ रुपए आबकारी कर से मिलते हैं. यह कुल राजस्व का 20.6 फीसदी है. महाराष्ट्र में एक्साइज से 17,477 करोड़ तो मध्य प्रदेश में शराब पर टैक्स से 11,873 करोड़ रुपए मिलते हैं. जिन राज्यों में शराबबंदी लागू है उन में गुजरात पहले नंबर पर है जहां एक्साइज से महज 0.20 फीसदी ही आमदनी होती है. बिहार में शराबबंदी के बाद 3500 करोड़ का घाटा हो रहा है. इस का फायदा सीधेसीधे उस के पड़ोसी राज्यों झारखंड और पश्चिम बंगाल को हो रहा है.
शराब और शराब घोटाले को ले कर लगातार विवादों और सुर्ख़ियों में रहने बाली दिल्ली को पिछले 3 साल से कम से कम 1500 करोड़ रुपए की सालाना आमदनी हो रही है. साल 2023 में दिल्ली सरकार को हर दिन कोई 19 करोड़ की आमदनी शराब बिक्री से हुई थी. 2022 – 23 में दिल्ली सरकार को 5548.48 करोड़ की रिकार्ड आमदनी हुई थी. बदलती शराब नीति के चलते यह आंकड़ा भी बदलता रहता है. लेकिन वहां औसतन 19 लाख शराब की बोतलें प्रतिदिन बिकती हैं और हैरानी की बात यह कि दिल्ली में महिला शराबियों की तादाद लगातार बढ़ रही है.
जाहिर है कोई भी राज्य सरकार शराब से मिलने वाले राजस्व का लालच छोड़ नहीं पाती. लौक डाउन के दिनों में जब शराब की बिक्री बंद थी तब देश भर के राज्यों को 7000 करोड़ प्रतिदिन का नुकसान हुआ था. लौक डाउन के बाद लोगों ने जो शराब पीना शुरु की तो राज्यों की चांदी हो आई.
शराब का ओवर डोज कितने हादसों की वजह बनता है इस की भी कोई गिनती नहीं, गिनती है तो मौतों की कि भारत में हर साल कोई 30 लाख लोग शराब के चलते मरते हैं. शराबी खुद का तो हर तरह से नुकसान करता ही है लेकिन नशे में दूसरों को भी परेशान कर डालता है. आमतौर पर शराब पी कर लड़खड़ाने बालों से हर कोई बचने की कोशिश करता है. क्योंकि उन का कोई भरोसा नहीं होता. वे बेखौफ होते आप को गाली भी बक सकते हैं और धक्का भी दे सकते हैं. इस स्थिति से कोई दो चार नहीं होना चाहता लेकिन इस के बाद भी हर किसी का इन से पाला पड़ ही जाता है. ऐसे में हर कोई इन से दूर रहने में ही अपनी भलाई समझता है.
लेकिन शराबी के घर वालों की तो उन्हें झेलना मजबूरी हो जाती है. चूंकि उन की आदत पड़ी होती है इसलिए वे डरते नहीं बल्कि उस का नशा उतारने की कोशिश में लगे रहते हैं. शराब चूंकि सीधे नर्वस सिस्टम पर असर डालती है इसलिए नशा एकदम तो नहीं उतरता लेकिन इन उपायों से एक हद तक कम जरुर हो जाता है.
– शराबी को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाना चाहिए, हार्वर्ड मैडिकल कालेज की एक रिसर्च के मुताबिक ज्यादा शराब पीने से शराबी डिहाइड्रेट होने लगता है क्योंकि उसे पेशाब ज्यादा लगता है. अकसर कई शराबी अपनी पेंट गीली कर लेते हैं क्योंकि वे पेशाब रोक नहीं पाते. असल में ज्यादा शराब पीने से वैसोप्रेसिन नाम का हार्मोन ज्यादा रिलीज होता है जिस से किडनी में पेशाब बनने लगता है. ज्यादा पानी पिलाने से शराबी डिहाइड्रेट होने से बचता है और शराब की मात्रा तेजी से खून से निकलने लगती है.
– ज्यादा शराब पीने से ब्लड सुगर लेबल भी तेजी से कम होने लगता है जिस से शराबी का दिमाग से नियंत्रण हट जाता है. यहां तक कि वह अपने हाथ से खाना भी नहीं खा पाता. उसे सरदर्द होना और चक्कर आना भी आम बात होती है इसीलिए शराबी यहांवहां सहारा ढूंढा करते हैं और मिल भी जाए तो ज्यादा देर तक उसे थामे नहीं रह पाते. इसलिए अकसर गिरते हुए दिखाई देते हैं. ऐसी हालत में डाक्टर और वैज्ञानिक उन्हें फलों का रस पिलाने की सलाह देते हैं क्योंकि इस से खून में से एल्कोहल की मात्रा कम होती है.
– शराब के नशे में धुत लोगों को चाय या काफी पिलाने से भी नशा कम होता है क्योंकि उन में मौजूद केफीन नर्वस सिस्टम को सक्रिय करता है.
– शराबी को दर्द निवारक दवाएं खासतौर से एस्प्रिन देने से फायदा होता है. आइब्रुफेन भी दी जा सकती है जिस से सरदर्द और थकान में राहत मिलती है.
– विटामिन सी देने से भी शराब के नशे का असर कम होता है. अकसर जब शराबी धुत हो कर घर आता है तो घर वाले उसे नीबू का पानी पिलाते हैं. जर्नल औफ क्लिनिकल मैडिसिन की एक रिपोर्ट के मुताबिक नियमित विटामिन सी, विटामिन बी और जिंक लेने वालों को शराब का नशा कम चढ़ता है. हालांकि यह रिसर्च अभी शुरुआती दौर में है लेकिन नीबू पानी और संतरे मौसंबी का रस नशा कम करने में मददगार साबित होता है.
– इस के अलावा नारियल पानी और पुदीने के पानी से भी नशा कम होता है. शराबी को शहद चटाने से भी फायदा होता है क्योंकि इस से सुगर लेबल मेंटेन रहता है. केला दही और अदरक का सेवन भी नशा कम करने में मददगार होते हैं.