ईश्वर के अस्तित्व को नकारने वाले मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग के चले जाने से दुनिया में विज्ञान पर भरोसा करने वाले लोगों को दुख पहुंचा है जबकि ईश्वर के नाम पर धंधा करने वाले शायद खुश हो रहे होंगे. प्रगतिशील वैज्ञानिक विचारों के पक्षकारों, अनीश्वरवादियों और नास्तिकों के लिए बहुत बड़ा संबल रहे हाकिंग धर्म के धंधेबाजों के लिए सब से बड़े दुश्मन थे. उन के वैज्ञानिक सिद्धांतों ने धर्म और ईश्वर की धज्जियां उड़ा दी थीं. उन के विचार चचर्च के लिए उतने ही घातक रहे जितने कौपरनिक्स और गैलीलियो के थे.

शुरू से ही नास्तिक रहे हाकिंग समयसमय पर धार्मिक विश्वासों के विरोध में बोलते रहते थे. इस के लिए उन्हें ईसाई संगठनों का विरोध भी झेलना पड़ा. 2001 में जब वे भारत आए तो हिंदू धर्म के ठेकेदारों ने उन्हें कोई भाव नहीं दिया. पर वे इन सब के प्रति बेपरवा रहे और अपने विचारों के प्रति दृढ़ रहे.

कौस्मोलौजी, क्वांटम फिजिक्स, ब्लैकहोल और स्पेस टाइम के लिए बड़ा योगदान देने वाले इस वैज्ञानिक का कहना था कि निश्चित ही ब्रह्मांड एक भव्य डिजायन है पर इस का भगवान से कोईर् लेनादेना नहीं है. यानी, उन्होंने भगवान के अस्तित्व को साफतौर पर नकार दिया और खुद को नास्तिक घोषित करार दिया. विश्व के बहुत से लोगों ने उन की बातों पर भरोसा किया, इसीलिए उन की पुस्तक ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री औफ टाइम’ बहुत ही लोकप्रिय हुई.

ईसाई धार्मिक परिवार में जन्मे हाकिंग स्कूली समय से ही अपने ईसाई सहपाठियों के साथ धर्म को ले कर तर्क करते थे. कालेज आतेआते वे नास्तिक छात्र के रूप में मशहूर हो चुके थे. इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि हाकिंग जैसे वैज्ञानिकों की थ्योरी के बल पर ही दुनिया में नास्तिकों, तर्कवादियों की तादाद बढ़ रही है.

उन्होंने कहा था कि धर्र्म और विज्ञान के बीच एक बुनियादी फर्क है. धर्म आस्था और विश्वास पर टिका है, ईश्वर दिखता नहीं पर विज्ञान साक्षात सुबूत के तौर पर दिखाईर् देता है, इसलिए धर्र्म पर विज्ञान की जीत तय है.

उन्होंने अपनी थ्योरी किसी पर थोपनी नहीं चाही. उन्होंने साफ कहा कि हम सभी जो चाहें, उस पर विश्वास करने के लिए स्वतंत्र हैं पर कोई ईश्वर नहीं है, किसी ने हमारे ब्रह्मांड को नहीं बनाया और न ही हमारे भविष्य को निर्देशित करने वाला कोईर् है.

आमतौर पर अमेरिका, यूरोप जैसे देशों के अधिकतर वैज्ञानिक ईश्वर के वजूद को ठुकराते आए हैं पर भारत के ज्यादातर वैज्ञानिक रौकेट, मिसाइलें छोड़ते समय नारियल फोड़ते, दीपक जलाते, हवन और पूजापाठ करते देखे जा सकते हैं.

एक सर्वे में बताया गया है कि 93 प्रतिशत वैज्ञानिकों ने भगवान के अस्तित्व को नकारा है. केवल 7 प्रतिशत वैज्ञानिक ही ईश्वर में भरोसा करते हैं. शायद, ये वैज्ञानिक भारतीय हों.

प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग ने कहा था कि मैं पिछले 49 सालों से मरने का इंतजार कर रहा हूं, लेकिन मैं यह भी कहना चाहता हूं कि मुझे मरने की कोई जल्दी नहीं है. मेरा जन्म बहुत से काम करने के लिए हुआ है और जब तक मैं सारे काम नहीं कर लूंगा, मैं इस दुनिया को छोड़ नहीं सकता.

