‘‘वह 1 दिसंबर की शाम थी. बारिश हो रही थी. बारिश इतनी तेज भी न थी कि हम लोग कुछ खाने के लिए चंद कदमों की दूरी पर स्थित फूड कोर्ट में न जा पाते. मैं अपने दोस्तों नितिन और आशुतोष के साथ होस्टल से निकल चल पड़ा. मौसम सुहाना था लेकिन मन में डर और आशंकाएं थीं क्योंकि मौसम विभाग की चेतावनी थी कि आने वाले दिनों में फिर तेज बारिश और बाढ़ आ सकती है.’’ चेन्नई से 25 किलोमीटर दूर स्थित श्री रामास्वामी मैमोरियल इंस्टिट्यूट यानी एसआरएमआई में इंजीनियरिंग के पहले साल में पढ़ रहे भोपाल के आर्यमान और उस के दोस्तों ने जो बताया वह वाकई दिल दहला देने वाला था.

आर्यमान एसआरएमआई के ऊरी होस्टल में कमरा नंबर 631 में रहता है. बीती 4 दिसंबर की रात जब वह जैसेतैसे चेन्नई से भोपाल पहुंचा तो उस के चेहरे पर दहशत थी जो प्लेटफौर्म पर इंतजार करती मम्मी कल्पना, पापा देवेंद्र और दीदी अदिति को खड़े देख खुशी में बदल गई. ऐसी खुशी जिसे वह बयां नहीं कर सकता. लेकिन चेन्नई में आई बाढ़ और वहां से भोपाल तक के सफर की दास्तां के जो हिस्से वह साझा कर पाया उन्हें सुन लगता है कि वाकई यह बाढ़ बहुत ही भयानक थी.

बकौल आर्यमान, ‘‘जब हम फूड कोर्ट से वापस लौटे तो हमें आने वाली दुश्वारियों का कतई अंदाजा न था. पिछले हफ्ते की बाढ़ ने हम छात्रों को खासा दहला दिया था. 25 नवंबर तक हालात ठीक हो गए थे, इसलिए हमें लग रहा था कि अब इस का दोहराव नहीं होगा. लेकिन 30 नवंबर की सुबह से एहसास होने लगा था कि अब यहां और रुकना खतरे से खाली नहीं.’’

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