VIDEO : नेल आर्ट का ये तरीका है जबरदस्त
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.
देश में फैलाए जा रहे धार्मिक नफरत के माहौल में एक अच्छाखासा आदमी किस तरह दूसरे मजहब के लोगों से घृणा करने लगता है और एक दिन बेरहमी से वह अपने दोस्त का कत्ल करने से नहीं हिचकिचाता. राजस्थान के राजसमंद में 48 साल के मोहम्मद अफराजुल की हत्या करने वाला शंभूलाल रैगर इस की जीतीजागती मिसाल है. दलित समुदाय का शंभूलाल इसी विषैली हवा का शिकार बन गया. इसी में निश्चल प्रेम की भी बलि दी जा रही है. भगवा संदेश है कि धर्म, जाति, कुंडली वर्ण, वंश देख कर प्यार करो, यानी पंडित ने जिसे कहा उस से प्रेम करो.
6 दिसंबर को उदयपुर जिले के राजसमंद के राजनगर में शंभूलाल ने अफराजुल की लव जिहाद के नाम पर फावड़े और गैंती से निर्ममतापूर्वक हत्या की और फिर उसे पैट्रोल डाल कर जला दिया. इस बेरहम कत्ल का बाकायदा वीडियो बनाया गया और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर के नफरत की आग को और हवा देने की कोशिश की गई.
यह भयावह वीडियो जैसे ही वायरल हुआ, इसे देख कर लोग स्तब्ध रह गए. अनेक लोगों ने इस हत्या की निंदा की पर सोशल मीडिया पर कई हिंदू कट्टरपंथियों ने हत्या को जायज ठहराते हुए शंभूलाल का समर्थन किया और उसे हीरो का दरजा देने का प्रयास किया गया.
छदम देशभक्ति
शंभू ने अपने नाबालिग भतीजे से 3 वीडियो बनवाए थे. एक हत्या के समय का लाइव वीडियो है. 2 वीडियो कत्ल करने से पहले के हैं. इन में से एक वीडियो में वह स्त्री सम्मान, लव जिहाद और देशभक्ति जैसे मुद्दों पर भाषण दे रहा है. कत्ल के वीडियो में वह दावा कर रहा है कि अपनी बहन की बेइज्जती का बदला लेने और लव जिहाद को खत्म करने के लिए वह इस हत्या को अंजाम दे रहा है. वह चेतावनी भी दे रहा है कि हिंदू लड़कियों को पथभ्रष्ट करने वालों का अंजाम यही होगा.
इस हत्या पर उस ने लव जिहाद, मेवाड़ प्रेम, इसलाम विरोध और महाराणा प्रताप की वीरता की बात कही है. इस वीडियो को लाखों लोग देख चुके हैं.
शंभू को पुलिस ने जल्दी पकड़ लिया. उस ने पूछताछ में बताया कि वह कुछ सालों से अपने महल्ले में रहने वाली एक औरत के साथ रहता था. जो उस के साथ ही काम करती थी. बाद में वह औरत उसे छोड़ कर अफराजुल के पास रहने लगी. शंभू और अफराजुल दोस्त बताए जाते हैं और एक ही महल्ले में रहते थे. शंभू ठेकेदारी करता था और अफराजुल पश्चिम बंगाल से उस के लिए मजदूर लाता था.
पुलिस के मुताबिक, शंभू ने बताया कि उस के महल्ले की 2 लड़कियां गायब हो गई थीं. इन में से सुनीता (बदला हुआ नाम) को वह मालदा जिले के सैयदपुर गांव जा कर वापस लाया था. वह सुनीता की मां की गुहार पर खुद ही सैयदपुर गया था. लड़की की मां से उसे लाने के एवज में शंभू ने 10 हजार रुपए इनाम के तौर पर लिए थे. अफराजुल इसी गांव का था. चर्र्चा थी कि उसे अफराजुल ने भगाया था.
यह भी बताया गया कि सुनीता को सैयदपुर गांव से लाने से नाराज बंगाली मजदूरों ने शंभू को मारापीटा था. इस से वह सनकी हो गया था. पिछले कई दिनों से वह इंटरनैट पर लव जिहाद से जुड़े भाषण सुन रहा था. पुलिस का मानना है कि वह इन बातों से परेशान रहने लगा और साथ के मुसलिम मजदूरों से नफरत करने लगा. इस के बाद वह हत्या की योजना बना रहा था.
आपसी रंजिश के मामले को वह पूरे हिंदू समाज से जोड़ने में सफल हो गया. इस घटना से लगता है कि अब एक हिंदू कट्टरता को अपनाकर आतंकवादी मानसिकता का रूप लेता जा रहा है. हत्या और दंगाफसाद करने वाले लोग माथे पर भगवा पट्टी और भगवान का नारा लगा कर हत्या और आगजनी को अंजाम देने लगे हैं.
देशभर में घातक किस्म का हिंदुत्व पांव पसार रहा है जो लोगों के मनमस्तिष्क में जहर की तरह घुसपैठ कर रहा है. यह काम भारत में राष्ट्रवाद, देशभक्ति के नाम पर बड़े शातिराना तरीके से कराया जा रहा है.
नफरत का माहौल
पिछले कुछ समय से देश में जिस तरह की विचारधारा और नफरत का वातावरण बनाया जा रहा है, यह घटना उस विचारधारा के फलनेफूलने को दर्शा रही है. देश में धर्मयुद्घ जैसा माहौल बन चुका है. एक बेकुसूर मजदूर की हत्या को धर्म का जामा पहना देना उस विचारधारा और समूह का षड्यंत्र है जो दूसरे धर्म के लोगों की हत्या को उकसाता है. वीडियो में शंभू की भावभंगिमा, भाषा उसी हिंदुत्व से प्रेरित लगती है.
यह दशकों से फैलाई जा रही जहरीली विचारधारा का नतीजा है. यह जो माहौल फैलाया जा रहा है उस से शंभू रैगर ही पैदा हो सकते हैं. लाखों की संख्या में इस नफरत के माहौल का असर युवाओं पर पड़ रहा है. युवा बेराजगारों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है बल्कि उन्हें तालिबान, आईएसआईएस की तरह आतंकी बना कर धर्मयोद्धा बनाया जा रहा है.
देश के युवाओं को धार्मिक कट्टरता से प्रभावित कर के आतंक की ओर झोंका जा रहा है. लाखों युवा धर्म के नाम पर जान देने और जान लेने को तैयार हैं. लोगों का बे्रनवाश किया जा रहा है ताकि उन के जरिए दंगे, हत्याएं करवाई जा सकें. देश में एक विषैली पौध तैयार हो रही है. जिस के दुष्परिणाम तो दिखेंगे ही. ऐसे में भारत और मजहबी कट्टरपंथी पाकिस्तान में फर्क क्या रह जाता है.
हिंदू आतंकवाद की इस लैबोरेटरी में दलित, पिछड़ा, आदिवासी समुदाय के युवाओं का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. जयपुर से गाय ले जा रहे हरियाणा के नूह के पशुपालक पहलू खान की जान लेने वाले पिछड़े समुदाय के युवा ही थे. इन वर्गों के युवा महज औजार हैं और हिंदुत्व के लिए इस्तेमाल होने के लिए तैयार हैं.
बाबरी मसजिद को ढहाने में यही लोग आगे थे. राममंदिर निर्माण के लिए झंडा उठाने वालों में पिछड़े सब से अधिक पैरोकार बने दिखाई दे रहे हैं. यह समुदाय बल में सब से ऊपर हैं, बुद्धि में नहीं. बुद्घि चलाने वाले तो बहुत थोड़े से हैं, हिंदुत्व की मलाई वही चाट रहे हैं.
मेवाड़ का कर्ज चुकाने, देशभक्ति दिखाने और हिंदुत्व की इज्जत के लिए क्या शंभू रैगर जैसों की जरूरत है? दलितों, पिछड़ों को इस साजिश पर सोचनासमझना होगा कि उन के दिमाग में धर्म, जाति की नफरत का जहर कौन घोल रहा है और क्यों? इसी में वे युवा पिस रहे हैं जिन के दिल किसी खास को देख कर धड़कने लगते हैं.