ये बातें उन के जीवन की सचाई थीं जिन के साथ वे पिछले 55 वर्षों से जी रहे थे. अपने कहे मुताबिक, स्टीफन ने अपना काम पूरा कर लिया तो हाल ही में दुनिया को अलविदा कह गए.

ब्रिटिश भौतिकशास्त्री स्टीफन हाकिंग ने ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में जो अद्भुत कार्य किया उस के कारण उन की तुलना विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन और न्यूटन से की जाती है. मगर हाकिंग का जीवन अद्भुत वैज्ञानिक प्रतिभा के साथसाथ मनुष्य की अदम्य जिजीविषा के संघर्ष की सुनहरी दास्तान था.

वे जिंदगीभर एम्योट्रौफिक लैटरल स्लेरोसिस यानी एएलएस बीमारी से पीडि़त थे. इस घातक न्यूरोलौजिकल बीमारी ने उन के शरीर को बेहद कमजोर कर दिया. वे हमेशा व्हीलचेयर पर बैठे रहने के लिए अभिशप्त थे. मगर अपने जीवन को उन्होंने इस प्रकार ढाला था कि उन की बीमारी भी उन्हें नहीं हरा सकी. विकलांगता उन्हें विज्ञान में योगदान करने से नहीं रोक सकी.

बीमारी पर भारी पड़े

इस बीमारी के कारण केवल उन का मस्तिष्क ही काम कर पाता था. व्हीलचेयर पर बैठ कर ही उन्होंने सारे ब्रह्मांड की सैर की, उस के अबूझ रहस्य खोज निकाले, उन के बारे में लिखा भी. तब, दुनिया भौचक्की रह गई. इस असाध्य बीमारी से जूझते हुए स्टीफन हाकिंग ने ब्लैकहोल और बिग बैंग सिद्धांत को समझने में अहम योगदान दिया.

स्टीफन की आयु जब मात्र 21 वर्ष की थी, तब ही उन्हें मोटर न्यूरौन नामक बीमारी हो गई. चिकित्सकों ने स्पष्ट कर दिया कि उन के पास अधिकतम 2 वर्ष हैं, लेकिन स्टीफन की इच्छाशक्ति ने चिकित्सा विज्ञान को झूठा साबित कर एक मिसाल कायम की. बावजूद इस के, हाकिंग कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई करने गए और एक महान वैज्ञानिक के रूप में सामने आए. महज 32 वर्ष की उम्र में साल 1974 में हाकिंग ब्रिटेन की प्रतिष्ठित रौयल सोसाइटी के सब से कम उम्र के सदस्य बने. 5 वर्षों बाद उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफैसर के रूप में नियुक्त किया गया. इस पद पर कभी महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन नियुक्त थे.

अकसर पीडि़त इस बीमारी की चपेट में आने के 2 से 3 वर्षों के भीतर दम तोड़ देते हैं, लेकिन हाकिंग एकदो नहीं, बल्कि 50 वर्षों से ज्यादा वक्त तक इस से जूझते रहे. एएलएस का कोई इलाज या उपचार नहीं है जो इसे रोक सके, हालांकि इस के लक्षणों को कुछ हद तक नियंत्रित करने के कुछ विकल्प जरूर मौजूद हैं.

76 साल के जीवन में स्टीफन हाकिंग ने सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्र में कमोबेश वैसी ही हलचल मचाई है जैसी कि अपने दौर में आइंस्टीन ने सापेक्षता के सिद्धांत से मचाई थी. उन्हें चुनौती देने वालों में अग्रणी हाकिंग ही थे. ‘ईश्वर पासे नहीं खेलता’ कह कर जब आइंस्टीन अपनी खोज में आगे बढ़ने से ठिठक गए थे तो कई वर्षों बाद हाकिंग ने आगे बढ़ कर यह प्रतिपादित किया था कि ईश्वर न सिर्फ पासे खेलता है बल्कि उस के फेंके पासे कहां गिरते हैं, यह तक पता नहीं चल पाता. इस उक्ति से आशय यह था कि ब्रह्मांड के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है और किसी एक शक्ति ने इस की रचना नहीं की है. यह कथन ‘सिंगुलैरिटी’ सिद्धांत की स्थापना की ओर भी इंगित करता था जिसे दिक्काल (स्पेसटाइम) का एक अनिश्चित झुकाव माना जाता है.

