प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2047 तक भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वे कहते हैं कि हम दुनिया की सब से बड़ी महाशक्ति के रूप में उभरने वाले हैं. बकौल योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश देश व समाज की मजबूती के लिए शिक्षा की नींव मजबूत होना जरूरी है. गत 6 वर्षों में उत्तर प्रदेश ने बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है. 2017 के पहले बदहाली से जो स्कूल बंदी के कगार पर थे आज उन का कायाकल्प हो चुका है. दृढ़ संकल्प, संसाधन, तकनीकी, नवाचार के समन्वय से शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कार का सपना साकार हुआ है. तकनीकी के बेहतर उपयोग वाला निपुण भारत मिशन शिक्षा की गुणवत्ता सुदृढ़ करने में शानदार परिणाम दे रहा है.

ऐसी बड़ीबड़ी बातें करने वाले नेताओं की नाक के नीचे हाथरस में एक स्कूल के भीतर शिक्षक और प्रबंधक द्वारा एक 9 साल के छात्र की बलि दे दी गई और वह इसलिए ताकि उन के स्कूल की तरक्की दिन दूनी रात चौगुनी हो. सोचिए हमारा समाज और समाज को शिक्षित करने वाले किस धार्मिक अंधविश्वास, मूर्खता, अपराध और जघन्यता के अंधे कुएं में बैठे हैं और नेता हमें विश्वगुरु बनने का आसमानी सपना दिखा रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के हाथरस से अनेक भयावह ख़बरें निकल कर आती हैं. अभी कुछ दिन पहले की बात है हाथरस में एक ढोंगी बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा उर्फ सूरजपाल सिंह जाटव के धार्मिक समागम में भगदड़ मचने से 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, जिन में अधिकतर महिलाएं थीं. बाबा की चरणधूलि लेने के चक्कर में ऐसी भगदड़ मची कि तमाम औरतें और बच्चे दलदल में एक के ऊपर एक गिरते चले गए और दम घुटने से उन की मौत हो गई. सारे शव एक दूसरे के ऊपर ढेर हो गए. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की पुलिस ने आजतक उस बाबा को गिरफ्तार नहीं किया. उस के खिलाफ सारा मामला रफादफा हो गया. मुख्यमंत्री से ले कर कानून को लागू करने वाली तमाम एजेंसियों ने धर्म की काली पट्टी आंखों पर चढ़ा ली. फिर किस की मां, किस की बहन, किस की बेटी, किस की पत्नी, किस का बच्चा मरा, किसी को नहीं दिखाई दिया.

हाथरस में ही वह भयानक रेप काण्ड भी हुआ था जिस की गूंज पूरे देश में सुनाई पड़ी थी. 14 सितम्बर,2020 में एक 19 साल की दलित लड़की से 4 लोगों ने भयानक तरीके से बलात्कार किया. बलात्कार के बाद उस को मारने के लिए उस के गले में दुपट्टा डाल कर उसे घसीटा गया, जिस से उस की रीढ़ की हड्डी टूट गई. जब वह चीखी तो उस की जबान काटने की कोशिश की गई और फिर उस का गला घोंट कर उसे खेत में यह सोच कर फेंक दिया कि वह मर गई. बाद में जब उस की मां उस को खेतों में ढूंढते हुए आई तो उस ने अपनी बच्ची को मरणासन्न हालत में देखा. उस की सांसें चल रही थीं मगर उस के शरीर को लकवा मार चुका था. अस्पताल में पुलिस ने उस दलित लड़की का बयान दर्ज किया. उस ने चारों अपराधियों के नाम लिए. हालत बिगड़ने पर उस को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भी लाया गया मगर वह जिंदा नहीं बची. 29 सितम्बर को उस की मौत हो गई. दलित के साथ क्रूरता का सिलसिला यही नहीं थमा, उस की मौत के बाद उस के परिजनों को उस का शव सौंपने की बजाय या उन की सहमति लेने की बजाय उन्हें उनके घर में बंद कर के उत्तर प्रदेश पुलिस ने रात के ढाई बजे उस दलित लड़की का शव जला दिया.

आज उसी हाथरस में एक 9 साल के बच्चे को स्कूल प्रशासन ने स्कूल के भीतर गला घोंट कर उस की बलि चढ़ा दी ताकि उन के स्कूल की तरक्की हो. अपने मांबाप का इकलौता बेटा कृतार्थ सहपऊ क्षेत्र के गांव रसगवां के डीएल पब्लिक स्कूल आवासीय विद्यालय में कक्षा 2 में पढ़ रहा था. उस के मातापिता उस को इंजीनियर बनाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने उस को हौस्टल में रख कर पढ़ाना पसंद किया मगर उन्हें क्या पता था कि जिस स्कूल में उन्होंने अपने बच्चे का दाखिला कराया है वह धर्म के अंधे और काला जादू व तंत्रमंत्र करने वाले जघन्य अपराधियों का डेरा है. स्कूल का प्रबंधक दिनेश बघेल और उस के पिता जशोधन शिक्षक नहीं बल्कि तांत्रिक है और तंत्रमंत्र और बलि देने के चक्कर में उन्होंने मासूम कृतार्थ की हत्या कर दी.

