इन दिनों पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर से जनहित में जारी होने का दावा करता टीवी कमर्शियल चल रहा है. ‘गिव इट अप’ शीर्षक के इस विज्ञापन में एक दंपती अपनी रसोई गैस की सब्सिडी उससमय छोड़ देते हैं जब वे टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोगों से गैस पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने की अपील करते देखते हैं. भावुकता में लिया गया उन का फैसला उन्हें बाद में कितना भारी पड़ सकता है, इस की एक बानगी देखिए-

लखनऊ के रहने वाले सुजीत की पत्नी शहर से बाहर गई थी. इस बीच उन के घर में रसोई गैस खत्म हो गई. सुजीत ने पत्नी को बताया तो वह बोली, ‘‘नए गैस सिलैंडर को मंगवाने के लिए मोबाइल से बुकिंग करा दो.’’ पति ने गैस सिलैंडर बुकिंग के लिए मोबाइल से कौल किया. गैस सिलैंडर से बुकिंग करने के पहले मोबाइल पर गैस सब्सिडी छोड़ने का संदेश आने लगा. उस ने जीरो नंबर दबा कर सब्सिडी छोड़ने की बात की. सुजीत को लगा कि गैस बुकिंग के लिए वह जीरो नंबर दबाने की बात कही जा रही है. सुजीत के जीरो नंबर दबाते ही उधर से आवाज आई, गैस सब्सिडी छोड़ने के लिए आप को धन्यवाद. अब अपने गैस सिलैंडर की बुकिंग के लिए  दूसरे नंबर दबाएं. तब सुजीत को पता चला कि वह गलती में नंबर दबा कर गैस सब्सिडी छोड़ चुके हैं.इस के बाद सुजीत ने गैस एजेंसी से ले कर पैट्रोलियम कंपनी तक में संपर्क किया. कहीं से उसे उस की गैस सब्सिडी वापस नहीं हो सकी. पैट्रोलियम कंपनी ने कहा कि इस साल अब कुछ नहीं हो सकता, अगले साल देखा जाएगा.

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