स्टीफन विलियम हाकिंग ने ही ब्लैकहोल के बारे में यह नतीजा निकाला था कि उस से भी विकिरण के छूट जाने की संभावना रहती है. इसे हाकिंग रेडिएशन कहा गया. ब्लैकहोल के बारे में वैज्ञानिक मान्यता रही है कि प्रकाश तक उस में जा कर डूब जाता है, लेकिन स्टीफन हाकिंग का कहना था कि ब्लैकहोल से भी बाहर कोई रास्ता जरूर निकलता होगा.

जटिल रहस्यों को भेदते हाकिंग का सब से बड़ा योगदान यह है कि उन्होंने सैद्धांतिक भौतिकी और ब्रह्मांडीय विज्ञान के जटिल रहस्यों को आमफहम बना कर लोगों तक पहुंचाया. उन्होंने अपने निराले अंदाज में भौतिकी की पहेलियां बूझीं. यही कारण था कि वे वैज्ञानिकों, बौद्धिकों में भी उतने ही लोकप्रिय थे जितने छात्रों व बच्चों के बीच. उन्होंने विज्ञान को कथा, कला और कविता बना दिया. हाकिंग की एक बड़ी देन यह भी है कि उन्होंने ब्रह्मांड की रचना में ईश्वरीय प्रताप को खारिज किया, अंधविश्वासों और धार्मिक रूढि़यों को फटकारते रहे और ताउम्र एक संवेदनशील प्रगतिशील दुनिया का सपना संजोए रहे. स्टीफन ने कभी भी ईश्वरीय शक्ति को नहीं माना बल्कि, हमेशा ईश्वर और उस की शक्ति के प्रमाण की बात की. वहीं उन्होंने ब्रह्मांड की रचना के लिए बिग बैंग थ्योरी को दुनिया के सामने रखा बजाय ईश्वरीय चमत्कार के.

हाकिंग ने पर्यावरण की दुर्दशा पर तीखी टिप्पणियां की और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से दुनिया को आगाह किया. उन्होंने इन्हीं संदर्भों में एलियन

की अवधारणा को भी अपने चुटीले व व्यंग्यात्मक अंदाज में हवा दी और बताया कि यह न मानने का कोई कारण नहीं कि आकाशगंगाओं में कहीं कोई एक ऐसी प्राणी व्यवस्था जरूर है जो हमारी धरती के मनुष्यों से हर स्तर पर उच्चतर स्थिति में है.

बिग बैंग थ्योरी

वैज्ञानिक खोजों द्वारा यह तो पता लग गया कि दुनिया की उत्पत्ति 13.8 अरब साल पहले महाविस्फोट से हुई थी लेकिन स्टीफन ने ब्रह्मांड से पहले की दुनिया के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि महाविस्फोट से पहले सिर्फ एक अनंत ऊर्जा और तापमान वाला एक बिंदु था. महाविस्फोट सिद्धांत ब्रह्मांड की रचना का एक वैज्ञानिक सिद्धांत है, कोई पौराणिक कथा नहीं.

उस में बताया गया है कि ब्रह्मांड कब और कैसे बना? इस सिद्धांत के अनुसार, करीब 15 अरब साल पहले पूरे भौतिक तत्त्व और ऊर्जा एक बिंदु में सिमटे हुए थे. फिर इस बिंदु ने फैलना शुरू किया. महाविस्फोट, बम विस्फोट जैसा विस्फोट नहीं था, बल्कि इस में प्रारंभिक ब्रह्मांड के कण, सारे अंतरिक्ष में फैल गए और एकदूसरे से दूर भागने लगे. इस तरह ब्रह्मांड का निरंतर विस्तार हो रहा है. हाकिंग ब्रह्मांड की रचना को एक स्वत:स्फूर्त घटना मानते थे, न कि ईश्वरीय.

समकालीन विज्ञान जगत में इतना खिलंदड़ और मस्तमौला वैज्ञानिक नहीं देखा गया. वे अंतिम समय तक गुरुत्वाकर्षण और क्वांटम मैकेनिक्स को एकीकृत करने की गुत्थियों में डूबे हुए थे और आखिर तक यह जानना चाहते थे कि वाष्पीकृत होने के बाद ब्लैकहोल का क्या होता है. इन्हीं गुत्थियों को सुलझाते हुए हो सकता है उन्हें धरती पर एलियन के पदार्पण की बात सूझी हो.

1988 में प्रकाशित ‘समय का संक्षिप्त इतिहास’ (अ ब्रीफ हिस्ट्री औफ टाइम) जैसी किताब ने स्टीफन हाकिंग को विज्ञान दुनिया का चमकता तारा बनाया.

