असिस्टिड रीप्रोडक्टिव टैक्नीक्स (एआरटी) ने संतानहीनता की समस्या से जूझ रहे लोगों को उम्मीद की नई किरण दिखाई है. कुछ वषोें पहले इन तकनीकों के द्वारा संतान प्राप्ति का प्रतिशत बहुत कम था, लेकिन अत्याधुनिक खोजों ने इस की सफलता के अवसर बढ़ा दिए हैं. एग फ्रीजिंग और एग डोनेशन ने मातृत्व सुख प्राप्त करने की संभावनाओं को कईर् गुना बढ़ा दिया है. एग फार्मेशन इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा.
फीमेल एग
एक महिला जब जन्म लेती है तब वह अपने पूरे अंडों के साथ जन्म लेती है. बल्कि जब वह अपनी मां के गर्भ में रहती है तभी यह निर्धारित हो जाता है कि उस के अंडक में कितने एग्स का संचय रहेगा. कौमार्य प्रारंभ होने पर जब हारमोनल गतिविधियां प्रारंभ होती हैं तब तक ये अंडे निष्क्रिय स्थिति में पड़े रहते हैं. प्रतिमाह अंडों का एक गुच्छा अंडोत्सर्ग की ओर अपनी यात्रा प्रारंभ करता है. केवल सर्वश्रेष्ठ का चयन होता है और बाकी प्राकृतिक रूप से अलग कर दिए जाते हैं. 37 साल की उम्र तक एग रिजर्व में तेजी से कमी आती है और 40 साल के बाद यह संख्या और तेजी से कम हो जाती है. मेनोपौज तक पहुंचतेपहुंचते एग रिजर्व लगभग खाली हो जाता है.
एग फ्रीजिंग
कैरियर और सही साथी मिलने के इंतजार में कई महिलाएं शादी करने और मां बनने की योजना को डिले कर देती हैं. 35 साल के बाद महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम होने लगती है और 40 साल के बाद तेजी से कम हो जाती है. हालांकि मैडिकल टैक्नोलौजी के तेजी से विकसित होने के कारण महिलाएं अब भविष्य में इस्तेमाल करने के लिए अपने अंडे फ्रीज कर सकती हैं. अब महिलाएं 35 साल के बाद भी सफलतापूर्वक मां बन सकती हैं.
एग फ्रीजिंग असिस्टिड रीप्रोडक्टिव टैक्नोलौजी के क्षेत्र में नवीनतम डैवलपमैंट है. फ्रीजिंग एग्स उम्र बढ़ने के विरुद्ध महिलाओं का बायोलौजिकल इंश्योरैंस है.
प्रक्रिया
अंडों के निर्माण को बढ़ाने के लिए पेशैंट को 1 सप्ताह या अधिक समय तक फर्टिलिटी ड्रग दी जाती है. अंडों के निर्माण पर अल्ट्रासाउंड स्कैन के द्वारा नजर रखी जाती है. इस के बाद ऐनेस्थीसिया दे कर अंडों को सर्जरी के द्वारा निकाला जाता है. फिर इन्हें माइनस 196 डिग्री पर तरल नाइट्रोजन में डुबोया जाता है. उस के बाद फ्रीज किया जाता है, विट्रिफिकेशन के द्वारा जिसे फास्ट फ्रीजिंग कहते हैं.
हाल में हुए अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि जिन अंडों को विट्रिफिकेशन के द्वारा फ्रीज किया जाता है उन से गर्भधारण करने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि इस से एग्स के जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है.
विट्रिफिकेशन के द्वारा एग्स को 5 या अधिक वर्षों तक संभाला जा सकता है. उन की गुणवत्ता खराब नहीं होती है. एग्स को क्रायोटैंक्स या क्रायोबैंक्स में स्टोर किया जाता है. ये सिलैंडर्स होते हैं, जो नाइट्रोजन से भरे होते हैं.
किस उम्र में कराएं
कई महिलाओं का मानना है कि एग्स को कभी भी फ्रीज कराया जा सकता है. वे तब तक इंतजार करती हैं जब तक कि 40 साल की नहीं हो जाती हैं. लेकिन इस समय तक बहुत देर हो जाती है. 25 से 37 साल की उम्र के बीच एग्स को फ्रीज कराना सब से बेहतर रहता है. जो महिलाएं एग्स फ्रीज करवाना चाहती हैं उन्हें देर नहीं करनी चाहिए. 34 साल से पहले ही अपने अंडों को फ्रीज करा लेना चाहिए.
