दिल्ली स्थित एक आईटी कंपनी में डेटा संभालने का काम करते हुए प्रेम प्रकाश ने एमबीए की पढ़ाई के लिए एक वैबसाइट इंटरनैशनल प्रोफैशनल मैनेजर्स सर्टिफिकेट यानी आईपीएमसी पर अक्तूबर 2014 में नामांकन करवाया था, जिस का मुख्यालय उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में था. उसे 2 विषयों के साथ पूरे कोर्स के लिए 2 सालों के दौरान 60 हजार रुपए किस्तों में भुगतान करने थे. पहली किस्त के तौर पर प्रेम प्रकाश ने 10 हजार रुपए 2 बार में जमा करवा दिए थे. तब उसे बताया गया था कि सर्टिफिकेट शोभित विश्वविद्यालय से मिलेगा और दिसंबर माह में पहले टर्म की औनलाइन परीक्षा होगी. साथ ही, उसे पहले सैमेस्टर की पढ़ाई संबंधी स्टडी मैटीरियल की सीडी डाक द्वारा भेज दी गई. लेकिन जब परीक्षा का समय आया तब उस की तारीख अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दी गई, जो कई बार बढ़ी. परीक्षा में होने वाली देरी के संबंध में काउंसलर द्वारा फोन से आश्वासन मिलता रहा. अंत में उसे बताया गया कि उस की पढ़ाई अब दूसरे विश्वविद्यालय हिमालयन के अंतर्गत होगी. परीक्षा में देरी का यही कारण बताया गया और दोबारा फौर्म भरने को कहा गया. यह प्रेम प्रकाश के लिए असहजता लिए एक झटके के समान था, क्योंकि नामांकन लिए हुए सत्र का आधा समय बीत चुका था और उस की पढ़ाई एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई थी. ऊपर से जब उसे यह भी मालूम हुआ कि मिलने वाले सर्टिफिकेट का इस्तेमाल केवल प्राइवेट जौब के लिए हो सकता है, तब उस ने आगे की किस्त नहीं जमा की और औनलाइन पढ़ाई से तौबा कर ली.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...