संडे टाइम्स की बैस्टसैलर सूची में यह किताब 237 सप्ताह तक बनी रही और इस की बदौलत गिनीज बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड्स में इस का नाम दर्ज हुआ. इस की 1 करोड़ से अधिक प्रतियां बिकीं और 40 भाषाओं में अनूदित हुईं. फिर उन की दूसरी किताब ‘ब्लैक होल्स ऐंड बेबी यूनिवर्सेस ऐंड अदर एसेस’ प्रकाशित हुई.

इसी किताब में हाकिंग ने ब्रह्मांड से जुड़े अपने अध्ययनों को दिलचस्प तरीके से पेश किया और इसी में वह लेख भी है जिस में हाकिंग ने आइंस्टीन की दुविधाओं पर उंगली रखी. 2001 में आई उन की किताब ‘द यूनिवर्स इन अ नटशैल’ ने भी प्रकाशन जगत में धूम मचाई.

स्टीफन हाकिंग ने दुनिया का परिचय ब्रह्मांड के जिस सत्य से कराया है वह न सिर्फ विज्ञान के इतिहास में सदैव अमर रहेगा बल्कि यह सकारात्मक सोच और उच्च इच्छाशक्ति की एक मिसाल भी कायम करता है जो हमेशा ही दुनिया को प्रेरित करेगी.

खुशमिजाज और हाजिरजवाब स्टीफन

हाकिंग सिर्फ हमारी सदी के सब से महान वैज्ञानिक ही नहीं थे, बल्कि बेहद मजाकिया भी थे. उन के चुटीले कमैंट्स अकसर सुनने वालों को अचंभे में डाल देते थे. कई बार लोग उन से मिलने पर उन की बीमारी और शारीरिक अवस्था के प्रति सहानुभूति जताते, तो हाकिंग अपने मजेदार अंदाज में उन्हें जीने का तरीका सिखा देते.

मशहूर टौक शो ‘लास्ट वीक दिस टाइम’ के होस्ट जौन ओलिवर अपनी कौमिक टाइमिंग के लिए मशहूर हैं, लेकिन हाकिंग ने उन की भी बोलती बंद कर दी थी. हुआ यह कि एक इंटरव्यू के दौरान ओलिवर ने हाकिंग से पूछा, ‘अगर आप मानते हैं कि इस ब्रह्मांड में अनगिनत पैरेलल यूनिवर्स हैं, तो कोई ऐसी भी समानांतर दुनिया होगी जहां मैं आप से ज्यादा बुद्धिमान हूं?’ हाकिंग ने जवाब दिया, ‘बिलकुल, और मुझ से ज्यादा मजाकिया भी.’ ओलिवर बेचारे खिसिया कर रह गए.

इस वैज्ञानिक के लतीफे बहुत मशहूर रहे हैं. उन के विज्ञान से जुड़े कुछ मजेदार लतीफे इस प्रकार हैं-

एक न्यूट्रौन बार में पहुंचा. बारटैंडर से उस ने पूछा, ‘एक ड्रिंक का कितना?’ बारटैंडर ने न्यूट्रौन को देखा और बोला, ‘आप के लिए नो चार्ज.’

2 एटम सड़क पर घूम रहे थे. पहले ने कहा, ‘लगता है मैं ने अपना एक इलैक्ट्रौन खो दिया है.’ दूसरा बोला, ‘क्या तुम श्योर हो?’ पहले ने कहा, ‘हां, मैं पौजिटिव हूं…’

क्या आप जानते हैं ब्लैकहोल क्या है? यह वह छेद है जो आप के काले मोजे में हो जाता है.

मैं ने 2 शादियां कीं और दोनों टूट गईं, इतना काफी है यह समझने के लिए कि एक आदमी ब्रह्मांड के रहस्य समझ सकता है, लेकिन औरतों को नहीं.

जो लोग कहते हैं कि ब्रह्मांड में सबकुछ पहले से ही तय है, मुझे ताज्जुब होता है जब ऐसे लोग सड़क पार करने से पहले दाएंबाएं देखते हैं.

प्रेरणा देते स्टीफन

दुनिया में हाकिंग के लेखन और खोजों का क्या परिणाम हुआ, इस की मिसाल गीतकार और पटकथा लेखक वरुण ग्रोवर के शब्दों में- ‘अलविदा मेरे पहले (और शायद अंतिम) हीरो. मुझे फिजिक्स से कभी प्यार नहीं होता और मेरा भाई कभी एक फिजिसिस्ट नहीं बनता अगर आप के स्पष्ट व उत्साहित करने वाले लेख हम बच्चों के लिए एक नई दुनिया के दरवाजे न खोलते. हमारे समय की ‘ब्रीफ हिस्ट्री’ आप को हमेशा बहुत प्यार से याद रखेगी.’