कृतार्थ के पिता श्रीकृष्ण ने अपने बेटे को इंजीनियर बनाने के लिए अच्छी पढ़ाई कराने की सोची थी. इस के चलते उन्होंने अपने कलेजे के टुकड़े को अपने से दूर डीएल पब्लिक स्कूल के छात्रावास में रखा था. उन्हें क्या पता था कि धार्मिक कर्मकांडों में लिप्त लोग उस के घर का इकलौता चिराग बुझा देंगे.

विद्यालय प्रबंधक दिनेश बघेल का पिता स्कूल और स्कूल से 15 मीटर की दूरी पर बने एक नलकूप पर तांत्रिक क्रिया करता था. इस कारण वह पूरे गांव में भगतजी के नाम से मशहूर था. दिनेश बघेल ने जब विद्यालय बनाया तजा तो उस ने बाजार और बैंक से कर्ज लिया था. इस कर्ज से मुक्ति पाने, अपने विद्यालय और परिवार की तरक्की के लिए वह और उस का बाप जसोदन तांत्रिक क्रियाएं कर रहे थे. इस के चलते जसोदन ने विद्यालय में पढ़ने वाले कृतार्थ से पहले राज नाम के बच्चे की बलि देने की भूमिका तैयार की थी, लेकिन राज बच गया. रात में जब ये लोग राज को उठाने के लिए हौस्टल के अंदर गए तो राज जाग गया और चीखने चिल्लाने लगा. इसलिए उस दिन उसे छोड़ना पड़ा. उस के बाद रात को बलि देने के लिए कृतार्थ को चुना गया. रात करीब 10 बजे जब सभी सो गए तो बच्चों के साथ हौल में सो रहा रामप्रकाश सोलंकी नाम का आदमी कृतार्थ को अपनी गोदी में उठा कर तांत्रिक क्रिया और बलि देने के लिए ले कर बाहर आया. इस दौरान कृतार्थ की आंख खुल गई. वह रोने लगा तो जसोदन ने राम प्रकाश सोलंकी बच्चे के मुंह को दबा कर नीचे प्रधानाचार्य कक्ष के बाहर बिछे हुए तख्त पर ले आये और वहां उस को लिटा कर गला दबा कर उसे मार डाला.

इस घटना को अंजाम देने के दौरान कंप्यूटर शिक्षक वीरपाल उर्फ वीरू निवासी ग्राम बंका थाना मुरसान, प्रधानाचार्य लक्ष्मण सिंह पुत्र राधेश्याम निवासी बढा लहरोली घाट थाना बल्देव जनपद खड़े हो कर निगरानी करते रहे. यानी पूरा स्कूल स्टाफ तंत्रमंत्र, धार्मिक कर्मकांड और अपराध में लिप्त था. क्या ऐसी जगह को स्कूल या शिक्षण संस्थान का नाम दिया जा सकता है?

पुलिस को नलकूप की कोठरी से बलि देने का सामान, रस्सी, धार्मिक तस्वीरें, पूजापाठ का सामान मिला है. चारपांच लोगों की गिरफ्तारी हुई है मगर यह भी कुछ दिन बाद वैसे ही छूट जाएंगे जैसे हाथरस रेप काण्ड के आरोपी छूट गए और जैसे 300 से ज्यादा महिलाओं की हत्या का दोषी धार्मिक बाबा आजाद घूम रहा है.

भारतीय जनता पार्टी की सरकार देश को विश्वगुरु बनाने की तरफ नहीं बल्कि धर्म के अंधे कुएं की तरफ धकेल रही है. देश गर्त में जा रहा है. जिस देश का प्रधानमंत्री कोरोना को भगाने के लिए जनता से थाली पिटवाए, मोमबत्तियां जलवाए, जिस देश का रक्षा मंत्री लड़ाकू विमान रफाल की डिलीवरी लेने फ्रांस जाए और वहां रफाल को पहले पूजे, उस पर ॐ लिखे, उस पर नारियल चढ़ाए और विमान के पहियों के नीचे नीबू रखे तो ऐसे अंधविश्वासी राजनेताओं के राज में स्कूलों में बच्चों की बलि चढ़ा दी जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

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