संजय वर्मा का परिवार दिल्ली के हुमायूंपुर में रहता था, लेकिन उस के पिता मदनमोहन वर्मा रिटायरमेंट के बाद उत्तरपूर्वी दिल्ली के भजनपुरा में अकेले ही रहते थे. पिता और पुत्र अपनीअपनी दुनिया में मस्त थे.
22 जुलाई, 2017 की सुबह भजनपुरा में मदनमोहन के पड़ोस में रहने वाले विजय ने संजय वर्मा को फोन कर के बताया, ‘‘आप के पिता के कमरे का कल सुबह से ताला बंद है. उन के कमरे से तेज बदबू आ रही है.’’
विजय की बात सुन कर संजय वर्मा को पिता की चिंता हुई. उन्होंने उसी समय पिता का नंबर मिलाया, तो उन का फोन स्विच्ड औफ मिला. फोन बंद मिलने पर उन की चिंता और बढ़ गई. इस के बाद वह भजनपुरा के सी ब्लौक स्थित अपने पिता के तीसरी मंजिल स्थित कमरे पर पहुंच गए.
संजय को भी पिता के कमरे से तेज दुर्गंध आती महसूस हुई. उस के मन में तरहतरह की आशंकाएं आने लगीं. कहीं उन के साथ कोई अनहोनी तो नहीं घट गई, यह सोच कर उस ने अपने मोबाइल फोन से दिल्ली पुलिस के कंट्रोलरूम को फोन कर के पिता के बंद कमरे से आ रही बदबू की सूचना दे दी. यह क्षेत्र थाना भजनपुरा के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोलरूम से यह सूचना थाना भजनपुरा को प्रेषित कर दी गई.
सूचना पा कर एएसआई हरकेश कुमार हैडकांस्टेबल सतेंदर कुमार को अपने साथ ले कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. जैसे ही वह भजनपुरा के सी ब्लौक स्थित मकान नंबर 412 की तीसरी मंजिल पर पहुंचे, वहां बालकनी पर कुछ लोगों की भीड़ लगी दिखाई दी. उन्हीं के बीच संजय परेशान हालत में मिला.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन