अव्वल तो हिंदुओं में शोक स्वरूप ही सर मुड़ाया जाता है, पर इन दिनों भीषण गर्मी के कहर से भी बचने लोग सर पर उस्तरा चलवा रहे हैं. गायक सोनू निगम ने दस लाख रुपये के लालच में अपने सर के रेशम से बाल मुंबई में मीडिया के सामने कुतरवाकर अपने ताजे ताजे टकले पर हाथ फेरते कहा कि अब उस मौलवी को दस लाख रुपये इस नाई को देना चाहिए जिसने उनके सर की फसल काटी. हुआ यूं था कि फुर्सत में बैठे सोनू को इस चिंता में नींद नहीं आ रही थी कि गाने बजाने का कारोबार अब पहले सा नहीं चल रहा. सोचते सोचते सुबह हो गई और इसी वक्त घर के नजदीक की मस्जिद से अजान की आवाज ब-जरिए लाउड स्पीकर आई तो उन्हें बुद्ध सरीखा ज्ञान प्राप्त हो गया कि हो न हो यही वह वजह है जिसके चलते लोग उनके गाने नहीं सुन रहे, सो उन्होंने ट्वीट कर अपने दुख के दोने में से व्यथा का रायता बघरा दिया कि लाउड स्पीकर पर अजान बंद होना चाहिए.

सोनू निगम जब  जागे तो मुकम्मल हल्ला उम्मीद के मुताबिक मच चुका था, जिससे कई बातों के साथ एक बात यह भी साबित हुई कि न्यूटन ने गलत नहीं कहा था कि प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है. अधिकांश प्रतिक्रियाएं बड़ी अपेक्षित थीं कि सोनू को मुसलमानों के धार्मिक मामलों मे टांग नहीं फसाना चाहिए. हिंदुओं के शोर शराबे से हैरान परेशान लोगों को भी अपना रायता फैलाने का मौका मिल गया कि मुसलमान ही क्यों हिंदुओं के धार्मिक जलसों पर रोक लगनी चाहिए. इधर मोदी सरकार की निगाहों में चढ़ने की सोनू मंशा पूरी हो गई थी, लिहाजा बाकी शोर शराबे का कोई मतलब नहीं रह गया था.

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