इस बार की दीवाली उन 41 मजदूर परिवारों के लिए बिलकुल काली हो गई जो उत्तराखंड की सिल्क्यारा टनल के अचानक धंसने से उसमें फंस गए हैं. दीवाली के दिन सुबह साढ़े 5 बजे निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. उस सुरंग में उस वक़्त 41 मजदूर खुदाई में जुटे थे. सुरंग का पिछला हिस्सा भूस्खलन की वजह से इस तरह भरभरा कर गिरा कि उस ने बाहर निकलने का रास्ता ही बंद कर दिया.

बीते 14 दिन से चल रहे बचाव कार्यों के बीच सुरंग में बंद मजदूरों और बाहर जमावड़ा लगाए उन के परिजनों की हर सुबह इस उम्मीद के साथ हो रही है कि शायद आज उन्हें बाहर निकाल लिया जाएगा मगर हर शाम निराश और खामोश हो जाती है.

इन 41 मजदूरों में से 15 मजदूर झारखंड के हैं, इस के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार के मजदूर हैं. गांव-देहात में उन के परिजन किसी अनहोनी की आशंका से भरे हुए हैं. सुरंग में बंद एक मजदूर अनिल की मां राजो देवी ने खाना पीना छोड़ रखा है. कहती है जब तक मेरा बेटा जीवित नहीं निकलेगा अन्न को हाथ नहीं लगाऊंगी.

अनिल का बड़ा भाई सुनील पिछले 14 दिनों से सुरंग के बाहर बचावकर्मियों के साथ डटा हुआ है और वहां के पल पल की खबर अपने गांव भेज रहा है. अन्य मजदूरों के परिजन भी वहां पहुंच चुके हैं जिन के आने, ठहरने और खानेपीने का सारा इंतजाम राज्य सरकार ने किया है.

मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने के लिए सरकार द्वार जो काम हो रहा है वह तारीफ के काबिल है क्योंकि ऐसा पहली बार देखने में आ रहा है कि मजदूर वर्ग की जान बचाने के लिए सरकार ने जमीन आसमान एक कर दिया है.

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