बड़े आश्चर्य की बात है कि घासफूंस पर निर्वाह करने वाला, हर मौसम में अथक भार ढोने वाला तथा संसार में सब से मूर्ख कहलाने वाला प्राणी गधा उत्तम स्मरणशक्ति रखता है. बहुत से देशों में जटिल परिस्थितियों में गधा एक श्रेष्ठतर भार ढोने वाला जानवर माना जाता है. भारी यातायात में भी यह भयभीत नहीं होता और पीछे मुड़ कर नहीं देखता. गधे की औसत आयु लगभग 50 वर्ष है. घोड़े के मुकाबले में गधा अधिक शक्तिशाली है तथा कम मूल्य पर उपलब्ध है. यह झुंड में रहना पसंद करने वाला जानवर है. अधिक वर्षा इस के स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है. गधा हठी प्रकार का जानवर है, परंतु इसे आसानी से साधा जा सकता है. यह तंग से तंग जगह पर भी चल सकता है तथा मुड़ सकता है. एक अनुमान के अनुसार, गधे का मरुस्थल से गहरा संबंध है. मरुस्थल में यह अपने लंबे कानों के कारण दूसरे गधे की आवाज 10 मील की दूरी से सुन सकता है. लंबे कान इस को ठंडा रखने में भी सहायता करते हैं. गधा अपने 30 साल पुराने साथी गधे को आसानी से पहचान लेता है. गधा (जैक) और घोड़ी तथा घोड़ा और गधी (जैनी) मिल कर खच्चर को जन्म देते हैं (नर अथवा मादा). गधी 12 मास में बच्चा देती है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर तथा मेरठ में सेना के रिमाउंट डिपो में इस प्रकार पैदा खच्चरों को लड़ाई का सामान ले जाने के लिए तैयार किया जाता है.

संसार के बहुत से देशों में गधा एक निर्धन परिवार की आय का साधन है. यह पानी ढोने, लकड़ी ढोने, खेती के कुछ काम करने, रेलवे माल गोदाम से कोयला ढोने, धोबी द्वारा मैले कपड़े घाट तक ले जाने, गीले कपड़े वापस लाने, कुम्हार के लिए मिट्टी लाने, घड़े बाजार तक ले जाने तथा अनाज को मंडियों तक पहुंचाने का काम करता है. भेड़बकरी के झुंड की रखवाली के लिए गधे को अधिक पसंद किया जाता है. भेड़बकरी के झुंड में प्रवेश के कुछ दिन बाद, गधा उन में घुलमिल जाता है. उस के बाद गधा अपने बच्चों की तरह उन की लोमड़ी, भेडि़या तथा कुत्ते आदि से रक्षा करता है. भेड़बकरी की तरह गधा भी शाकाहारी है तथा उन के साथ यह भी घास चरता रहता है. यद्यपि कुत्ते के लिए अलग प्रकार के भोजन की आवश्यकता है. यदि कोई जानवर हमला करता है तो गधा उस को अपने पैर से ठोकर मार कर भगा देता है. एक अनुमान के अनुसार, संसार में गधों की संख्या 4 करोड़ से अधिक है. 1495 में जब कोलंबस अपनी दूसरी जलयात्रा पर अमेरिका आया तो वह कुछ गधे अपने साथ लाया था. अमेरिका में हवाई नाम का एक प्रदेश है, इस में 9 द्वीप हैं. किसी समय यहां केवल आदिवासी रहते थे, सड़कों का नामोनिशान नहीं था, चारों ओर समुद्र या ज्वालामुखी पहाड़ थे, आज भी कई जगह पर जमीन से धुआं निकलता रहता है. ऐसे में केवल गधा ही वहां यातायात का एकमात्र साधन था. अब बहुत विकास हो चुका है. वहां देशविदेश से पर्यटक घूमने के लिए जाते हैं. सड़कों के बनने से ट्रक दौड़ते नजर आते हैं, ऐसे में गधों को लावारिस मरने के लिए छोड़ दिया गया है. सड़कों पर जगहजगह साइड वौक की तरह क्रौसिंग बने हुए हैं जिन पर लिखा है, सावधान! डौंकी क्रौसिंग. कार में सफर के दौरान गधों के झुंड को क्रौसिंग को पार करते हुए देखा जाता है.

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