Neighbours : पड़ोसी ही हैं जिन की जरूरत हर छोटीबड़ी चीजों में पड़ ही जाती है. एक पल के रिश्तेदारों से भले संबंध बिगड़ जाएं पर पड़ोसियों से बिगाड़ कर हरगिज न रखें.
पहले के जमाने में जहां लोग आसपड़ोस में रहने वाले लोगों के साथ अच्छे संबंध बना कर रखते थे. महल्ले में पड़ोसियों (Neighbours) का जमावड़ा लगता था वो अब नजर नहीँ आता. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों की ज़िंदगी अपने तक ही सीमित होती जा रही है. अब तो आलम यह है कि बड़े शहरों में लोगों को ये भी नहीं पता कि उन के पड़ोसी कौन हैं. लोग भूल रहे हैं कि पड़ोसी से अच्छी जानपहचान, नजदीकियां और बेहतरीन रिश्ते जिंदगी के तनाव को कम कर के खुशियों को बढ़ाने का काम कर सकते हैं.
दरअसल, पड़ोसी ही हमारे सुखदुख के साथी होते हैं. कभी भी अचानक ज़रूरत पड़ने पर पड़ोस में रहने वाले लोग ही आप की मदद के लिए आते हैं. कुछ समय पहले जब मुझे और मेरी बेटी को वायरल फीवर हुआ तब दो दिन तक मेरे लिए बिस्तर से उठ पाना भी मुश्किल था. उस समय मेरी पड़ोसन ही थी, जिन्होंने मेरे और मेरी बेटी के लिए खाना बनाया और ठीक होने तक हमारी देखभाल की. इसीलिए कहते हैं कि पड़ोसी से हमेशा अपने रिश्ते को मजबूत बना कर रखना चाहिए.
घर में कोई बीमार है और डाक्टर के पास ले जाने वाला नहीं है तो पड़ोसी से अच्छे रिश्ते होने पर वे मदद कर सकते हैं. इस के अलावा बच्चों की देखभाल, मार्केट से सामान मंगाना, और भी छोटेमोटे काम में पड़ोसी से मदद ले सकते हैं. जमेटो, ब्लिंकइट के भरोसे रहने की बजाय पड़ोसी के घर चाय पीने चले जाएं. पड़ोसियों को इन्वाइट करें, जरूरत न हो तब भी धनिया, नींबू मांग लें और उन के साथ एक मजबूत रिश्ता बनाएं. आप चाहें तो अपने पड़ोसी के साथ मार्निंग वाक का रूटीन भी बना सकते हैं.
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