विनय कुमार रिलांयस के शोरूम में फ्लोर मैनेजर के रूप में काम करता है. 3 साल लखनऊ में काम करने के बाद उस का ट्रांसफर बाराबंकी हो गया. 5 साल नौकरी करते बीत गए. इस बीच उस की शादी हुई.
6 महीने पहले उस की पत्नी अपने परिवार वालों के साथ मुंबई घूमने गई थी. वहां उस का एक्सीडैंट हो गया. अनजान शहर में कोई सहारा नहीं था. विनय को भी मुंबई पहुंचने में देर लग रही थी.
Mediclaim की सुविधाएं
विनय ने यह बात अपनी कंपनी के एचआर महकमे को बताई और छुट्टी देने को कहा. वहां से विनय को मुंबई के उन अस्पतालों की लिस्ट दी गई, जहां उस की पत्नी बिना कोई पैसा दिए भरती हो सकती थी. विनय को कंपनी की तरफ से मैडिक्लेम दिया गया था, जिस में उस का और उस के परिवार का इलाज कैशलैस हो सकता था.
विनय ने अपनी पत्नी को अस्पताल पहुंचने को कहा. अस्पताल वालों ने मैडिक्लेम के लिए एक ईमेल रिलायंस कंपनी के एचआर को किया. वहां से तत्काल यह जवाब आ गया कि विनय की पत्नी का इलाज कंपनी के खर्च पर होगा.
जब तक लखनऊ से विनय मुंबई पहुंचा, तब तक उस की पत्नी नेहा का इलाज शुरू हो चुका था. वह तकरीबन एक हफ्ता अस्पताल में रही और बिना किसी खर्च के उस का इलाज चला. सारा खर्च अस्पताल को रिलायंस कंपनी की तरफ से दिया गया.
इस बात की जानकारी जब नेहा के पिता और घर वालों को हुई तो उन को बहुत हैरत हो रही थी कि प्राइवेट कंपनी में काम करने वालों कोे इस तरह की सुविधाएं भी मिलती हैं.
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