स्टीफन हाकिंग के प्रेरक कथन

  • ऊपर सितारों की तरफ देखो अपने पैरों के नीचे नहीं. जो देखते हो उस का मतलब जानने की कोशिश करो और आश्चर्य करो कि क्या है जो ब्रह्मांड का अस्तित्व बनाए हुए है. उत्सुक रहो.
  • चाहे जिंदगी कितनी भी कठिन लगे, आप हमेशा कुछ न कुछ कर सकते हैं और सफल हो सकते हैं.
  • बुद्धिमत्ता बदलाव के अनुरूप ढलने की क्षमता है.
  • विज्ञान केवल तर्क का अनुयायी नहीं है, बल्कि रोमांस और जनून का भी है.
  • अन्य विकलांग लोगों के लिए मेरी सलाह होगी कि उन चीजों पर
  • ध्यान दें जिन्हें अच्छी तरह से करने से आप की विकलांगता नहीं रोकती, और उन चीजों के लिए अफसोस न करें जिन्हें करने में यह बाधा डालती है.
  • मुझे लगता है बह्मांड में और ग्रहों पर जीवन आम है, हालांकि बुद्धिमान जीवन कम ही है. वहीं, कुछ का कहना है इस का अभी भी पृथ्वी पर आना बाकी है.
  • हम एक औसत तारे के छोटे से ग्रह पर रहने वाले बंदरों की एक उन्नत नस्ल हैं. लेकिन हम ब्रह्मांड को समझ सकते हैं, यह हमें कुछ खास बनाता है.
  • मैं चाहूंगा न्यूक्लियर फ्यूजन व्यावहारिक ऊर्जा का स्रोत बने. यह प्रदूषण या ग्लोबल वार्मिंग के बिना, ऊर्जा की अटूट आपूर्ति प्रदान करेगा.
  • लाइफ दुखद होगी अगर यह अजीब न हो.
  • जब किसी की उम्मीद एकदम खत्म हो जाती है, तब वह सचमुच हर उस चीज की महत्ता समझ पाता है जो उस के पास है.
  • मैं, बस एक बच्चा हूं जो कभी बड़ा नहीं हुआ. मैं अभी भी ‘कैसे’ और ‘क्यों’ वाले सवाल पूछता रहता हूं. कभीकभार मुझे जवाब मिल जाता है.
  • काम आप को अर्थ और उद्देश्य देता है और इस के बिना जीवन अधूरा है.
  • मेरा लक्ष्य स्पष्ट है. ये ब्रह्मांड को पूरी तरह समझना है, यह जैसा है वैसा क्यों है और आखिर इस के अस्तित्व का कारण क्या है.
  • विज्ञान लोगों को गरीबी व बीमारी से निकाल सकता है और सामाजिक अशांति खत्म कर सकता है.
  • मैं एक अच्छा छात्र नहीं था, मैं कालेज में ज्यादा समय नहीं बिताता था, मैं मजे करने में बहुत व्यस्त था.
  • कभीकभी मुझे आश्चर्य होता है कि क्या मैं अपनी व्हीलचेयर और विकलांगता के लिए उतना ही प्रसिद्ध हूं जितना अपनी खोजों के लिए.
  • धर्मशास्त्र अनावश्यक है.
  • मुझे नहीं लगता कि मानव जाति अगले हजार साल बची रह पाएगी जब तक कि हम अंतरिक्ष में विस्तार नहीं करते.
  • मेरा विश्वास है कि चीजें खुद को असंभव नहीं बना सकतीं.
  • दिव्य रचना से पहले भगवान क्या कर रहा था ?
  • यदि आप यूनिवर्स को समझते हैं तो एक तरह से आप इसे नियंत्रित करते हैं.
  • वास्तविकता की कोई अनूठी तसवीर नहीं होती.
  • मेरी पहली लोकप्रिय किताब , ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री औफ टाइम,’ ने काफी रुचि पैदा की, लेकिन कई लोगों को इसे समझने में कठिनाई हुई.
  • हम यहां क्यों हैं? हम कहां से आते हैं? परंपरागत रूप से, ये फिलौसोफी के सवाल हैं, लेकिन फिलौसोफी मर चुकी है.

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