कितने एग्स फ्रीज कराएं
कितने एग्स फ्रीज कराएं, यह व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है. वैसे लगभग 10 एग्स फ्रीज कराने की सलाह दी जाती है. एक सिंगल फ्रोजन एग के द्वारा जीवित बच्चे को जन्म देने की संभावना लगभग 2 से 12% तक होती है. लेकिन अगर फ्रीज किए अंडों की संख्या अधिक होती है तो संभावना बढ़ जाती है.
एग डोनेशन
डोनर एग्स का इस्तेमाल अधिक सामान्य होता जा रहा है. विशेषरूप से 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में. 2010 में लगभग 11% असिस्टिड रीप्रोडक्शन टैक्नीक्स में डोनर एग्स का इस्तेमाल होता था. इस से फर्टिलिटी प्रक्रिया की सफलता की दर बढ़ जाती है. इस के अतिरिक्त जो महिलाएं फ्रैश भू्रण का इस्तेमाल करती हैं उन के प्रत्येक साइकिल में गर्भवती होने की संभावना 43.4% होती है.
अधिकतर एग्स डोनेशन में डोनर के बारे में पता नहीं होता है, लेकिन कुछ एग्स डोनर के बारे में जानने को प्राथमिकता देते हैं, जिस के लिए कानूनी प्रतिबद्धताएं पूरी करनी पड़ती हैं. कुछ लोग अपने निकट संबंधी को ही एग्स डोनर के रूप में चुनते हैं. डोनर एग्स की व्यवस्था असिस्टिड रीप्रोडक्टिव क्लिनिक करते हैं.
अमेरिकन सोसायटी फौर रीप्रोडक्टिव मैडिसिन सिफारिश करती है कि एग डोनर की आयु 34 साल से कम होनी चाहिए.
एग्स डोनेशन के साइड इफैक्ट्स
एग्स डोनेशन आईवीएफ की सफलता की दर पारंपरिक आईवीएफ की तुलना में 3 से 10 गुना अधिक होती है. लेकिन जो महिलाएं कई वर्षों तक एग्स डोनेट करती हैं उन्हें इस के कई गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ता है. मसलन:
– एग्स डोनेट करने वाली महिलाओं में ब्लीडिंग, संक्रमण और ब्लैडर अथवा पेट के अंगों में चोट लगने का खतरा रहता है.
– एग्स डोनेशन में कई महीने लगते हैं और इस से जुड़ी कुछ चिकित्सकीय प्रक्रियाएं शारीरिक रूप से थोड़ी असुविधाजनक होती हैं.
– एग्स प्राप्त करने से पहले कई दवाएं दी जाती हैं, जिन के मूड स्ंिवग्स, सिरदर्द, पेट में मरोड़, भार बढ़ना, जी मिचलाना और जहां इंजैक्शन लगाया जाता है वहां तेज दर्द होना जैसे साइड इफैक्ट्स दिखाई दे सकते हैं.
भू्रण प्रत्यारोपण
इस तकनीक में पहले से फ्रोजन किए गए भू्रण का उपयोग किया जाता है, जो किसी और दंपती के आईवीएफ ट्रीटमैंट के बाद बच गया होता है. उस युगल ने संभवतया गर्भधारण कर लिया होगा या आईवीएफ तकनीक का उपयोग न करने का मन बना लिया होगा. वे क्लिनिक को अधिकार दे देते हैं कि उन के बचे हुए भू्रणों का उपयोग दूसरे दंपतियों के लिए कर लिया जाए.
क्या है एग फौर्मेशन
महिलाओं के अंडाशय में ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो नए एग्स का निर्माण कर सकती हैं. वैज्ञानिक इन्हें ऊगोनियल स्टेम सैल्स कहते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि 2 पुरुषों की त्वचा से ह्यूमन एग्स का निर्माण कर सकते हैं. लेकिन इस से डिजाइनर चाइल्ड का खतरा पैदा हो गया है.
2 समान लिंग के वयस्कों की त्वचा से बच्चों का जन्म संभव है. अगले 2 वर्षों में 2 वयस्क महिलाओं की त्वचा से स्पर्म का निर्माण और 2 वयस्क पुरुषों की त्वचा से एग्स का निर्माण संभव होगा.
– डा. अल्का, इंदिरा टैस्ट ट्यूब बेबी सैंटर, उदयपुर